अनीमिया मुक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए WOW India की सूर्य नगर शाखा द्वारा भारत विकास परिषद के सहयोग से 18 अप्रैल को वसुन्धरा ग़ाज़ियाबाद स्थित सेवा भारती विद्यालय में एक चैकअप कैम्प लगाया गया जिसमें 95 बच्चों और बड़ों के हीमोग्लोबिन की नि:शुल्क जाँच की गई | इस जाँच में अधिकाँश बच्चों का हीमोग्लोबिन उचित मात्रा में पाया गया | जिन लोगों का कम रहा उनके लिए WOW India की अनुभा पाण्डेय और अर्चना गर्ग जी ने कुछ खान पान सम्बन्धी सुझाव दिए और रक्ताल्पता दूर करने के लिए उपयुक्त विटामिन्स लेने की सलाह दी |
इस अवसर पर WOW India की Vice President श्रीमती बानू बंसल, सूर्य नगर ब्रांच की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना गर्ग, श्रीमती रेखा अस्थाना, श्रीमती कविता भाटिया, श्रीमती अनुभा पाण्डेय, श्रीमती रूबी शोम सहित WOW India की सूर्य नगर शाखा के भी अनेक सदस्य उपस्थित रहे और कैम्प लगाने में उन्होंने अपना सहयोग प्रदान किया |
हम हर सप्ताह इसी प्रकार के कैम्पस लगा रहे हैं… उनकी पूर्व सूचना आपको दे दी जाएगी ताकि आप भी इन कैम्पस का लाभ उठा सकें…
सादर: डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India
कल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है और हिन्दुओं का इन्द्रधनुषी पर्व होली भी | अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस और होली की सभी को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ…
सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ? आज की नारी शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक हर स्तर पर पूर्ण रूप से सशक्त और स्वावलम्बी है और इस सबके लिए उसे न तो पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता है न ही वह किसी रूप में पुरुष से कमतर है | पुरुष – पिता के रूप में नारी का अभिभावक भी है और गुरु भी, भाई के रूप में उसका मित्र भी है और पति के रूप में उसका सहयोगी भी – लेकिन किसी भी रूप में नारी को अपने अधीन मानना पुरुष के अहंकार का द्योतक है | हम अपने बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखाएँ चाहे सम्बन्ध कोई भी हो… पुरुष को शक्ति की सामर्थ्य और स्वतन्त्रता का सम्मान करना चाहिए… देखा जाए तो नारी सेवा और त्याग का जीता जागता उदाहरण है, इसलिए उसे अपने सम्मान और अधिकारों की किसी से भीख माँगने की आवश्यकता नहीं…
पर्वों के इस अवसर पर WOW India के साहित्यकृतिक ग्रुप के साहित्यकारों ने कुछ रचनाएँ प्रेषित की हैं जो प्रस्तुत हैं… साथ ही, महिला दिवस की बात करते हैं तो महिलाओं के सर्वांगीण विकास की बात होती है – और यह तभी सम्भव है जब हर महिला स्वस्थ होगी – उसका शारीरिक-मानसिक-भावनात्मक-शैक्षणिक-आर्थिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य उत्तम होगा | तो सबसे पहली आवश्यकता है शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक करने की | हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर हमारी संस्था “एनीमिया मुक्त भारत” की दिशा में भी अग्रसर है, इसके अतिरिक्त महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर – जिसके कारण हर वर्ष न जाने कितनी महिलाएँ असमय काल के गाल में समा जाती हैं – को भी जड़ से उखाड़ फेंकने में अपना योगदान दे रही है | इस ग्रुप की दो सदस्य चिकित्सा क्षेत्र से सम्बद्ध हैं – डॉ नीलम वर्मा – जो हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, और डॉ चन्द्रलता – जो महिला और प्रसूति रोग विशेषज्ञ यानी गयनाकोलोजिस्ट हैं… इन्होंने इन्हीं दोनों विषयों पर भी अपनी रचनाएँ प्रेषित की हैं जो इस काव्य संकलन के अन्त में आपको उपलब्ध होंगी |
