Report on International Women’s Day Celebrations
By WOW India
WOW India द्वारा 9 मार्च को पटपड़गंज स्थित IPEX भवन में महारानी अहिल्याबाई होल्कर अवार्ड्स और संस्था के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग कार्यक्रम के साथ International Women’s Day Celebrate किया गया ।
कार्यक्रम का आरम्भ डा अम्बुजा शर्मा द्वारा प्रस्तुत श्री गणेश वन्दना से हुआ । उसके बाद संस्था की Secretary General डा पूर्णिमा शर्मा ने पूरे साल के कार्यक्रमों का लेखा जोखा प्रस्तुत करते हुए महिलाओं से अपील की कि अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें । और फिर शुरू हुआ रंगारंग कार्यक्रमों का सिलसिला – जिसमें श्रीमती विमलेश अग्रवाल जी द्वारा प्रस्तुत “चना जोर गरम” को विशेष रूप से सराहा गया ।
इस अवसर पर हर वर्ष चार क्षेत्रों में संस्था के सदस्यों को Excellence और Appreciation अवार्ड्स भेंट किए जाते हैं – ये चार क्षेत्र हैं – समाज सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा तथा संगीत और कला । रंगारंग कार्यक्रम के बाद इस वर्ष क्रमशः डा आभा शर्मा को Medical के क्षेत्र में, श्रीमती वाणी अरोड़ा को समाज सेवा के क्षेत्र में तथा डा आशा अस्थाना को शिक्षा के क्षेत्र में ये अवार्ड्स भेंट किए गए । डा आभा शर्मा को DGF और WOW India की ओर से इस वर्ष का Woman of the year Award भी भेंट किया गया । इन सभी को स्मृति चिन्ह भेंट करनेके साथ ही इनकी उपलब्धियों के विषय में Citation भी पढ़े गए, जिनमें डा आभा शर्मा के लिए डा रूबी ने, आशा अस्थाना जी के लिए अनुभा पाण्डेय ने तथा वीणा अरोड़ा जी के लिए डा प्रिया कपूर ने citation read किया ।
Appreciation awards संगीत और कला के क्षेत्र में गुरनीत कौर को, समाज सेवा के क्षेत्र में श्रीमती मधु रुस्तगी को, Medical के क्षेत्र में डा चन्दर लता को तथा शिक्षा के क्षेत्र में श्रीमती ऋतु भार्गव को प्रदान किए गए ।
हर वर्ष ब्रांचेज की Best Volunteer Award तथा WOW India की Best Volunteer Award भी दिया जाता है, इस वर्ष के नाम इस प्रकार हैं :
श्रीमती लीना जैन – WOW India Main Organization
श्रीमती स्वीटी गोयल, योजना विहार
श्रीमती सरिता भूटानी, सूर्य नगर
श्रीमती अलका श्रीवास्तव, IPEX
श्रीमती सवीना गोयल, इंद्रप्रस्थ
हर वर्ष किसी क्षेत्र में अपना नाम स्थापित करने वाली एक Personality को Legendary Award भी दिया जाता है, जो इस वर्ष DGF की ओर से दिया गया Famous voice artist and singer स्वस्ति श्री को । इस सम्मान में भी स्मृति चिह्न के साथ सम्मानित व्यक्ति की उपलब्धियों के सम्बन्ध में citation प्रस्तुत किया जाता है । स्वस्ति श्री का citation डा दीपिका कोहली ने प्रस्तुत किया । इस अवसर पर स्वस्ति श्री ने दर्शकों की फरमाइश पर गला ख़राब होते हुए भी शिन चेन – जिसके लिए इन्होंने अपनी आवाज़ दी है – के डायलॉग और कुछ गीत भी प्रस्तुत किए, साथ ही शीघ्र ही नेटफिल्क्स पर शुरू होने वाले बच्चों के कार्यक्रम जिंगल किड्स के भी कुछ डायलॉग सुनाए – इस एनिमेशन को रशियन से हिन्दी में डब किया गया है जिसके हिन्दी भाषा के गीत और डायलॉग लिखने के साथ ही इस सीरीज में गीत भी गाए हैं अर्बेक चरित्र को अपनी आवाज़ भी दी है ।
श्रीमती बबीता खन्ना और और श्रीमती अपर्णा गोयल विशिष्ट अतिथियों के रूप में उपस्थित रहीं ।
एक सफल कार्यक्रम के लिए संस्था के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई, और भविष्य में इसी प्रकार उत्साहित होकर कार्य करते रहें इसके लिए शुभकामनाएं…
कार्यक्रम का सफलतापूर्ण संचालन संस्था की Cultural Secretary श्रीमती लीना जैन किया । संस्था की Senior Vice President Vice श्रीमती बानू बंसल, President डा रश्मि जैन, Joint Secretary डा रूबी बंसल और डा दीपिका कोहली, treasure डा इन्दु त्यागी, Co-ordinator श्रीमती प्रमिला मलिक और श्रीमती अर्चना गर्ग तथा Governing Body Member डा प्रिया कपूर सहित संस्था के बहुत सारे सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे । श्रीमती बानू बंसल के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ…
सभी सम्मानित सदस्यों और Personality को महारानी अहिल्या बाई होल्कर अवॉर्ड प्राप्त करने के लिए हार्दिक बधाई…
बहुत शीघ्र कार्यक्रम का वीडियो भी अपलोड किया जाएगा |
डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India & Editor of WOW Web
कल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है और हिन्दुओं का इन्द्रधनुषी पर्व होली भी | अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस और होली की सभी को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ…
सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ? आज की नारी शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक हर स्तर पर पूर्ण रूप से सशक्त और स्वावलम्बी है और इस सबके लिए उसे न तो पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता है न ही वह किसी रूप में पुरुष से कमतर है | पुरुष – पिता के रूप में नारी का अभिभावक भी है और गुरु भी, भाई के रूप में उसका मित्र भी है और पति के रूप में उसका सहयोगी भी – लेकिन किसी भी रूप में नारी को अपने अधीन मानना पुरुष के अहंकार का द्योतक है | हम अपने बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखाएँ चाहे सम्बन्ध कोई भी हो… पुरुष को शक्ति की सामर्थ्य और स्वतन्त्रता का सम्मान करना चाहिए… देखा जाए तो नारी सेवा और त्याग का जीता जागता उदाहरण है, इसलिए उसे अपने सम्मान और अधिकारों की किसी से भीख माँगने की आवश्यकता नहीं…
पर्वों के इस अवसर पर WOW India के साहित्यकृतिक ग्रुप के साहित्यकारों ने कुछ रचनाएँ प्रेषित की हैं जो प्रस्तुत हैं… साथ ही, महिला दिवस की बात करते हैं तो महिलाओं के सर्वांगीण विकास की बात होती है – और यह तभी सम्भव है जब हर महिला स्वस्थ होगी – उसका शारीरिक-मानसिक-भावनात्मक-शैक्षणिक-आर्थिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य उत्तम होगा | तो सबसे पहली आवश्यकता है शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक करने की | हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर हमारी संस्था “एनीमिया मुक्त भारत” की दिशा में भी अग्रसर है, इसके अतिरिक्त महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर – जिसके कारण हर वर्ष न जाने कितनी महिलाएँ असमय काल के गाल में समा जाती हैं – को भी जड़ से उखाड़ फेंकने में अपना योगदान दे रही है | इस ग्रुप की दो सदस्य चिकित्सा क्षेत्र से सम्बद्ध हैं – डॉ नीलम वर्मा – जो हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, और डॉ चन्द्रलता – जो महिला और प्रसूति रोग विशेषज्ञ यानी गयनाकोलोजिस्ट हैं… इन्होंने इन्हीं दोनों विषयों पर भी अपनी रचनाएँ प्रेषित की हैं जो इस काव्य संकलन के अन्त में आपको उपलब्ध होंगी |
तो, प्रस्तुत हैं ये रचनाएँ… इस आशा और विश्वास के साथ कि हम अपने महत्त्व और प्रतिभाओं को समझकर परिवार, समाज और देश के हित में उनका सदुपयोग करेंगी…
अगर हम ठान लें मन में – कात्यायनी…
अगर हम ठान लें मन में, तो सागर पार कर जाएँ |
अगर हम ठान लें मन में, शिखर पर्वत के चढ़ जाएँ ||
नहीं समझो हमें दुर्बल, है साहस से भरा ये मन |
कहीं अन्याय देखें हम, तो चामुण्डा भी बन जाएँ ||
हमीं को लेखनी पूजे, मुखरता हमसे शब्दों में |
हटाने आवरण अज्ञान, माँ वाणी भी बन जाएँ ||
कोई मिल जाए भूखा या कि नंगा इस धरा पर, तो
लुटाकर सम्पदा अपनी, हमीं लक्ष्मी भी बन जाएँ ||
हमीं गंगा, हमीं यमुना, हमीं से है त्रिवेणी भी |
करें जो आचमन इनका, सभी पापों से तर जाएँ ||
______कात्यायनी डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India और इस वेबसाइट की एडिटर
Greetings on the occasion of International Women Day
Dr. S Lakshmi Devi, President WOW India
My greetings to all the members of WOW India on 8th March 2023 on the occasion of International Women’s Day. This year the day coincides with festival of Holi, may this festival bring good tidings to all of you. Every day should be celebrated as women’s day as the mother is the centre of every family and it is her love and sacrifice by which the family binds together.
