Call Us:

+91-11-22414049, 22453724

Email Us:

info@wowindia.info

bookmark_borderSudden Cardiac Arrest

Sudden Cardiac Arrest

Today we received a bad news that TV serial Anupama fame actor Rituraj Singh passed away due to a

Dr. Priya Kapur
Dr. Priya Kapur

 Sudden Cardiac Arrest. All of his fans are shocked. Nowadays we are hearing a lot about Sudden Cardiac Arrest. Basically this is a life style disease. I asked my dear friend and Joint Secretary of WOW India Dr. Ruby Bansal about this and she sent this article “Understanding Sudden Cardiac Arrest: A Simple Guide for Public Awareness” which I am publishing here. Dr. Ruby Bansal is a Preventive Health & Infectious Diseases Specialist. She is MD, fellow HIV Medicine (MAMC,Delhi) and Fellow Infectious Diseases (CMC, Vallore ). Must read the article… Dr. Priya Kapoor, Editor WOW India’s Website…

 

Sudden Cardiac Arrest

A Simple Guide for Public Awareness

Satish Kaushik · Sidharth Shukla · Om Puri · Inder Kumar · Reema Lagoo · Farooq Shaikh · KK· Raju Srivastav and now actor Ritu raj died of cardiac arrest. So many deaths due to heart illness.

Why it’s happening ?

Dr. Ruby Bansal
Dr. Ruby Bansal

Understanding Sudden Cardiac Arrest: A Simple Guide for Public Awareness

Introduction: Sudden Cardiac Arrest (SCA) is a serious and life-threatening condition that can happen to anyone, anywhere, and at any time. It occurs when the heart suddenly and unexpectedly stops beating, leading to a lack of blood flow to the brain and other vital organs.

SCA is different from a heart attack, and it requires immediate action for the best chance of survival.

Causes: SCA can be caused by various factors, including heart rhythm disorders (arrhythmias), structural heart problems, or other underlying health conditions. Some common causes include coronary artery disease, heart muscle disorders, and electrical problems in the heart.

Symptoms: Unlike some other heart conditions, SCA often occurs without warning signs.

However, in some cases, people may experience symptoms such as dizziness, fainting, chest pain, or shortness of breath before a cardiac arrest happens. It's important to note that not everyone will have warning signs, making awareness and preparedness crucial.

Risk Factors: Certain factors may increase the risk of SCA, including a history of heart disease, family history of sudden cardiac arrest, smoking ,alcohol high blood pressure, diabetes, and a sedentary lifestyle and most important and dangerous is stress. And one more reason is excessive sudden exercise. Understanding these risk factors can help individuals take proactive steps to reduce their chances of experiencing SCA.

Immediate Response: The key to improving survival rates during SCA is prompt action. If you witness someone collapsing and suspect SCA, follow these steps:

  1. Call for help: Dial emergency services immediately.
  2. Start CPR: Begin cardiopulmonary resuscitation (CPR) by giving chest compressions. Push hard and fast in the centre of the chest at a rate of about 100-120 compressions per minute.
  3. Use an AED: If available, use an automated external defibrillator (AED) if trained to do so. AEDs can analyse the heart's rhythm and deliver a shock if necessary, helping to restore normal heart function.

Prevention: While SCA cannot always be predicted or prevented, adopting a heart-healthy lifestyle can significantly reduce the risk. This includes regular exercise, maintaining a balanced diet, avoiding tobacco and excessive alcohol consumption, and managing stress.

Regular health check-ups and screenings are also essential for identifying and managing potential risk factors.

Conclusion: Increasing public awareness about sudden cardiac arrest is vital for saving lives.

Understanding the causes, recognizing the symptoms, and knowing how to respond quickly can make a significant difference in the outcome. By taking preventive measures and being prepared, individuals can contribute to a safer and healthier community.

Ask questions if any we will be happy to answer all your queries.

DR Ruby Bansal

Preventive Health & Infectious Diseases Specialist

MD, fellow HIV Medicine (MAMC,Delhi)

Fellow Infectious Diseases (CMC, Vallore )

 

 

 

 

bookmark_borderअनीमिया मुक्त भारत

अनीमिया मुक्त भारत

दिनांक 3 जून 2023 को WOW India के सौजन्य से YWA के प्रांगण में ‘अनिमिया मुक्त भारत’ योजना के तहत अनिमिया परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रक्त परीक्षण के साथ-साथ आगामी पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में पौधारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। आयोजन की सार्थकता को और बढ़ाया श्रीमति प्रिया गुप्ता ने जिन्होंने फेंके जाने वाले अवशेष खाद्य पदार्थों से खाद बनाना सिखाया।