तो, प्रस्तुत हैं ये रचनाएँ… इस आशा और विश्वास के साथ कि हम अपने महत्त्व और प्रतिभाओं को समझकर परिवार, समाज और देश के हित में उनका सदुपयोग करेंगी…
अगर हम ठान लें मन में – कात्यायनी…
अगर हम ठान लें मन में, तो सागर पार कर जाएँ |
अगर हम ठान लें मन में, शिखर पर्वत के चढ़ जाएँ ||
नहीं समझो हमें दुर्बल, है साहस से भरा ये मन |
कहीं अन्याय देखें हम, तो चामुण्डा भी बन जाएँ ||
हमीं को लेखनी पूजे, मुखरता हमसे शब्दों में |
हटाने आवरण अज्ञान, माँ वाणी भी बन जाएँ ||
कोई मिल जाए भूखा या कि नंगा इस धरा पर, तो
लुटाकर सम्पदा अपनी, हमीं लक्ष्मी भी बन जाएँ ||
हमीं गंगा, हमीं यमुना, हमीं से है त्रिवेणी भी |
करें जो आचमन इनका, सभी पापों से तर जाएँ ||
______कात्यायनी डॉ पूर्णिमा शर्मा, Secretary General WOW India और इस वेबसाइट की एडिटर
Greetings on the occasion of International Women Day
Dr. S Lakshmi Devi, President WOW India
My greetings to all the members of WOW India on 8th March 2023 on the occasion of International Women’s Day. This year the day coincides with festival of Holi, may this festival bring good tidings to all of you. Every day should be celebrated as women’s day as the mother is the centre of every family and it is her love and sacrifice by which the family binds together.
This year the theme for the Women’s Day is “Digit All – Innovation and Technology for Gender Equality” From online learning and digital activism to the rapid expansion of high-paying tech jobs, the digital age has generated unprecedented opportunities for the empowerment of women and girls. But advancing technology is also introducing new forms of inequality and heightened threats to their rights and well-being. We find that women are using the digital technology, however they are not represented in the mainstream. In fact, as digital technology is advancing there is fear that the gender gap is widening, therefore women have to be trained in all the fields.
I congratulate the Executive of WOW India for using the digital platform during Covid times and even now to educate the women on various medical problems which they face and how to take care of them. Further, WOW India has encouraged many women to showcase their talents. On the occasion of Women’s day we are showcasing the poems written by our members. All these will be uploaded on our website and I congratulate all the members who have written the poems.
Here I would like to bring forth the fact that National Women’s Day is celebrated on 13th February every year and it happens to be the birthday of Sarojini Naidu who was a political activist, feminist, poet, and the first Indian woman to be president of the Indian national Congress and was also the first women to be appointed as Indian state governor. She was called “the Nightingale of India.” Or “Bharat Kokila” by Mahatma Gandhi. I am sure you are budding poetess & poets and will become well known poets in the times to come. My best wishes to all of you.