This year the theme for the Women’s Day is “Digit All – Innovation and Technology for Gender Equality” From online learning and digital activism to the rapid expansion of high-paying tech jobs, the digital age has generated unprecedented opportunities for the empowerment of women and girls. But advancing technology is also introducing new forms of inequality and heightened threats to their rights and well-being. We find that women are using the digital technology, however they are not represented in the mainstream. In fact, as digital technology is advancing there is fear that the gender gap is widening, therefore women have to be trained in all the fields.
I congratulate the Executive of WOW India for using the digital platform during Covid times and even now to educate the women on various medical problems which they face and how to take care of them. Further, WOW India has encouraged many women to showcase their talents. On the occasion of Women’s day we are showcasing the poems written by our members. All these will be uploaded on our website and I congratulate all the members who have written the poems.
Here I would like to bring forth the fact that National Women’s Day is celebrated on 13th February every year and it happens to be the birthday of Sarojini Naidu who was a political activist, feminist, poet, and the first Indian woman to be president of the Indian national Congress and was also the first women to be appointed as Indian state governor. She was called “the Nightingale of India.” Or “Bharat Kokila” by Mahatma Gandhi. I am sure you are budding poetess & poets and will become well known poets in the times to come. My best wishes to all of you.
______Dr. S Lakshmi Devi, President WOW India
काव्य संकलन
हम नारियां किसी से नहीं कम – रेखा अस्थाना…
आओ उड़ चलें हम सभी इस उन्मुक्त गगन में |
सदियों से जो पंख बंधे थे, आज खोल उन्हें फैलाएँ |
जहाँ आनन्द हो सर्वत्र समाया, उसको ढूंढ आज निकालें |
पंख फैलाकर उड़ते -उड़ते, हम आँचल में खुशियाँ समेटें |
आओ अपने से करें हम प्यार, हर नारी को यही समझाएँ |
हर कोने में प्यार बरसाएँ, नाचे गाएँ ,खुशियाँ मनाएँ
नहीं कम अपने को कभी आँकें |
सृष्टि का हर कोना हमसे ही है सुन्दर होता,
अपनी इस महत्ता को आज जग को बतलाएँ |
जहाँ पग पड़ जाए नारी के धूल वह चंदन बन जाती |
उसकी पगधूलि की सुगन्ध से ही वायु मलयानिल कहलाती |
फिर आओ इन पंखों से पूरी वसुधा में उड़ आएँ
कोने कोने में उड़ हर ओर स्नेह की धार बहाएँ |
आज मिला है अवसर सखियों, आओ गगन की सैर कर आएँ |
कोई नारी न रह जाए वंचित इससे, उसको सजग कर आएँ |
सबला नारी – उषा गुप्ता, मुम्बई…
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,
हूँ खा़न ज्ञान की मैं, हैं विभिन्न प्रकार के हीरे जिसमें,
बन प्रहरी हूँ करती हूँ रक्षा जल् थल और आकाश के सीमा की,
रहती हर पल तैयार छुड़ाने को छक्के दुश्मनों के,
है इच्छा तीव्र मार गिराऊँ अनगिनत सैनिक दुश्मनों के,
है नहीं डर खा गोली सीने पर, गवाँ दूं प्राण देश के लिये,
हाँ हूँ सतर्क-हाँ हूँ सतर्क, न लगे गोली कभी पीठ पर |
नही हूँ आश्रित पुरूष पर, हूँ आत्मनिर्भर मैं,
घर ही नहीं चलाती केवल, वरन् हो आसीन पद पर मुखिया के,
चलाती हूँ देश विदेश के बड़े-बड़े सगंठन, रहती हूँ कार्यरत रात और दिन,
चला सुचारू रूप से पहुँचा देती हूँ उन्हें शिखर पर सफ़लता के |
अब तो है राजनीति में भी बोल-बाला मेरा,
मिला है सर्वोच्च सम्मान होने का प्रधान अनेक राष्ट्रों में |
कैसे हो सकती हूँ मैं अबला बोलो गाड़ दिया है जब झंड़ा
आंतरिक्ष में भी मैने |
हैं अधूरे हर मैदान खेल के आज बिन मेरे,
किया है नाम ऊँचा देश विदेश में मैनें,
भर दियें हैं कक्ष स्वर्ण, चाँदी व ताँबे के मेडल से |
नहीं हूँ अबला अब मैं, करना न कन्यादान मेरा माँ-पापा,
उबार सकती हूँ कष्टों से अनेकों को आवश्यकतानुसार,
दे विद्या दान, कर चिकित्सा, अथवा आर्थिक सहायता,
हूँ सक्षम देने में क़ानूनी सहायता भी,
लहरा रहा परचम आज मेरा प्रत्येक क्षेत्र में,
है न कोई भी कर्म भूमि अछूती अब मुझसे,
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,
न करना पुरूष हिम्मत तुम करने की खिलवाड़ लाज से मेरी,
न ही करना चेष्टा डालने की नज़र बुरी मुझ पर,
कर दूँगी सर्वनाश तुम्हारा धर रूप काली का,
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं ||
मेरी बेटी, माँ बन कर आई – प्राणेन्द्र नाथ मिश्र, कोलकाता…
मेरी बेटी, माँ बन कर आई
फिर देखभाल करने मुझको
वह वत्सलता लेकर आयी
फिर हाथ मेरे सिर पर रखकर
मेरी माँ जैसे, वह मुसकायी
मेरी बेटी, माँ बनकर आयी |
अब यह खाओ, अब वह खाओ
और मीठा, तुम्हें नही खाना!
मत पड़े रहो बिस्तर पर यों
क्या ‘वाक’ पे तुम्हें नही जाना?
ममता भर झिड़की, दुहराई
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
पापा! सीढ़ी पर सावधान !
और कैप लगा लो सिर पर भी
क्यों इतना लाद के लाये हो?
सब्जी तो पड़ी हुयी है अभी !
क्यों दवा सुबह की नहीं खायी?
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
दोनो बेटी, दो आँख मेरी
इनसे मैं देखता हूँ भविष्य
बेटी अनमोल प्रकृति-रचना
नारी तू! एक अप्रतिम रहस्य !