भारत विकास परिषद, प्रांत महिला प्रमुख तथा WOW India की ‘अनिमिया मुक्त भारत’ योजना की संयोजिका श्रीमति अर्चना गर्ग ने सुगमता से हमारे आस-पास उपलब्ध सामग्री से एंजाइम बनाना सिखाया तथा उसके उपयोग पर भी चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्रीमति इंदु गुप्ता ने तथा सहयोगी रहीं इनर व्हील संस्था की सचिव श्रीमति मधुबाला, श्रीमति शशि कुमार, श्रीमति अनीता, भारत विकास परिषद सूर्य नगर शाखा की कार्यक्रम संयोजिका श्रीमति अनुभा पांडे व अन्य कर्मठ महिला कार्यकर्ता।

WOW India की ओर से श्रीमति स्वाती ने YWA छात्रावास की कुछ 67 युवतियों तथा स्टाफ का रक्त परीक्षण किया। मानक से कम हिमोग्लोबिन होने पर संबंधित महिलाओं को दवा या आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। यह एक सूचनापरक, जागरूकता कार्यक्रम रहा जिसे सभी के द्वारा सराहा गया।

अनीमिया मुक्त भारत
अनीमिया मुक्त भारत

bookmark_borderA report of Kavya Sandhya

A report of Kavya Sandhya

29 अप्रैल 2023 की काव्य सन्ध्या की रिपोर्ट

29 अप्रैल 2023 को इन्द्रप्रस्थ विस्तार स्थित IPEX भवन में WOW India की ओर से एक काव्य सन्ध्या का सफल आयोजन किया – जिसमें साहित्य मुग्धा दर्पण नाम की साहित्यिक संस्था भी भागीदार बनी | कार्यक्रम की अध्यक्षता की पुणे से पधारे और DRDO के वैज्ञानिक डॉ हिमाँशु शेखर ने | कार्यक्रम का आरम्भ रूबी शोम ने सरस्वती वन्दना से किया | उसके बाद साहित्य मुग्धा दर्पण की अध्यक्षा श्रीमती रेखा अस्थाना ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली स्वरचित कविता का पाठ भी किया | तत्पश्चात WOW India की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कार्यक्रम के विषय में बात करते हुए गंगा सप्तमी और सीता नवमी की प्रासंगिकता और उनमें निहित सन्देशों के विषय में बात की | साथ ही अपनी कविता “आओ शब्दों को चहका दें, अर्थों को सार्थकता दे दें” का पाठ भी किया | और फिर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ हिमाँशु शेखर की आज्ञा से काव्य सन्ध्या का विधिवत आरम्भ हुआ | हिमाँशु जी ने व्यंग्य रचना “नरकगामी” के साथ ही कुछ आशु कविताओं और कुछ अन्य कविताओं का पाठ किया |

श्री ­R K Rastogi जी की कविता में संविधान संशोधन और रोज़गार के अवसरों के सन्दर्भ थे तो पूनम गुप्ता ने “माँ” को समर्पित कविता का पाठ किया | नीरज सक्सेना ने भी पहले “माँ” के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ पढ़कर “मैं रोती आँखों का अश्रु हूँ” शीर्षक से बड़ी जोश और भावपूर्ण कविता का पाठ किया | पूजा भारद्वाज ने भी अपनी कविता के माध्यम से “माँ” का ही स्मरण किया | पुनीता सिंह की रचना भी प्रभावशाली रही | नूतन शर्मा की कविता “कैसे वो बिताया” में एक सैनिक की पत्नी की कथा व्यथा ध्वनित हुई तो उन्होंने एक माहिया भी गाकर सुनाया | कार्यक्रम का आकर्षण रही मुकेश आनन्द जी की रचना “लक्ष्मण को प्राणदण्ड” | इस कविता को रामायण की एक कथा को आधार बनाकर लिखा गया था | एक प्रसंग आता है कि एक बार यम श्री राम के साथ कुछ मन्त्रणा करने आए | किन्तु उन्होंने श्री राम से एक वचन माँगा कि जितनी देर मन्त्रणा चलेगी उतनी देर कोई व्यवधान नहीं उपस्थित करेगा – और यदि ऐसा होता है तो आप मर्यादा की रक्षा करते हुए उसे प्राणदण्ड देंगे | भगवान राम इस पर सहमत हो गए और उन्होंने अपने सबसे प्रिय अनुज लक्ष्मण को द्वार की रक्षा हेतु नियुक्त कर दिया | इसी बीच परम क्रोधी ऋषि दुर्वासा भी वहाँ आ गए | लक्ष्मण ने उन्हें बहुत रोकना चाहा किन्तु वे नहीं माने तो लक्ष्मण को बरबस भीतर जाकर भाई को उनके आगमन की सूचना देनी पड़ी | राम ने दुर्वासा ऋषि का स्वागत सत्कार तो किया – किन्तु यम को दिए वचन के अनुसार उन्हें लक्ष्मण को मृत्युदण्ड देना था क्योंकि उन्होंने मन्त्रणा में व्यवधान उपस्थित किया था | बड़ी कठिन स्थिति थी | तब उनके गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें सुझाव दिया कि अपने किसी प्रिय का त्याग भी उसकी मृत्यु के समान ही होता है, अतः तुम अपने वचन का पालन करने के लिए लक्ष्मण का त्याग कर दो | लक्ष्मण ने कहा कि श्री राम से दूर जाना उनके लिए मृत्यु से भी अधिक कष्टकारी होगा – इसलिए वे उनकी मर्यादा और वचन का पालन करते हुए अपने शरीर का त्याग कर देंगे – और उन्होंने जल समाधि ले ली | मुकेश जी ने इस घटना का वर्णन के साथ ही और भी कुछ प्रसंगों को उठाते हुए एक परिकल्पना प्रस्तुत की कि यदि राम और लक्ष्मण आज जीवित होते तो लक्ष्मण और उनके मध्य किस प्रकार का वार्तालाप होता | रचना वास्तव में अत्यन्त प्रभावशाली थी |