बेटी, नारी की परछाईं
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
उजाले हज़ार रखती हूँ – डॉ नीलम वर्मा…
शमा हूँ , नूर पे सब अख्तियार रखती हूँ
मैं अपनी लौ में उजाले हजार रखती हूँ
क़दम क़दम पे मिलें ख़ार कितने भी लेकिन
मैं अपने रुख़ पे कली सा निखार रखती हूँ
जो नफ़रतों की हर इक डोर काट देती है
मधुर सी बोली में कुछ ऐसी धार रखती हूँ
जो मुश्किलों से कभी ज़िन्दगी मिरी गुज़रे
तो हिम्मतें भी ज़रा बे-शुमार रखती हूँ
ख़िज़ाँ ने जब भी गुलिस्ताँ को ख़ाक कर डाला
मैं भीगी आँख में ख्वाबे बहार रखती हूँ
ये कायनात मोहब्बत से चलती आई है
इसी के ज़ोर पे मैं ऐतबार रखती हूँ
मैं टूटे सुर को भी जोड़ देती हूँ ‘नीलम’
हर इक सदा में सुरीला सितार रखती हूँ
हक़ीक़त है लड़की – डॉ मंजु गुप्ता…
लड़की कोई ख़बर नहीं कि छपवाकर अखबार में
दिए जाएँ फ़तवे
न कोई हादसा कि निकालकर जुलूस
किये जाएँ शोक प्रस्ताव
न इश्तहार कि दिल पर हाथ रख
किये जाएँ सीत्कार
हक़ीक़त है लड़की जीती जागती, मरती, खपती, जूझती
सब कुछ के बावजूद, सपने देखती हक़ीक़त
न अच्छी, न बुरी, न सुन्दर, न असुन्दर
सिर्फ़ लड़की
प्याज़ के छिलकों सी असलियत को लपेटे
रोज़ रोज़ बेरहमी से छीली जाती हक़ीक़त
लड़े कोई, जीते या हारे कोई
हर मोर्चे पर लहू लुहान होती है वही
दोनों ओर से मारी जाती है, बिना लड़े लड़की
विजय पदक ले जाता है कोई और
पर जीते जी खुदती हाँ क़ब्र उसी की
जलाई जाती है वही
लटकाई जाती है बार बार, ज़िन्दगी की सूली पर लड़की
नहीं बनती मसीहा, न पाती है गौरव शहादत का
देह पर हज़ारहा भूकम्प सहती
सुलगती है ज्वालामुखी सी, भीतर ही भीतर
मर मर कर जीती है टाज़िन्दगी, हक़ीक़त जो ठहरी
मौत को गले लगा, मुक्त हो जाए
ऐसी कहाँ क़िस्मत
जब तक है सृष्टि, जीना है उसे
देना है जन्म, करना है सृजन, पोषण
ख़ुद हाशिये पर रहकर
औरत और पेड़ – गुँजन खण्डेलवाल – बैतूल, मध्य प्रदेश…
औरत और पेड़ मुझे एक से लगते हैं
खुश हो तो दोनों फूलों से सजते हैं |
दोनों ही बढ़ते और छंटते हैं
इनकी छांह मे कितने लोग पलते हैं |
देना देना और देना ही इनकी नियति है
औरों की झोली भरना दोनों की प्रकृति है |
धूप और वर्षा सहने की पेड़ मे शक्ति है
दुःख पीकर चुप रहना औरत ही कर सकती है |
पेड़ का तना, शाखा फल-फूल सब काम आते हैं
औरत की मेहनत से मकाँ घर हो जाते हैं |
ज्यों पेड़ कुल्हाड़ी का वार सह जाते हैं
औरत का दर्द आँसू कह जाते हैं |
पेड़, जल और मरुस्थल में भी उगता है
औरत का मन गरल पीकर भी सुधा सा पगता है |
पेड़ चाहता है कुछ पानी कुछ खाद
औरत जानती है सिर्फ प्यार का स्वाद |
औरत और पेड़ में एक अबूझ रिश्ता है
जो दोस्ती से मिलता जुलता है |
जिसमें करीबी और दूरियाँ आसपास है
जन्म से अलग सही पर साथ-साथ है |
पेड़ को औरत देती कुछ श्रद्धा, कुछ पानी
बदले में पाती तुलसी दल और कहानी |
अँजुरी में सहेज जिन्हें औरत हो जाती सयानी
पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती औरत और पेड़ की कहानी |
पेड़ और औरत में फर्क बेमानी है
आदतन दोनों ही रोमानी हैं |
इनसे ही जीवन की रवानी है
धरा इन से ही सुहानी है |
इसलिए,
औरत और पेड़ मुझे एक से लगते हैं
खुश हों तो दोनों फूलों से सजते हैं
दोनों एक से लगते हैं |
महिला दिवस के अवसर पर कुछ दोहे – नीलू मेहरा, कोलकाता…
नारी ही नारी दिखे, सभी क्षेत्र में आज |
अद्भुत शोभित हो रहा, उसके सिर पर ताज ||
नारी को उत्थान को, कभी न देना रोक |
जिस पथ आगे बढ़ रही, मत देना तुम टोक ||
नारी को तुम मान दो, और करो सम्मान |
नारी से ही बढ़ रही,भारत की नित शान ||
घर जन्नत रहता सदा, नारी से कर प्यार |
वरना यह जीवन रहे, दु:खों का भण्डार ||
नारी चुप-चुप सी रहे, हरदम रहती मौन |
मन में पलते क्लेश को, जान सके है कौन?
माँ बेटी, भगिनी सभी, सब नारी के रूप |
प्रिया बनी वो संगिनी, देवी रूप अनूप ||
सीता, राधा, द्रौपदी, सब भारत की नार |
नाम अमर इनका हुआ, माने यह संसार ||
दुर्गा, लक्ष्मी, कालिके, माता के हैं रूप |
सदा पूज्य पीताम्बरी, देवी रूप अनूप ||
गीतों की महफ़िल सजी, लता नाम आधार |
आशा, ऊषा, शारदा, सब जाती हैं हार ||
जगदम्बे माँ अम्बिके, दिव्य मात के नाम |
माँ शुभदा अम्बे कृपा, करती अपना काम ||
हेमा, रेखा, वाहिदा, अभिनय करे कमाल |
इनकी फिल्मों के लिये, दर्शक हैं बेहाल ||
द्रौपदी मुर्मू, कल्पना, खूब रचा इतिहास |
लक्ष्मीबाई, पार्वती, अन्तस् करती वास ||
अन्तस् कोमल है बड़ा, फिर भी है बलवान |
थाह बड़ी मुश्किल लगे, कैसे पाये जान ||
नारी सीमा है अजब, कहीं नुपुर झंकार |
देश शत्रु के सामने, हो ऊॅंची तलवार ||
भारत की गरिमा बढ़ी, नारी के ही साथ |
हर नर के उत्थान में, केवल उसका हाथ ||
जल, थल, अंबर में रचा, नारी ने इतिहास |
उसके अद्भुत ज्ञान का, हुआ खूब अहसास ||
मैं नीलू भी नार हूँ, कभी न मानूँ हार |
गायन, लेखन से भरा, मेरा यह संसार ||
ना ही मैं बेचारी हूँ – रूबी शोम…
निर्बल क्षीण नहीं मैं अबला, ना ही मैं बेचारी हूं |
मैं हूं नारी कई रूप मेरे, मैं दुर्गा काली कल्याणी हूं |
मां बहन बेटी पत्नी का रुप धरा, सब कर्तव्य पूर्ण मैं करती हूं |
नहीं देखती धूप छांव, ना सुबह शाम का भान मुझे
मैं निभाती हूं हर धर्म अपना, नहीं जरा सकुचाती हूं |
जब करे कोई मन पर प्रहार, तब मैं ज्वाला बन जाती हूं |
ममत्व का है अधिकार मुझे, मैं बस स्नेह लुटाती हूं |
तन मन धन सब करती न्यौछावर, जीवन अर्पण कर देती हूं |
दुराचारी की देख कुदृष्टि, मैं काली रुप धर लेती हूं |
निर्बल क्षीण नहीं मैं अबला, ना ही मैं बेचारी हूं ||
आ गया महिला दिवस डॉ हिमांशु शेखर, दिल्ली (दरभंगा बिहार)…
आ गया महिला दिवस, सारे मनाने हैं चले |
और महिला है अलग, नारी बताने हैं चले |
आधुनिक नारी हुई, महिला यही तो रीति है |
पश्चिमी है सोच भारत, में निभाने हैं चले |
जो हुई शिक्षित तथा, है स्वाबलंबी भी बनी |
शक्तिशाली है, शहरवासी बनाने हैं चले |
ईंट, पत्थर से बनी दीवार, सीमा थी कभी |
और चौखट लाँघकर जो, खुद कमाने हैं चले |
देखिए ममता बढ़ी हर, घर चली आवाज है |
रंग अपना खूबसूरत, अब जमाने है चले |
प्रेम करती, त्याग करती, जो बनी लक्ष्मी कभी |
क्षेत्र कोई भी रहे सब, आजमाने हैं चले |
आज सेवा भाव की चौखट, पुरानी हो गई |
बढ़ गई महिला अभी, आगे दिखाने हैं चले |
मार्च का दिन आठ है, पर्याय है जो शक्ति का |
है नहीं उसकी जरूरत, जो सिखाने हैं चले |
शक्ति, सेवा, रोजगारों, में दिखे महिला सदा |
क्या जरूरी है अभी जो, हम मनाने हैं चले?