कार्यक्रम का समापन सभी रचनाकारों के सम्मान के बाद WOW India की Senior Vice President श्रीमती बानू बंसल जी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ | कार्यक्रम में WOW India की कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती अर्चना गर्ग सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे | कार्यक्रम का सफल संचालन WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने किया |

कार्यक्रम से पूर्व स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता के लिए उपस्थित सदस्यों के HB और Thyroid की जाँच भी की गई |

बहुत शीघ्र ही कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी, तब तक प्रस्तुत हैं कार्यक्रम के कुछ चित्र…

डॉ पूर्णिमा शर्मा…

 

bookmark_borderअनीमिया मुक्त भारत कैम्प सूर्य नगर

अनीमिया मुक्त भारत कैम्प सूर्य नगर

अनीमिया मुक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए WOW India की सूर्य नगर शाखा द्वारा भारत विकास परिषद के सहयोग से 18 अप्रैल को वसुन्धरा ग़ाज़ियाबाद स्थित सेवा भारती विद्यालय में एक चैकअप कैम्प लगाया गया जिसमें 95 बच्चों और बड़ों के हीमोग्लोबिन की नि:शुल्क जाँच की गई | इस जाँच में अधिकाँश बच्चों का हीमोग्लोबिन उचित मात्रा में पाया गया | जिन लोगों का कम रहा उनके लिए WOW India की अनुभा पाण्डेय और अर्चना गर्ग जी ने कुछ खान पान सम्बन्धी सुझाव दिए और रक्ताल्पता दूर करने के लिए उपयुक्त विटामिन्स लेने की सलाह दी |

इस अवसर पर WOW India की Vice President श्रीमती बानू बंसल, सूर्य नगर ब्रांच की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना गर्ग, श्रीमती रेखा अस्थाना, श्रीमती कविता भाटिया, श्रीमती अनुभा पाण्डेय, श्रीमती रूबी शोम  सहित WOW India की सूर्य नगर शाखा के भी अनेक सदस्य उपस्थित रहे और कैम्प लगाने में उन्होंने अपना सहयोग प्रदान किया |

हम हर सप्ताह इसी प्रकार के कैम्पस लगा रहे हैं… उनकी पूर्व सूचना आपको दे दी जाएगी ताकि आप भी इन कैम्पस का लाभ उठा सकें…

सादर: डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India

Anemia free India movement
Anemia free India movement

 

Related Images:

bookmark_borderमहारानी अहिल्याबाई होल्कर अवार्ड्स

महारानी अहिल्याबाई होल्कर अवार्ड्स

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

25 फरवरी को पटपड़गंज स्थित IPEX भवन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत में WOW India द्वारा श्री लक्ष्मणदास चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का आरम्भ रेणु कुमार की प्रस्तुति “सरस्वती वन्दना” के साथ किया गया | इस अवसर पर बोलते हुए संस्था की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में बोलते हुए कहा कि आज की नारी अबला नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य कर रही है | वही सृष्टि पर जीवन लाती है, वही उसका पालन पोषण करके उसे परिवार-समाज-देश के लिए उपयोगी मनुष्य बनाती है – और साथ ही अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को भी पूर्ण करती हुई समाज की प्रगति में योगदान देती है | पुरुष भी अपनी इच्छाओं महत्त्वाकांक्षाओं की परवाह किये बिना अपने उत्तरदायित्वों का पालन करता है – इस तरह स्त्री पुरुष दोनों की समान भूमिकाएँ हैं | किन्तु समस्या तब होती है जब बहुत सी जगहों पर पुरुष अपने त्याग की गाथा गाकर स्त्री के त्याग को नकारने का प्रयास करता है – इसी बात को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है | और इसके लिए स्त्री को स्वयं प्रयास करना होगा |

संस्था की President डॉ लक्ष्मी ने एक ओर जहाँ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जीवन और कृतित्व पर चर्चा की – क्योंकि 13 फरवरी को श्रीमती नायडू का जन्म दिवस था – तो दूसरी ओर महारानी अहिल्याबाई होल्कर के विषय में बात की – कि अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने के लिए WOW India द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले पुरुस्कारों को क्यों इस वर्ष से “महारानी अहिल्याबाई होल्कर” के सम्मान में दिया जा रहा है | महारानी अहिल्याबाई होल्कर के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान के विषय में बताया |

संस्था की Chairperson डॉ शारदा जैन ने अपने वक्तव्य में Anaemia Free Movement में योगदान के लिए WOW India की सभी Volunteers का आह्वान किया |

रंगारंग कार्यक्रम
रंगारंग कार्यक्रम

इस अवसर पर डॉ शारदा जैन को उनके मार्गदर्शन के लिए, डॉ पूर्णिमा शर्मा को संस्था के लिए किए गए उनके अथक प्रयासों के लिए तथा श्रीमती अर्चना गर्ग को समाज सेवा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया | प्रसिद्ध ओड़िसी नृत्यांगना श्रीमती आम्रपाली गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम कि शोभा बधाई, तो दूसरी ओर श्रीमती अमृता पचौरी और डॉ चन्दरलता ने अपनी कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया |

इस सबके अतिरिक्त Health Awareness के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए डॉ आभा शर्मा और डॉ ममता ठाकुर को, Education & Literature के क्षेत्र में डॉ प्रिया गुप्ता और पूजा भारद्वाज को, Music & Arts के क्षेत्र में निधि भुट्टन, रेणु कुमार और प्रीति तण्डन को और Social Work के क्षेत्र में श्रीमती सुनन्दा श्रीवास्तव, श्रीमती ऋतु भाटिया और श्रीमती शारदा मित्तल को Maharani Ahilyabai Holkar Excellence Award से सम्मानित किया गया |   

इसी तरह Health Awareness के क्षेत्र में डॉ. आशा साहे, डॉ शमा बत्रा और डॉ रश्मि नागपाल अरोड़ा को, Education & Literature के क्षेत्र में श्रीमती कविता भाटिया और श्रीमती कृष्णा भाटिया को, Music & Arts के क्षेत्र में श्रीमती उषा रुस्तगी, श्रीमती रुक्मिणी नैयर और कुमारी नन्दिनी भार्गव को, तथा Social Work के क्षेत्र में श्रीमती नीना दुग्गल, श्रीमती सुनीता अरोड़ा, श्रीमती गीता अग्रवाल और श्रीमती वनिता जैन को Maharani Ahilyabai Holkar Appreciation Award से सम्मानित किया गया |

प्रस्तुत हैं कार्यक्रम कि कुछ झलकियाँ…

डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General, WOW India

 

bookmark_borderसर्वाइकल कैंसर के लक्षण कारण और बचाव

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण कारण और बचाव

Dr. Shama Batra
Dr. Shama Batra

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत अभियान” के अन्तर्गत इसके लक्षण, कारण और इससे बचाव के सन्दर्भों में पूछे गए बहुत से प्रश्नों के उत्तर दे रही हैं डॉ शमा बत्रा… बहुत ही उपयोगी वार्ता… अवश्य पढ़ें… MBBS, MD (OBG), FICOG डॉ शमा बत्रा पटेल हॉस्पिटल में Medical Superintendent हैं… Also, she is Former Secretary of Indian Medical Association (EDB), Former Fin. Secretary of Indian Medical Association (EDB), Co-chairperson Women Doctor’s Welfare Association, Secretary of WDW (IMA), Delhi, Executive Member of EDGF/EDB, Chairperson of IMA Mission Pink Health, Delhi Member of FOGSI, AOGD, FEMGENCON, ISAR, FETAL Medicine, HEALTHY INDIA TRUST and is a part of many social organizations… लेख के साथ दिए गए चित्र डॉ बत्रा और उनकी होनहार सुपुत्री दिशा बत्रा ने बनाए हैं… एक अच्छी जानकारी के लिए एक बार अवश्य पढ़ें इस लेख को… डॉ पूर्णिमा शर्मा…

  • सवाल : सर्विक्स कैंसर क्या है ?

सर्विक्स बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है | यह महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाता है | एचपीवी वायरस का संक्रमण कारण होता है | त्वचा से त्वचा के सम्पर्क, कई लोगों से संबंध से होता है | यह संक्रमण रोकने के उपाय न करने से होता है |

  • सवाल : इसके लक्षण क्या हैं ?

    Cervical Cancer
    Cervical Cancer

एचपीवी वायरस के संक्रमण के लक्षण तो नहीं दिखते हैं | इससे अनियमित रक्तस्राव, संबंध के दौरान रक्तस्राव, व्हाइट डिस्चार्ज जैसा होना, भूख कम लगती है |

  • सवाल : किन कारणों से होता है ?

ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में यह सबसे ज्यादा होता है | सही तरीके से जननांग की सफाई न करना, असुरक्षित यौन संबंध और धूम्रपान भी इसके प्रमुख कारण है |

  • सवाल : किन जांचों से पहचानते हैं ?