सीखना महिला सभी से, आधुनिक रीवाज है |
है दिवस महिला, पुरुष, उसको मनाने हैं चले |
अर्थ महि का है धरा, जो ला रही महिला कहो |
और महिमा की बनी, पर्याय ताने हैं चले |
कह रहा शेखर सभी, महिला अभी ताकत बनी |
आज उनका नाम ले, दुनिया जिताने हैं चले |
मैं भारत की नारी हूँ – डॉ रश्मि चौबे…
शिक्षित हूँ,संस्कारी हूँ, हाँ सशक्त हूँ, कमजोर नहीं,
मैं भारत की नारी हूँ |
कभी दुर्गा,कभी कल्पना चावला बन जाती हूँ,
लक्ष्मी सा है रूप मेरा , सरस्वती सी बातें हैं, पर हद् पार करे कोई तो, रानीलक्ष्मीबाई बन जाती हूँ या कहूँ तो भावनाकाँत ( पहली लेफ्टिनेंट कमाण्डर)बन जाती हूँ |
शिक्षित हूँ,संस्कारी हूँ, सशक्त हूँ, कमजोर नहीं, मैं भारत की नारी हूँ |
संस्कारी हूँ,चुप रह जाती हूँ,
बच्चे खुश रहें इसलिए, होंठों पर मुस्कान सजाती हूँ,
चरित्र, संस्कार ही गहने हैं मेरे, पर दोनों परिवारों का मान बढाने, गहने सुन्दर कपडों से सज जाती हूँ, बिंदी सिंदूर लगाकर, शान से इतराती हूँ, मैं भारत की नारी हूँ |
हिन्दी देवनागरी लिपि से है पहचान मेरी,
पर भावनाओं को समझाने, अन्य भाषा भी बोल जाती हूँ,
विश्व बंधुत्व का भाव निभाउं तो, अंतर्राष्ट्रीय तो क्या ब्रम्हाण्डीय भी बन जाती हूँ |
कोमल हूँ, कमजोर नहीं मैं भारत की नारी हूँ |
शिक्षित हूँ, संस्कारी हूँ, सशक्त हूँ, कमजोर नहीं,
मैं भारत की नारी हूँ |
वरदान चाहिए – अमृता पचौरी…
मेरे रिश्ते किताबों में, मेरे अपने किताबों में |
हुए टुकड़े मेरे, जब जब मिले हिस्से किताबों में ||
समझना है जो औरत को पहुंच जाओ ज़रा दिल तक |
मिले जो दुःख कभी उसको नहीं दिखते किताबों में ||
मुझे पूरा इक जीवन चाहिए
बस एक दिन पर मेरे दस्तख़त का क्या अर्थ है
अगर मेरा सब कुछ नहीं
तो जो दे दिया वो व्यर्थ है
पर अब तय किया है मैंने
अपनी ऊर्जा का ख़ुद निर्माण करना है
समाज कितनी भी कठिनाई दे
मुझे सब कुछ स्वयं आसान करना है
आज के इस दिन ये शपथ लेती हूँ
अब चाँद बन के नहीं जीना है
चाँद तारों को मुट्ठी में भरना है
अब तुम तय नहीं करोगे मैं सोचूंगी कि मुझे क्या करना है
मुझे किसी का अपमान नहीं करना
मुझे मेरे लिए सम्मान चाहिए
मैं सभी का ध्यान रखती हूँ
अब मेरे लिए भी मुझे आपसे ध्यान चाहिए
बहुत साधारण सी ज़िद है मेरी
मुझे कब कोई आपसे वरदान चाहिए
कितना महिला दिवस है सार्थक – नीरज सक्सेना…
महिला दिवस पर मिली शुभकामना
सुन ममता का मन हुआ अनमना
क्योंकि सच को झूठ रहा हैं ढक
सदा जनमन का भाव रहा हैं पृथक
पढ़ा था बचपन मे देवी का स्वरूप
मैं ही समस्त धरा में ममत्व का रुप
जननी हूँ मैं जीवन का अटल स्रोत
प्रीतम पे वारी मैं प्रेम से ओत प्रोत
जानें कितनी गाथाएँ अनगिनत रचनाएं
मंदिर मंदिर हैं मेरी ही पावन प्रतिमाएं
किंतु सत्य विपरित मैं रही अभागी
बन राम की संगनी, गयी मैं त्यागी
दुःखो के भवसागर में, मैं डूबी अथाह
बन सती जनमन हेतु स्वीकारती चिता
नारी पूज्य जीवन जननी लगे मिथ्या
देव श्राप से पाषाण बनती मैं अहिल्या
लखन चले राम संग कुछ न कहती
मै सहर्ष विरह की अग्नि को सहती
वर्तमान में भी अस्तित्व की पुकार हूँ
सृजन में क्रीड़ामयी साज श्रंगार हूँ
प्रेयसी, भगनी, संगनी, माँ बनती
धूप की भांति मैं संबंधों में उतरती
अनायास जीवन मे आता हैं प्रलाप
जब भेदता शब्द, अभिशाप सा तलाक
सुनना, सुन कर सबके मन का बुनना
मेरी नियति जन्म जन्म जीवन जनना
चारदीवारी में मौन सावित्री सी मैं अनूप
सौंदर्य संग पलती अनेक पीढ़ा कुरूप
हाँ मैं ही हूँ प्रेम, समर्पित ममता का रूप
पर मिथ्या सा लगता मैं हूँ देवी स्वरूप
पूछें जीवन जननी की दबी सिसक
कहो कितना महिला दिवस हैं सार्थक
क्योंकि सच को झूठ रहा हैं ढक
सदा जनमन का भाव रहा हैं पृथक
एक स्त्री की सैनिक से अपनी तुलना – वैभवी…
तुम सैनिक हो मैं भी हूं सैनिक
तुम अनुशासित मैं भी हूं,
तुम उठते पहली किरण पर
मैं भी उठती सुबह सवेरे ||
देश की रक्षा कर्तव्य तुम्हारा
घर की रक्षा दायित्व हमारा
तुम्हारे शस्त्र गोला बारूद
मेरे अस्त्र बेलन झाड़ू ||
देश की सेवा करते तुम भी
मैं भी घर की सेवा करती
देश प्रेम पर तुम लुट जाते
मैं अपनों पर प्रेम लुटाती |
तुम हो मेरे जैसे या
मैं हूं तुम्हारे जैसी
देश है तुम्हारा समर्पण
घर है मेरा समर्पण ||
स्वाभिमान – मीना कुण्डलिया…
सहना नहीं अपमान है, जीना है अब स्वाभिमान से,
लड़नी है खुद की ही लड़ाई हौसले और आत्मविश्वास से,
अब ना आयेगा कोई कृष्ण, खुद असीमित अपना चीर कर,
हृदय विचारों के महाभारत से खुद हासिल अपनी जीत कर,
अब नहीं कोई अग्निपरीक्षा, खुद को तू खुद सिद्ध कर,
अस्तित्व की ये लड़ाई, बेबाकी से लड़ के जीत कर,
सबल होकर यूं निडर हो, बचा आत्मसम्मान को ,
सिंदूर भी गहना है तेरा, पर बेबस और लाचार नहीं,
स्वाभिमान का गहना पहन कर, जीना है अब सम्मान से
सहना नही अपमान है, जीना है अब सम्मान से !!
नारी: एक आह्वान – प्राणेन्द्रनाथ मिश्र…
तुम्हें पुरुष समान कहूँ कैसे ?
नारी ! तुम पुरुष से आगे हो,
नौ मास पुरुष को गर्भ में रख
दिन रात, सजग, तुम जागे हो I
पुरुषार्थ की तुम हो प्रथम रश्मि,
आलोकित करती पुत्रों में,
तुम प्रथम गुरु हो मानव की
तुम ‘राम’ बनाती चरित्रों में I
तुम सरस्वती हो वीणा में
तुम कोयल हो, नीरवता की,
तुम ज्वाला हो, पद्मिनी रूप
राणा के कौशल-क्षमता की I
हे पृथा रूप, संसृति – जननी !
शिव, शव है, शक्ति विहीन यथा ,
बिन सीता, राम का शौर्य व्यर्थ
बिन पांचाली, नहीं कृष्ण कथा I
पुरुषों को बना कर शाखाएं
वट-वृक्ष सदृश तुम खडी हुयीं,
परिवार बचाने की खातिर
भूगर्भ- क्षेत्र में जड़ी हुयीं I
पर, शाखाएं अब विषवत हैं
ये पुरुष, लपेटे काम-नाग,
हे नारी ! या, हो जा अदृश्य
या, चंडी बन, अब जाग ! जाग!