21-40 वर्ष तक पैपस्मीयर, एचपीवी डीएनए टेस्ट कराना चाहिए | रिपोर्ट में गड़बड़ी पर काल्पोस्कोपी (दूरबीन आधारित जांच), बायोप्सी करते हैं |

  • सवाल : एचपीवी इंफेक्शन क्या है ?

ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) द्वारा संक्रमण इस कैंसर का प्रमुख कारण है | इस वायरस के कई प्रकार होते है | इस संक्रमण से बचाव के लिए  टीके उपलब्ध हैं | टीका चार प्रकार के वायरस एचपीवी (06, 11, 16, 18) से बचाता है | इसकी तीन खुराक होती है | 10-45 की उम्र की महिलाएं ये टीका लगवा सकती हैं | शादी या संबंध स्थापित होने से पहले लगवाने से ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं |

  • सवाल : बचाव के लिए क्या करें ?

गर्भाशय के मुंह के कैंसर से बचाव के लिए 10-45 की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन लगवाएं | इसकी तीन डोज होती है, यह छह माह में लगती है | 21 वर्ष के बाद हर महिला को स्क्रीनिंग करानी चाहिए | स्क्रीनिंग से कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान से इलाज आसान होता है | 30 से 65 की उम्र के बीच पैप स्मीयर व एचपीवी, डीएनए टेस्ट

Cervical Cancer Free India
Cervical Cancer Free India

किया जाता है | यदि दोनों टेस्ट सामान्य है तो महिला की स्क्रीनिंग पांच वर्ष बाद करते हैं |

Cervical Cancer Mukta Bharat

Let’s join WHO”s global movement of 90%,70%,90%

to eliminate Cervical Cancer

So let’s join Together we can achieve🤝🤝

@DrShamaBatra

🙏😊🙏

bookmark_borderसर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत

Dr. Chanderlata
Dr. Chanderlata

सर्विक्स यानी गर्भाशय का सबसे निचला भाग – जिसे गर्भाशय कि ग्रीवा भी कहा जाता है – उसमें होने वाला कैंसर “सर्वाईकल कैंसर” कहलाता ही | यह एक बहुत घातक कैंसर है | WOW India और DGF द्वारा चलाए जा रहे “सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत” अभियान

के अन्तर्गत WOW India के Doctors Group की सदस्य डॉ चन्दरलता – जो EDGF की भी सदस्य हैं और पिछले 38 वर्षों से मरीजों कि सेवा में रत एक जानी मानी Obst. & Gynaecologist हैं – का लेख प्रस्तुत है… एक बार पढ़ें अवश्य… डॉ पूर्णिमा शर्मा…

सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत” अभियान

गर्भाशय के मुंह का है ये कैंसर, महिलाओं में नम्बर 2 का है ये कैंसर

हमारी महिलाओं को इसके कारणों और जांच का नहीं है ज्ञान, हमें उन्हें देना है,सरल भाषा में इसका ज्ञान

किशोरावस्था जीवन का, सबसे नाज़ुक मोड़ है

जिज्ञासा और बेचैनी का कैसा अद्भुत जोड़ है   

संभल संभल कर चलना ये जीवन अनमोल है , इस लिए 9-45 की उम्र में सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण भी अनमोल है

ह्उमन पैपिलोमा वायरस, करता है —99% संक्रमण

इससे बचने का सरल उपाय —90%

 टीकाकरण

सरल जांच है पैप समियर, महिलाओं को समझाना है बारम्बार

करवा लें गर 70% महिलाएं ये जांच

Cervical Cancer
Cervical Cancer

सर्वाइकल कैंसर भागे उल्टे पांव

पैप समियर देता है डाक्टर को, शीघ्र कैंसर का संज्ञान

फिर सर्वाइकल कैंसर का होता पूर्ण निदान

समय पर टीकाकरण, पैप समियर और शीघ्र इलाज

इस जागरूकता से बना सकेंगे, सर्वाइकल कैंसर मुक्त समाज

चलो मिलकर फैलाएं सर्वाइकल कैंसर मुक्त अभियान चहूं ओर

गलती से ना छूटे जिंदगी की कोई डोर

आओ मिलकर संकल्प लें, जागरूकता अभियान चलायेंगे

भारत को शीघ्र ही सर्वाइकल कैंसर मुक्त बनायेंगे

डॉक्टर  चन्द्र लता

        🌹🌹🤝🤝🤝🤝🤝🌹🌹

bookmark_borderRecipe of Amle ka Halwa

Recipe of Amle ka Halwa

Rekha Asthana
Rekha Asthana

आँवले का हलवा और कार्तिक पूर्णिमा – रेखा अस्थाना

आँवले के गुणों के विषय में तो हम सभी जानते हैं | और ठण्ड के मौसम में जब ताज़ा ताज़ा आँवला आता है तब तो कई तरह से उसे काम में लिया जाता है | इसी तरह से आज हम बनाते हैं आँवले का हलवा… स्वास्थ्यवर्द्धक भी और खाने में स्वाद भी…

  • सामग्री :
  • आधा किलो आँवला
  • चीनी आधा किलो (पर यह आपके स्वाद पर भी निर्भर करता है)
  • एक टुकड़ा दालचीनी
  • एक छोटी इलायची
  • एक लौंग लें पीस कर पाउडर बना कर रख लें
  • एक बड़ा चम्मच देसी घी |
  • विधि :
  • आँवले को थोड़ा पानी डालकर स्टीम दें | तीन स्टीम के बाद उतार कर, ठण्डा होने पर उसकी गुठली अलग कर उसे मिक्सी में पीस लें | कढ़ाई गर्म कर उसमें घी डालें और पीसे आँवले को खूब भूनें |
  • इधर चीनी की एक तार की चाशनी बनाकर तैयार रखें | जब आँवले का पानी सूख जाए तब उस चाशनी को आँवले के पेस्ट में डालकर चलाएँ | फिर चुटकी भर जो आपने मसाला बनाया था डालकर खूब चलाएँ | सूखने पर उतार लें |
  • बर्फी की विधि :

अब अगर आप इसी पेस्ट में भुना हुआ सिंघाड़े का आटा मिला देंगे तो यह थोड़ा कड़ा पड़ जाएगा | इन दोनों को अच्छे से मिलाएँ | उसे आप थाली में घी लगा कर जमाकर बर्फी का आकार दे सकती हैं | ऊपर से ड्राईफ्रूट्स से डेकोरेट भी कर सकती हैं |

  • फायदे :
  • इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन, कैल्शियम, व विटामिन सी होता है | इसे आप रोटी, पराठे या फिर ब्रेड में लगाकर बच्चों को दे सकती हैं | यह रक्त की कमी की पूर्ति कर आँखों की रोशनी के लिए भी फायदेमंद है | नियमित उपयोग से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं |

    Different uses of Amla
    Different uses of Amla
  • थोड़ा कसैला अवश्य रहता है पर गुणकारी सोने के समान है |
  • शुगर पेशेंट्स चीनी का उपयोग सोच समझ कर करें |
  • बुजुर्गों की कहावत :

बुजुर्गों का कहा और आँवले का खाया बाद में नजर आता है |

  • सामाजिक दायित्व :
  • कार्तिक मास भर संपन्न व्यक्ति को किसी न किसी रूप में आँवले का दान गरीबों को अवश्य करें क्योंकि वे खरीद कर नहीं खा पाते | छठपूजा में भी आँवला चढ़ता है और प्रसाद रूप में सभी को दिया भी जाता है |
  • एक आँवले का गुण एक तोले सोने के समान है |

किसी भी प्रकार की मेरी त्रुटि के लिए क्षमा👏हम फिर मिलेंगे आँवले के साथ किसी अन्य रूप में |

रेखा अस्थाना

bookmark_borderAmla ki Chutney

Amla ki Chutney

कार्तिक, अगहन और पूस

Rekha Asthana
Rekha Asthana

खाओ आँवले की चटनी और पीयो तरकारी का गर्म सूप

प्रकृति – वह भी भारत देश की – जहाँ नाना प्रकार की साग सब्जियाँ व फल होते हैं जो शरीर के लिए औषधि का कार्य करते हैं पर हमें सही जानकारी न होने के कारण हम इनका इस्तेमाल कम करते हैं | हमारे बुजुर्ग कहा करते थे कि अगर हम केवल मौसमी फलों और साग सब्ज़ियों का ही भोजन में प्रयोग करें तो रोगों से कोसों दूर रह सकते हैं | आजकल आँवलो पर बहार आई हुई है… जी हाँ, आँवलों का मौसम चल रहा है और आँवले स्वास्थ्य के लिए कितने अधिक उपयोगी होते हैं ये हम सभी जानते हैं | कई तरह से आँवलों का प्रयोग किया जाता है | और अगर उनकी चटनी बनाकर खाई जाती है तब तो सेहत के साथ साथ खाने का स्वाद भी दोगुना बढ़ जाता है… तो आइये आज मैं आपको आँवले की चटनी प्रतिदिन खाने के लिए बनाने की विधि बता रही हूँ…

  • सामग्री
  • आँवले चार – काटकर गुठली अलग करें व बारीक टुकड़ों में काट लें
  • हरी धनिया पचास ग्राम
  • लहसुन यदि खाते हों तो पाँच कली छीलकर
  • हरी मिर्च सात या आठ या फिर स्वादानुसार
  • दो चम्मच सफेद सूखे तिल (तवे में हल्के लाल कर हल्का सा पीस लें)