विष-बेलि, कई उद्भित हैं अब
तेरा अस्तित्व, मिटाने को,
अब बन के कालिका, आ जाओ !
विषवत नरमुंड हटाने को !!!!
होली है… तो क्यों न कुछ होली का धमाल भी हो जाए…
राधा कृष्ण की होली – श्रीमती सुमन माहेश्वरी…
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
जहाँ राधा संग होली खेल रहे, कृष्ण चितचोर
धानी चुनरिया, राधा की लहर लहर लहराए
आसमान का नीला रंग, श्याम राधा पर लगाए
पीत रंग का लहंगा पहने, होठ गुलाबी मुस्काए
श्याम रंग ओढ़ राधा, लाल गुलाबी हो जाए
कृष्ण मन में बसे लेकिन सामना करने में सकुचाए
राधा तो चुपचाप खड़ी, लेकिन पायल ने मचाया शोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
लाल लाल गाल पर, बिन्दी भाल सजाए
कजरारे नैनों में छबि, सलोने श्याम की समाए
खनकती चूड़ियाँ, बजती पायल, मन में उमंग लाए
कहीं देख न ले कान्हा, यह सोच कर राधा शरमाए
कन्हैया से मिलने को आतुर, नाच उठा मन का मोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
धरती का रंग ले कान्हा, पास राधा के आए
टेसू के फूलों से, प्यार की पिचकारी चलाए
सागर की लहरों सा, मन हिलोरें खाए
देख कृष्ण को खड़े सामने, राधा नैन झुकाए
रंग गए दोनों एक दूजे के रंग में, राधा और नन्द् किशोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
जहाँ राधा संग होली खेल रहे, कृष्ण चितचोर!!
और अब… हर तन लाल गुलाल हुआ है – कात्यायनी…
फागुन का है रंग चढ़ा लो देखो कैसा खिला खिला सा |
मस्त बहारों के आँगन में टेसू का रंग घुला घुला सा ||
राधा संग बरजोरी करते कान्हा, मन उल्लास भरा सा |
कौन किसे समझाए, सब पर ही है कोई नशा चढ़ा सा ||
बन्धन आज सभी हैं टूटे, फागुन लाल कपोल हुआ है |
मन के टेसू के संग देखो हर तन लाल गुलाल हुआ है ||
निकल पड़ी मस्तों की टोली, आज खेलने रंग की होली |
जैसे झूम झूम कर खेत खेत में, गेहूँ की हर बाली डोली ||
गोरी निरख रही दर्पण में रंग रंगा निज रूप सलोना |
यही रूप तो कर बैठा है रसिया पर कुछ जादू टोना ||
कुहुक कुहुक कर कोयलिया भी, आज मधुर एक गीत सुनाती |
और बौराए आमों पर, तोतों की टोली टेर लगाती ||
सतरंगी है हर घर आँगन, उपवन उपवन मस्ती छाई |
फूल फूल पर मस्त तितलियाँ, आज उड़ रही हैं बौराई ||
हर वन में मदिराया महुआ, खेत खेत में सरसों फूली |
लाल पलाश संग ये देखो, जंगल में भी आग है फैली ||
रश्मिरथी ने निज प्रताप से शीत लहर कुछ शान्त करी है |
इसीलिए रसरंग में डूबी, गोरी भी अब चिहुँक रही है ||
चाल चाल में मादकता, और तन मन में मीठी अंगड़ाई |
रसिया ने बंसी की धुन में, प्रेमपगी एक तान सुनाई ||
रसभीने अंगों पर देखो, रंग फाग का खूब चढ़ा है |
हर पल ही है रंग रंगीला, और हर कण उल्लास भरा है ||
दिशा दिशा में आज प्रेम का, रंग वासन्ती फैल रहा है |
तन तो भीग रहा रंगों में, मन मस्ती में झूम रहा है ||
नाच रही हर किरन किरन, मदमस्त हवा कानों में बोले |
रसिया की बंसी की धुन पर, गोरी मस्त बनी अब डोले ||
रंगोत्सव की सभी को होली के रंगों में भीगी, गुझिया की मिठास में डूबी और ठण्डाई के जादू से मदमस्त बनी उमंग और उत्साह भरी हार्दिक शुभकामनाएँ… लेकिन होली के इस हुडदंग में हमें अपने स्वास्थ्य कि अनदेखी नहीं करनी है… वह भी तब जब WOW India का गठन ही महिलाओं को उनके सर्वांगीण स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हुआ है… तो अब कुछ स्वास्थ्य के विषय में भी सोच लें… एनीमिया एक ऐसी समस्या है जिसके चलते सारा उत्साह समाप्त हो जाता है… और बहुत से रोग घेर लेते हैं… डॉ नीलम वर्मा से जानते हैं इसे दूर करने का उपाय…
अनीमिया दूर भगाओ – डॉ नीलम वर्मा…
मजबूत बनाओ भारत को
बच्चों को मिले पौष्टिक आहार
ना हो खून की कमी किसी को
करो अनीमिया का उपचार
दूध दही घी और पनीर हो
धो कर ताजे फल भी खाएँ
स्वच्छ हाथों से करें भोजन
फिर खूली धूप में धूम मचाएँ
हुकवर्म और अमीबा का है
खतरनाक संक्रमण
ये पी जाते हैं खून हमारा
करते बार बार आक्रमण
दवा से इनका करो इलाज
सेहत भरपूर बनाओ
खून की जाँच कराओ
अनीमिया दूर भगाओ
ये तो थी एनीमिया की बात… सर्वाईकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर तो ऐसी बीमारियाँ हैं कि यदि इसका समय रहते जाँच कराकर इलाज़ नहीं किया गया तो इनके कारण महिला की असमय मृत्यु भी हो सकती है… और अब तो इसकी रोक थाम के टीका भी उपलब्ध है… ब्रेस्ट कैंसर पर जागरूकता अभियान के अन्तर्गत प्रस्तुत है डॉ चंद्रलता की रचना “प्रतिबन्ध”…
प्रतिबन्ध – डॉ चंद्रलता…
प्रतिबंध लगाना है कैंसर को
बिल्कुल नहीं है डरना
सब मिलकर साथ आयें, जागरूकता फैलाते हैं
Breast Cancer को भी दूर भगाते हैं
समय-समय पर स्वयं करनी है
अपने स्तर पर, अपने स्तनों की जांच
जल्दी ही कैंसर पकड़ा जाएगा
आपके स्वास्थ्य पर नहीं आएगी आंच
मिले गर स्वयं को, Nipple से Discharge, या कोई गांठ, या Nipple में सिकुड़न
जल्दी कराओ, डाक्टर से जांच
जांचो की झोली, मारेगी कैंसर को गोली
जागरूकता की शक्ति, दूं कैंसर से मुक्ति
और अब इस संकलन के उपसंहार के रूप में हमारी स्वयं की रचना… समूची शक्ति – समूची प्रकृति नारीरूपा है, और हर नारी शक्ति और प्रकृतिरूपा है… अर्थात समस्त आदि-अन्त सब कुछ उसी में निहित है…
मुझमें है आदि, अन्त भी मैं – कात्यायनी…
आदि और अन्त
मुझमें है आदि, अन्त भी मैं, मैं ही जग के कण कण में हूँ |
है बीज सृष्टि का मुझमें ही, हर एक रूप में मैं ही हूँ ||
मैं अन्तरिक्ष सी हूँ विशाल, तो धरती सी स्थिर भी हूँ |
सागर सी गहरी हूँ, तो वसुधा का आँचल भी मैं ही हूँ ||
मुझमें है दीपक का प्रकाश, सूरज की दाहकता भी है |
चन्दा की शीतलता मुझमें, रातों की नीरवता भी है ||
मैं ही अँधियारा जग ज्योतित करने हित खुद को दहकाती |
और मैं ही मलय समीर बनी सारे जग को महका जाती ||
मुझमें नदिया सा है प्रवाह, मैंने न कभी रुकना जाना |
तुम जितना भी कर लो प्रयास, मैंने न कभी झुकना जाना ||
मैं सदा नई चुनती राहें, और एकाकी बढ़ती जाती |
और अपने बल से राहों के सारे अवरोध गिरा जाती ||
मुझमें है बल विश्वासों का, स्नेहों का और उल्लासों का |
मैं धरा गगन को साथ लिये आशा के पुष्प खिला जाती ||
अभी को एक बार पुनः अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस और रंगपर्व होली की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ… कात्यायनी – WOW India के सभी सदस्यों के साथ…
A cultural program organized by WOW India as a celebration of International Women’s Day, followed by Maharani Ahilyabai Holkar Awards… Here are some glimpse…
25 फरवरी को पटपड़गंज स्थित IPEX भवन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत में WOW India द्वारा श्री लक्ष्मणदास चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का आरम्भ रेणु कुमार की प्रस्तुति “सरस्वती वन्दना” के साथ किया गया | इस अवसर पर बोलते हुए संस्था की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में बोलते हुए कहा कि आज की नारी अबला नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य कर रही है | वही सृष्टि पर जीवन लाती है, वही उसका पालन पोषण करके उसे परिवार-समाज-देश के लिए उपयोगी मनुष्य बनाती है – और साथ ही अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को भी पूर्ण करती हुई समाज की प्रगति में योगदान देती है | पुरुष भी अपनी इच्छाओं महत्त्वाकांक्षाओं की परवाह किये बिना अपने उत्तरदायित्वों का पालन करता है – इस तरह स्त्री पुरुष दोनों की समान भूमिकाएँ हैं | किन्तु समस्या तब होती है जब बहुत सी जगहों पर पुरुष अपने त्याग की गाथा गाकर स्त्री के त्याग को नकारने का प्रयास करता है – इसी बात को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है | और इसके लिए स्त्री को स्वयं प्रयास करना होगा |