    Recipe of Amla ki Chutney
    Recipe of Amla ki Chutney
  • एक चम्मच ऑलिव ऑइल यदि हो तो
  • नमक स्वादानुसार
  • विधि— इस सारी सामग्री को अच्छी प्रकार धोकर मिक्सी में पीसकर एक छोटे जार में रखें फिर उसमें भुने दरबराए तिल व ऑलिव ऑइल को मिलाकर रखें | प्रतिदिन अपने प्रियजन को प्रेम से परोसें |
  • फायदे— आपको सर्दी-जुकाम से दूर रखे, इम्यून सिस्टम ठीक रखेगा, शरीर में आयरन व कैल्शियम की कमी को पूरा करेगा । बाल आँखों के लिए  हितकर |

रोज खाइए और खिलाइए | क्योंकि यह बिना बताए पुण्य का बैलेंस बढ़ाता जाता है | जब हम स्वस्थ रहेंगे तो देश पर बोझ नहीं बनेंगे न |

“बुजुर्गों की गाथा व आँवले का खाया” बाद में पता चलता है |

और हाँ, त्रुटि के लिए क्षमा करियेगा क्योंकि डाक्टर हमसे अधिक  जानते हैं।👏😊

रेखा अस्थाना

bookmark_borderThere is victory beyond fear

There is victory beyond fear

डर के आगे जीत है

Katyayani Dr. Purnima Sharma
Katyayani Dr. Purnima Sharma

आज हर कोई डर के साए में जी रहा है | कोरोना ने हर किसी के जीवन में उथल पुथल मचाई हुई है | आज किसी को फोन करते हुए, किसी का मैसेज चैक करते हुए हर कोई डरता है कि न जाने क्या समाचार मिलेगा | जिससे भी बात करें हर दिन यही कहता मिलेगा कि आज उसके अमुक रिश्तेदार का स्वर्गवास हो गया कोरोना के कारण, आज उसका अमुक मित्र अथवा परिचित कोरोना की भेंट चढ़ गया | पूरे के पूरे परिवार कोरोना की चपेट में आए हुए हैं | हर ओर त्राहि त्राहि मची हुई है | साथ ही, जब समाचार मिलते हैं कि ऑक्सीजन की कमी है या लूट हो रही है, दवाओं की जमाखोरी के विषय में समाचार प्राप्त होते हैं तो इस सबको जानकार भयग्रस्त होना स्वाभाविक ही है | लेकिन हम एक कहावत भूल जाते हैं “जो डर गया वो मर गया” और “डर के आगे जीत है”… जी हाँ, डरने से काम नहीं चला करता | किसी भी बात से यदि हम भयभीत हो जाते हैं तो इसका अर्थ है कि हमारी संकल्प शक्ति दृढ़ नहीं है… और इसीलिए हम उस बीमारी को या जिस भी किसी बात से डर रहे हैं उसे अनजाने ही निमन्त्रण दे बैठते हैं… और समय से पूर्व ही हार जाते हैं… हम यह नहीं कहते कि कोरोना से डरा न जाए… बिल्कुल डरना चाहिए… लेकिन इसलिए नहीं कि हमें हो गया तो क्या हो गया… बल्कि इसलिए कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए हम कोरोना के लिए बताए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें…

डर तो किसी भी बात का हो सकता है | किसी को अपनी असफलता का भय हो सकता है, कोई भविष्य के विषय में चिन्तित हो सकता है, कोई रिजेक्ट किये जाने के भय से चिन्तित हो सकता है, किसी को अपना कुछ प्रिय खो जाने का भय हो सकता है, किसी को दुर्घटना का भय हो सकता है तो किसी को मृत्यु का भय और भी न जाने कितने प्रकार के भयों से त्रस्त हो सकता है | इसका परिणाम क्या होता है… कि हम अपना वर्तमान का सुख भी नहीं भोग पाते | जो व्यक्ति डर डर कर जीवन यापन करता है वह कभी प्रसन्न रह ही नहीं सकता |

हम अपने भयों से – परिस्थितियों से – पलायन कर जाना चाहते हैं | उनका सामना करने का साहस हम नहीं जुटा पाते | लेकिन हर समय डर डर कर जीना या परिस्थितियों से पलायन करना तो समस्या का समाधान नहीं | इससे तो परिस्थितियाँ और भी बिगड़ सकती हैं | क्योंकि नकारात्मकता नकारात्मकता को ही आकर्षित करती है – Negativity attracts negativity” इसलिए सकारात्मक सोचेंगे तो हमारे चारों ओर सकारात्मकता का एक सुरक्षा चक्र निर्मित हो जाएगा और हम बहुत सीमा तक बहुत सी दुर्घटनाओं से बच सकते हैं | प्रयोगों के द्वारा ये बात सिद्ध भी हो चुकी है अनेकों बार |

तो डर को दूर भगाने के लिए सबसे पहले हमें उसका सामना करने की सामर्थ्य स्वयं में लानी होगी | इसके लिए सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना होगा कि हाँ हम भयग्रस्त हैं | और फिर जिस बात से भी हम डरे हुए हैं वह बात हमें कितना बड़ा आघात पहुँचा सकती है इस विषय में सोचना होगा कि यदि हम डरकर बैठ रहे तो हमारी हार होगी और उसका कितना बड़ा मूल्य हमें चुकाना पड़ सकता है | कितना कष्ट हमें उस परिस्थिति से हो सकता है जिसके विषय में सोच कर भी हमें डर लगता है इस विषय में भी सोचना होगा | और तब अपने भीतर से ही हममें साहस आएगा कि या तो हम उस परिस्थिति को आने ही न दें, और यदि आ भी जाए तो साहस के साथ उसका सामना करके उसे हरा सकें |

आज जिस प्रकार से ऑक्सीजन के लिए, दवाओं के लिए मारामारी मची हुई है वह सब भय के ही कारण है और उसका लाभ जमाखोरों और कालाबाज़ारी करने वालों को मिल रहा है | जिन लोगों को अभी कोरोना के लक्षण नहीं भी हैं या कम लक्षण हैं वे भी घबराकर दवाओं और ऑक्सीजन के लिए भागे भागे फिर रहे हैं | अस्पतालों में बेड के लिए भागे फिर रहे हैं | इन लोगों के डर के ही परिणामस्वरूप जमाखोरों और कालाबाज़ारी करने वालों की चाँदी हो रही है | जबकि डॉक्टर्स बार बार कह रहे हैं कि यदि हल्के से लक्षण हैं तो अस्पताल की तरफ मत देखिये – घर में रहकर ही डॉक्टर की बताई दवा समय पर लीजिये, प्राणायाम कीजिए, मास्क और साफ़ सफाई का ध्यान रखिये और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए – ऐसा करके आप घर में रहकर ही रोगमुक्त हो जाएँगे, और जमाखोरों तथा कालाबाज़ारी करने वालों को भी अवसर नहीं मिलेगा कि वे ऑक्सीजन और दवाओं को इकट्ठा करके मनमाने दामों में बेचकर जनता को लूट सकें | बीमारी की आग पर अपनी रोटियाँ सेंकने वाले राजनेताओं की बन आती है |

जिन लोगों ने इस आपदा के कारण अपने प्रियजनों को खोया है उनका कष्ट समझ में आता है | या जिन लोगों ने कोरोना को झेला है उनकी चिन्ता भी समझ में आती है | लेकिन यदि थोड़ी समझदारी और शान्ति से काम लिया जाए तो और अधिक नुकसान होने से बचाया जा सकता है | अभी दो दिन पहले सभी ने एक समाचार अवश्य देखा पढ़ा होगा कि किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति ने एक युवक के लिए अस्पताल का अपना वो बेड छोड़ दिया जो उन्हें उनके परिवार वालों ने बड़ी भाग दौड़ के बाद दिलाया था | उनका कहना था कि “मैं तो अपना जीवन जी चुका, अब इन्हें इनका जीवन जीने देना है…” और घर वापस जाने के दो दिन बाद स्वर्ग सिधार गए | ये तो एक समाचार है, बहुत से ऐसे उदाहरण मानवता के आजकल सुर्ख़ियों में हैं |

रामायण में प्रसंग आता है कि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों के कोप के कारण हनुमान जी अपनी शक्ति भुला बैठे थे | भगवान श्री राम ने जब उन्हें लंका जाने के लिए कहा तो उन्होंने असमर्थता प्रकट की | तब जामवन्त ने उनके गुणों का बखान उनके समक्ष किया और इस प्रकार उन्हें उनकी शक्ति का आभास कराया और वे “राम काज” करने में समर्थ हो सके | इसलिए व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य कभी नहीं भूलनी चाहिए और समय पर उसका सदुपयोग करना चाहिए | और आज ये महामारी हमारे लिए जामवन्त बनकर आई है जो हमें सीख दे रही है कि हमें अपनी सामर्थ्य को नहीं भूलना चाहिए | और इस महामारी के समय सबसे बड़ी शक्ति यही है कि हम सभी सुरक्षा नियमों का पालन करें और यदि हलके लक्षण कोरोना के हैं भी तो घर में रहकर ही डॉक्टर की बताई दवा समय पर लें, अकारण ही घर से बाहर न जाएँ, मास्क लगाएँ, उचित दूरी बनाकर रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें, एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आएँ, वैक्सीन लें, बीमारी के सम्बन्ध में नकारात्मक तथा डराने वाले समाचारों को देखने सुनने से बचें… और सबसे बड़ी शक्ति ये कि घबराएँ नहीं और संकल्प शक्ति दृढ़ बनाए रहें ताकि कोरोना से लड़ाई में जीत सकें… माना अभी समय कुछ अच्छा नहीं है – लेकिन ये समय भी शीघ्र ही निकल जाएगा – इस प्रकार की सकारात्मकता का भाव बनाए रखें… क्योंकि सकारात्मकता किसी भी विपत्ति को दूर करने में सहायक होती है…

सुख जाता है दुःख को देकर, दुःख जाता है सुख को देकर |

सुख देकर जाने वाले से डरना क्या इस जीवन में ||

__________________कात्यायनी