संस्था की President डॉ लक्ष्मी ने एक ओर जहाँ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जीवन और कृतित्व पर चर्चा की – क्योंकि 13 फरवरी को श्रीमती नायडू का जन्म दिवस था – तो दूसरी ओर महारानी अहिल्याबाई होल्कर के विषय में बात की – कि अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने के लिए WOW India द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले पुरुस्कारों को क्यों इस वर्ष से “महारानी अहिल्याबाई होल्कर” के सम्मान में दिया जा रहा है | महारानी अहिल्याबाई होल्कर के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान के विषय में बताया |
संस्था की Chairperson डॉ शारदा जैन ने अपने वक्तव्य में Anaemia Free Movement में योगदान के लिए WOW India की सभी Volunteers का आह्वान किया |
इस अवसर पर डॉ शारदा जैन को उनके मार्गदर्शन के लिए, डॉ पूर्णिमा शर्मा को संस्था के लिए किए गए उनके अथक प्रयासों के लिए तथा श्रीमती अर्चना गर्ग को समाज सेवा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया | प्रसिद्ध ओड़िसी नृत्यांगना श्रीमती आम्रपाली गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम कि शोभा बधाई, तो दूसरी ओर श्रीमती अमृता पचौरी और डॉ चन्दरलता ने अपनी कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया |
इस सबके अतिरिक्त Health Awareness के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए डॉ आभा शर्मा और डॉ ममता ठाकुर को, Education & Literature के क्षेत्र में डॉ प्रिया गुप्ता और पूजा भारद्वाज को, Music & Arts के क्षेत्र में निधि भुट्टन, रेणु कुमार और प्रीति तण्डन को और Social Work के क्षेत्र में श्रीमती सुनन्दा श्रीवास्तव, श्रीमती ऋतु भाटिया और श्रीमती शारदा मित्तल को Maharani Ahilyabai Holkar Excellence Award से सम्मानित किया गया |
इसी तरह Health Awareness के क्षेत्र में डॉ. आशा साहे, डॉ शमा बत्रा और डॉ रश्मि नागपाल अरोड़ा को, Education & Literature के क्षेत्र में श्रीमती कविता भाटिया और श्रीमती कृष्णा भाटिया को, Music & Arts के क्षेत्र में श्रीमती उषा रुस्तगी, श्रीमती रुक्मिणी नैयर और कुमारी नन्दिनी भार्गव को, तथा Social Work के क्षेत्र में श्रीमती नीना दुग्गल, श्रीमती सुनीता अरोड़ा, श्रीमती गीता अग्रवाल और श्रीमती वनिता जैन को Maharani Ahilyabai Holkar Appreciation Award से सम्मानित किया गया |
कल आठ मार्च को डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म Zoom पर WOW India और DGF के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रंगारंग कार्यक्रम के बीच Award Ceremony का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का आरम्भ दन्त चिकित्सक डॉ दीप्ति भल्ला के गाए थीम के साथ हुआ | डॉ भल्ला ने प्रसिद्ध गायिका सोना महापात्र के गाए प्रसिद्ध गीत “दीवारें ऊँची हैं गलियाँ हैं कम” को बहुत ही ख़ूबसूरत अन्दाज़ में प्रस्तुत किया, जिसे स्वाति चक्रवर्ती ने लिखा था और आमिर खान के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट “सत्यमेव जयते” के लिए राम संपथ ने कम्पोज़ किया था | इस गीत के बजते ही जैसे समा बन्ध गया |
कार्यक्रम के आरम्भ में WOW India की Chairperson डॉ शारदा जैन ने महिलाओं का आह्वाहन किया कि वे नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जाँच कराती रहें ताकि एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें | साथ ही ये भी कि हमें अपने महिला होने पर और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए – और इस वर्ष की थीम का उद्देश्य भी यही है | एक और बड़ी सारगर्भित बात उन्होंने कही कि व्यक्ति जीवन भर विद्यार्थी तो बना ही रहता है, लेकिन हमें शिक्षक बनना आना चाहिए – हम जो भी सीखें उसे हमें दूसरों की सिखाना चाहिए – तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे कि एक समर्थ महिला अपने साथ साथ अन्य महिलाओं को भी समर्थ बनाने की दिशा में प्रयास करे |
इस वर्ष की महिला दिवस की थीम थी Choose to Challenge, जिसके विषय में बोलते हुए संस्था की Secretary
General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि इस थीम का उद्देश्य यही है कि हम गली सड़ी उन रूढ़ियों को चुनौती दे सकते हैं जो नारी को दबाने के पक्ष में हों, बहुत से पूर्वाग्रहों को चुनौती दे सकती हैं जो हमें आगे बढ़ने से रोकते हों, जो भी नारी के विषय में यदि ग़लत धारणाएँ हैं उन्हें चुनौती के लिए चुन सकती हैं, साथ ही समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने की चुनौती को चुन सकती हैं, इसी तरह की बहुत सी चुनौतियों के लिए आगे आया जा सकता है | साथ ही उनका कहना था कि इस थीम का एक ये आशय भी है कि अपने विचारों और अपने कर्तव्यों के लिए हम स्वयं ज़िम्मेदार हैं – हमें ज़िम्मेदारी लेनी ही होगी यदि हम एक जागरूक नागरिक कहलाना चाहते हैं और साथ ही समाज को अपनी सुसंस्कृत सन्तानों के रूप में आदर्श नागरिक देना चाहती हैं तो | एक महिला होने के नाते हमारी ये ज़िम्मेदारी भी बनती है कि हम समाज से असमानता और लिंग भेद के कारण जो महिलाओं पर अत्याचार होते हैं या महिलाओं को कम करके आँका जाता है उसे समाप्त करने की दिशा में क़दम उठाएँ
संस्था की उपाध्यक्ष बानू बंसल और सदस्य सरिता रस्तोगी ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया और साथ ही पूजा श्रीवास्तव जी ने अपनी सुमधुर वाणी में स्वरचित माँ वाणी की वन्दना प्रस्तुत की |
संस्था की अध्यक्ष डॉ एस लक्ष्मी देवी ने संस्था के विषय में बताते हुए संस्था की गतिविधियों और उद्देश्यों पर बात की साथ ही श्रीमद्भगवद्गीता के एक श्लोक का उद्धरण
प्रस्तुत करते हुए संस्था के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए उनका उत्साहवर्धन भी किया की कोरोना के आतंक और लॉकडाउन के चलते हुए भी संस्था के सदस्यों ने हार नहीं मानी और टेक्नोलोजी का लाभ उठाते हुए डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपने कार्यक्रम निरन्तर करते रहे | डॉ लक्ष्मी ने इस अवसर पर एक बहुत ख़ूबसूरत गीत “उदय हुआ नवयुग का सूरज, जगी देश की नारी” अपनी सुरीली आवाज़ में प्रस्तुत किया | साथ ही उन्होंने कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ प्रभजोत कुलकर्णी के विषय में बताते हुए उनका स्वागत भी किया | संस्था की ओर से डॉ कुलकर्णी को एक प्रशस्ति चिह्न भी भेंट किया गया |
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ प्रभजोत कुलकर्णी ने WOW India के द्वारा 2019 में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रस्तुत एक नाटिका “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ हुनर सिखाओ” की चर्चा करते हुए इच्छा व्यक्त की कि हम लोग यदि स्कूल कॉलेजेज़ में भी Awareness program के अन्तर्गत इस तरह की छोटी छोटी झलकियाँ प्रस्तुत कर सकें तो अच्छा रहेगा | साथ ही ये भी कि हम लोग जिस तरह पहले स्कूल कॉलेजेज़ में हेल्थ चेकअप पर भी ध्यान दें |
उनका ये प्रस्ताव वास्तव में संस्था के लिए गौरव की बात है और इस दिशा में संस्था कार्य भी करेगी | डॉ कुलकर्णी ने इस बात पर चिन्ता भी ज़ाहिर की कि महिला दिवस पर तो हम सब महिलाओं की, कन्याओं की तारीफें करते हैं, लेकिन अभी भी समाज में बहुत सी ऐसी कुरीतियाँ विद्यमान हैं जो निकल जानी चाहियें | और ये भी कि इस कार्य के लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा – और Choose to Challenge थीम का उद्देश्य भी यही है | यदि एक महिला अपने आपमें सशक्त होगी, Perfect होगी तो उसका परिवार सशक्त होगा, परिवार सशक्त होगा तो समाज सशक्त होगा और समाज सशक्त होने से देश सशक्त होगा |
इस सबके बाद आरम्भ हुआ Award ceremony और रंगारंग कार्यक्रमों का धमाकेदार सिलसिला | इस वर्ष WOW India और DGF ने अपनी Branch Presidents को Woman of the Year Award से सम्मानित किया | Awardees हैं EDGF की President डॉ. ज्योति अग्रवाल, WOW India की सूर्य नगर ब्रांच की President अर्चना गर्ग, WOW India की योजना विहार ब्रांच की President विमलेश अग्रवाल. WOW India की IPEX ब्रांच की President रचना सरीन और WOW India की इन्द्रप्रस्थ ब्रांच की President मोनिका भार्गव |
इस अवसर पर बहुत ख़ूबसूरत नृत्य भी हमारे सदस्यों ने प्रस्तुत किये | जिनमें WOW India की यंग ब्रिगेड से नन्दिनी भार्गव, सान्या गोयल और युवी कपूर ने, WOW India की IPEX ब्रांच से रचना सरीन, अलका श्रीवास्तव और बाला अबरोल ने और सूर्य नगर ब्रांच से अर्चना गर्ग, रेखा अस्थाना, नेहा मनकानी, रूबी शोम, सुनन्दा श्रीवास्तव, उषा रस्तोगी और सुधा मनकानी ने बड़ी उत्साहपूर्ण और मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियाँ दीं | इनके अतिरिक्त मोनिका शर्मा और उनकी बेटी नव्या शर्मा ने एक बहुत
ही सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया | IPEX Branch की पूजा टंडन, वन्दना वर्मा और शिल्पी गोयल तथा योजना विहार ब्रांच की विमलेश अग्रवाल की नृत्य प्रस्तुतियाँ हम कल पहले ही यू ट्यूब पर अपलोड कर चुके थे |
अन्त में WOW India की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने WOW India के Vision & Mission से सदस्यों को अवगत कराया और फिर संस्था की उपाध्यक्ष बानू बंसल जी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ | कार्यक्रम का संचालन WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने किया | उन्होंने जिस तरह से सारे कार्यक्रम को अपनी ठहरी हुई शैली में एक सिलसिलेवार तरीक़े से कहानी बुनते हुए प्रस्तुत किया वह वास्तव में बहुत सराहनीय रहा और उसके कारण कार्यक्रम में और चार चाँद लग गए | इसके लिए लीना जैन बधाई की पात्र हैं |
आज ही हम सारे कार्यक्रम को अपने यू ट्यूब चैनल पर अपलोड करके उसका लिंक आप सबके साथ साँझा करेंगे ताकि जो लोग कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके वे भी इस कार्यक्रम का आनन्द उठा सकें |
रिपोर्ट: डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India
कल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, और ग्यारह मार्च को महाशिवरात्रि का पावन पर्व है… जब समस्त हिन्दू सम्प्रदाय पूर्ण श्रद्धाभाव से देवाधिदेव भगवान शंकर और उनकी परम शक्ति माँ पार्वती की पूजा अर्चना करेगा | जगह जगह रुद्राभिषेक किये जाएँगे | क्योंकि रूद्र तो समस्त देवों की आत्मा हैं – या यों कह लीजिये की समस्त देव रूद्र की आत्मा हैं | समस्त प्रकृति-पुरुषमय जगत रूद्र का ही तो रूप है | लेकिन एक बात जो हिन्दू मान्यता में विशेष रूप से पाई जाती है वो ये कि कोई भी देवता अपनी शक्ति के बिना अधूरे हैं – फिर चाहें वो रूद्र ही क्यों न हों… तभी तो सती के आत्मदाह के पश्चात् शिव अपने क्रोध पर संयम न रख सके थे… कोई भी बड़ा कार्य स्वयं शंकर अपनी शक्ति माँ पार्वती के बिना नहीं कर सकते, चाहे कितने ही कामदेवों को भस्म क्यों न कर दें… क्योंकि शिव पार्वती के मिलन से ही तो जन्म लेते हैं असुरों के संहारक कार्तिकेय… जनक-जननी के आज्ञाकारी और समस्त ऋद्धि-सिद्धि-बुद्धि को देने वाले गणेश… समस्त दृश्यमान जगत प्रकृति-पुरुषमय है… प्रकृति के बिना पुरुष अपूर्ण है… और प्रकृति नारीरूपा है… स्त्री स्वयं शक्ति है… स्त्री – जो विद्यादायिनी माँ वाणी भी है तो श्रीप्रदा माँ लक्ष्मी भी है और साथ ही दुष्टों की संहारक माँ दुर्गा भी है… और आज समस्त विश्व उसी स्त्री शक्ति को नमन करने हेतु महिला दिवस मना रहा है…
जैसा कि हममें से बहुत से लोग जानते भी होंगे, इस वर्ष का महिला दिवस की थीम है “चूज़ टू चेलेंज” यानी चुनौती के लिए चुनें रखी गई है | हम सक्रिय रूप से रूढ़ियों को
चुनौती देने, पूर्वाग्रह से लड़ने, धारणाओं को व्यापक बनाने, स्थितियों को सुधारने और महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए चुन सकते हैं | हमारे विचार से इस थीम का यही आशय है कि अपने विचारों और अपने कर्तव्यों के लिए हम स्वयं उत्तरदायी हैं – हमें ज़िम्मेदारी लेनी ही होगी यदि हम एक जागरूक नागरिक कहलाना चाहते हैं | एक महिला होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम समाज से असमानता और लिंग भेद के कारण जो महिलाओं पर अत्याचार होते हैं या महिलाओं को कम करके आँका जाता है उसे समाप्त करने की दिशा में क़दम उठाएँ | महिलाओं की उपलब्धियों पर गर्वित होना सीखें | हमें यह मानना होगा कि स्त्री और पुरुष कभी भी समान नहीं हो सकते | लेकिन साथ ही ये भी सच है कि दोनों में से कोई किसी से कम नहीं है | और जब कोई किसी से कम नहीं है तो भेद भाव का फिर प्रश्न ही कहाँ रह जाता है | लेकिन ये हो रहा है | तो हमें इसी दिशा में कार्य करना है…
जब सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ? लेकिन फिर भी ऐसा माना जाता है | आख़िर क्यों ? इसके लिए हमें आत्ममन्थन की आवश्यकता होगी…
हम अपने वैदिक समाज पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होता है कि उस काल में प्रत्येक क्षेत्र में स्त्री पुरुष के कर्तव्य व अधिकार समान थे, किन्तु उनमें कर्तव्य पहले आता था – दोनों के ही लिये | वैदिक समाज में तलाक़ का प्रचलन नहीं था, किन्तु नारी को इतना अधिकार अवश्य था कि यदि पति असाध्य रोग से पीड़ित है, परस्त्रीगामी है, गुरु अथवा देवता से शापित है, ईर्ष्यालु है अथवा पत्नी के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता तो पत्नी उस पुरुष का त्याग करके एक वर्ष पश्चात् पुनर्विवाह कर सकती थी (नारदीय मनुस्मृति 15-16/1) साथ ही जो व्यक्ति अपनी सुशील, मृदुभाषिणी, गुणवती, संतानवती पत्नी का त्याग करेगा वह दण्ड का भागी होगा (नारदीय मनुस्मृति 97) इसी प्रकार स्त्रियों के साथ यदि कोई व्यभिचार करता है तो उसके लिये भी कठोर दण्ड का विधान था | इसका कारण उस समय की स्वस्थ वैवाहिक परम्परा थी | विवाह से पूर्व लड़का लड़की भली भाँति एक दूसरे को देख परख कर ही विवाह बन्धन में बंधते थे | दहेज़ जैसे घिनौने शब्द से लोग उस समय अपरिचित थे | साथ ही लड़का और लड़की दोनों को शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व और शास्त्र शास्त्रादि में निष्णात हो जाने पर ही अपना जीवन साथी चयन करने की सलाह दी जाती थी | उस समय यद्यपि तलाक़ की व्यवस्था नहीं थी फिर भी पर्दाप्रथा उस समय नहीं थी क्योंकि माना जाता था कि पर्दा स्त्री के जीवन की बहुत बड़ी रुकावट होता है | अथर्व / 7-38-4 और 12-3-52 में स्त्रियों के सभा समितियों में जाकर भाग लेने और बोलने का वर्णन आता है | उस समय की नारी प्रातः उठकर यही कहती थी कि सूर्योदय के साथ मेरा सौभाग्य भी ऊँचा उठता चला जाता है, मैं अपने घर और समाज की ध्वजा हूँ, मैंने अपने सभी शत्रु निःशेष कर दिये हैं | एक ओर जहाँ इतनी उन्नत अवस्था नारी की थी वहीं आज वह ज़रा भी सर उठाने का प्रयास करती है तो उस प्रयास को दबा दिया जाता है – कहीं खोखले हो चुके रीति रिवाज़ों की आड़ लेकर तो कहीं उसे अबला बनाकर | किन्तु क्या अपनी इस अवस्था के लिये नारी स्वयं ज़िम्मेदार नहीं है ? जब सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ?
अगर नारी खुद अपनी ताक़त को समझ जाए, खुद अपना मूल्य आँकना सीख ले, तो उसे आवशयकता ही नहीं किसी से अपना सम्मान माँगने की | माँगने से भीख मिला करती है, सम्मान नहीं | न ही सभाओं में बहस का मुद्दा बनाकर नारी को उसका सम्मान और सुरक्षा दिलाई जा सकती है | नारी को स्वयं के आत्मविश्वास में वृद्धि करनी होगी और पूरी ताक़त से समाज के बीच आना होगा | तब साहस नहीं होगा किसी में कि उसकी तरफ़ टेढ़ी आँख कर दे या उसका किसी भी प्रकार से शोषण कर सके | क्योंकि समाज की धुरी, समाज का एक सशक्त स्तम्भ नारी ही का यदि सम्मान नहीं किया जा सका, यदि उसे ही लड़ना पड़ा अपने अधिकारों और सम्मान के लिये तो ऐसे समाज का क्या हाल होगा इसका अनुमान स्वतः ही लगाया जा सकता है |
आज की नारी शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक हर स्तर पर पूर्ण रूप से सशक्त और स्वावलम्बी है और इस सबके लिए उसे न तो पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता है न ही वह किसी रूप में पुरुष से कमतर है | पुरुष – पिता के रूप में नारी का अभिभावक भी है और गुरु भी, भाई के रूप में उसका मित्र भी है और पति के रूप में उसका सहयोगी भी – लेकिन किसी भी रूप में नारी को अपने अधीन मानना पुरुष के अहंकार का ही द्योतक है | हम अपने बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखाएँ चाहे सम्बन्ध कोई भी हो… पुरुष को शक्ति की सामर्थ्य और स्वतन्त्रता का सम्मान करना ही चाहिए…
देखा जाए तो नारी सेवा और त्याग का जीता जागता उदाहरण है, इसलिए उसे अपने सम्मान और अधिकारों की किसी से भीख माँगने की आवश्यकता नहीं… सभी को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ…
WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. Here is the Rashtragan by the Government Body members of WOW India…
WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. Here, Dr. Purnima Sharma, Secretary General giving an introduction of the program…
WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. On this occasion, Dr. Sharada Jain, Chairperson of WOW India, expressed her views on the empowerment of women…
WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. On this occasion, Dr. S. Lakshmi Devi, President of WOW India informed the audience about the journey of WOW India from the beginning till now…
International women’s day award ceremony – organized by WOW India & Delhi Gynaecologist Forum on 8th March 2020 in IPEX Bhavan, Patparganj, Delhi. A soulful speech by Didi Ma Sadhwi Ritambhara Ji on this occasion… Must watch…
WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day
with a colorful event. The theme of the program was safety of women and with a small dialogue on the same subject, the members of WOW India started the program.
The conceptualization & script-writing was of Dr. Purnima Sharma, Secretary General of WOW India, which was directed by the Cultural Secretary of WOW India Leena Jain. WOW India President Dr. S. Lakshmi Devi with Banu Bansal, Dr. Ruby Bansal, Dr. Priya Kapoor, Dr. Deepika Kohli, Dr. Rashmi Jain, Dr. Indu Tyagi, Sarita Rastogi and Sushma Aggarwal presented it with full enthusiasm. After that, Dr. Sharada Jain, Chairperson of WOW India, expressed his views on the empowerment of women and Dr. S. Lakshmi Devi, President of WOW India informed the audience about the journey of WOW India from the beginning till now. Leena Jain successfully conducted the program.The main attraction of the program was to listen to Didi Maa Sadhvi Ritambhara ji. Didi Maa Narrated the journey of women started from Vedic period to modern period, also suggested that it’s the duty of a woman to give good values to her children since childhood – especially boys – so that they can learn to respect other women.Renowned Kathak dancer Ms. Prerana Shrimali of Jaipur Gharana was awarded with International Women’s Day Legendary Award for her unprecedented contribution in the field of classical dance. She is an Inspiration for all gurus to keep alive the “Guru-Shishya tradition”, an important part in the field of arts like music & dance. Speaking on this occasion, Prerana ji also worried that why half the population of the world, i.e. women, are considered lower than the men? Why are girls still banned from leaving the house after dusk in many places? And even if they have to go, the brother will accompany them – even if that brother is ten years younger than them? In fact, these are such burning questions that we all have to find answers together.Apart from this, the highly qualified Dr. Deepti Nabh was awarded with the Excellence Award for her commendable contribution in the field of women’s health. Dr. Nabh is Senior Consultant Obstetrician & Gynaecologist & Infertility Expert. Ms. Yogita Bhayana was awarded with the Excellence Award – for the work she is doing in the field of social service – especially for rape victims. Mrs. Amropali Gupta, the famous Odissi dancer, awarded with the Excellence Award in the field of music and art. Some Appreciation Awards were given. Awardees are: Dr. Meenakshi Sharma in the field of health, Mrs. Bimlesh Agarwal of Yojana Vihar branch, Mrs. Sunita Arora of Indraprastha branch and Mrs. Vandana Verma of IPEX branch in the field of social service, Mrs. Rekha Asthana of Surya Nagar branch in the field of education and Mrs. Rajeshwari Bhargava of Indraprastha Branch in the field of music and dance. Mrs. Savita Kripalani of Surya Nagar branch and Mrs. Parul Sharma of Indraprastha branch – who provides Consultancy Services under the name Study Seven seas for students wishing to pursue medical studies abroad – were honored as Best Co-Ordinator. Suryanagar and Indraprastha branches were awarded with Best Branch awards in various fields.
Members of all the branches and members of the Delhi Gynaecologist Forum presented colourful programs. The most attractive program was the classical dance of Amropali Gupta’s two disciples, Anupriya Sharma and Sanwari Singh.