______Dr. S Lakshmi Devi, President WOW India
काव्य संकलन
हम नारियां किसी से नहीं कम – रेखा अस्थाना…
आओ उड़ चलें हम सभी इस उन्मुक्त गगन में |
सदियों से जो पंख बंधे थे, आज खोल उन्हें फैलाएँ |
जहाँ आनन्द हो सर्वत्र समाया, उसको ढूंढ आज निकालें |
पंख फैलाकर उड़ते -उड़ते, हम आँचल में खुशियाँ समेटें |
आओ अपने से करें हम प्यार, हर नारी को यही समझाएँ |
हर कोने में प्यार बरसाएँ, नाचे गाएँ ,खुशियाँ मनाएँ
नहीं कम अपने को कभी आँकें |
सृष्टि का हर कोना हमसे ही है सुन्दर होता,
अपनी इस महत्ता को आज जग को बतलाएँ |
जहाँ पग पड़ जाए नारी के धूल वह चंदन बन जाती |
उसकी पगधूलि की सुगन्ध से ही वायु मलयानिल कहलाती |
फिर आओ इन पंखों से पूरी वसुधा में उड़ आएँ
कोने कोने में उड़ हर ओर स्नेह की धार बहाएँ |
आज मिला है अवसर सखियों, आओ गगन की सैर कर आएँ |
कोई नारी न रह जाए वंचित इससे, उसको सजग कर आएँ |
सबला नारी – उषा गुप्ता, मुम्बई…
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,
हूँ खा़न ज्ञान की मैं, हैं विभिन्न प्रकार के हीरे जिसमें,
बन प्रहरी हूँ करती हूँ रक्षा जल् थल और आकाश के सीमा की,
रहती हर पल तैयार छुड़ाने को छक्के दुश्मनों के,
है इच्छा तीव्र मार गिराऊँ अनगिनत सैनिक दुश्मनों के,
है नहीं डर खा गोली सीने पर, गवाँ दूं प्राण देश के लिये,
हाँ हूँ सतर्क-हाँ हूँ सतर्क, न लगे गोली कभी पीठ पर |
नही हूँ आश्रित पुरूष पर, हूँ आत्मनिर्भर मैं,
घर ही नहीं चलाती केवल, वरन् हो आसीन पद पर मुखिया के,
चलाती हूँ देश विदेश के बड़े-बड़े सगंठन, रहती हूँ कार्यरत रात और दिन,
चला सुचारू रूप से पहुँचा देती हूँ उन्हें शिखर पर सफ़लता के |
अब तो है राजनीति में भी बोल-बाला मेरा,
मिला है सर्वोच्च सम्मान होने का प्रधान अनेक राष्ट्रों में |
कैसे हो सकती हूँ मैं अबला बोलो गाड़ दिया है जब झंड़ा
आंतरिक्ष में भी मैने |
हैं अधूरे हर मैदान खेल के आज बिन मेरे,
किया है नाम ऊँचा देश विदेश में मैनें,
भर दियें हैं कक्ष स्वर्ण, चाँदी व ताँबे के मेडल से |
नहीं हूँ अबला अब मैं, करना न कन्यादान मेरा माँ-पापा,
उबार सकती हूँ कष्टों से अनेकों को आवश्यकतानुसार,
दे विद्या दान, कर चिकित्सा, अथवा आर्थिक सहायता,
हूँ सक्षम देने में क़ानूनी सहायता भी,
लहरा रहा परचम आज मेरा प्रत्येक क्षेत्र में,
है न कोई भी कर्म भूमि अछूती अब मुझसे,
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,
न करना पुरूष हिम्मत तुम करने की खिलवाड़ लाज से मेरी,
न ही करना चेष्टा डालने की नज़र बुरी मुझ पर,
कर दूँगी सर्वनाश तुम्हारा धर रूप काली का,
नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं ||
मेरी बेटी, माँ बन कर आई – प्राणेन्द्र नाथ मिश्र, कोलकाता…
मेरी बेटी, माँ बन कर आई
फिर देखभाल करने मुझको
वह वत्सलता लेकर आयी
फिर हाथ मेरे सिर पर रखकर
मेरी माँ जैसे, वह मुसकायी
मेरी बेटी, माँ बनकर आयी |
अब यह खाओ, अब वह खाओ
और मीठा, तुम्हें नही खाना!
मत पड़े रहो बिस्तर पर यों
क्या ‘वाक’ पे तुम्हें नही जाना?
ममता भर झिड़की, दुहराई
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
पापा! सीढ़ी पर सावधान !
और कैप लगा लो सिर पर भी
क्यों इतना लाद के लाये हो?
सब्जी तो पड़ी हुयी है अभी !
क्यों दवा सुबह की नहीं खायी?
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
दोनो बेटी, दो आँख मेरी
इनसे मैं देखता हूँ भविष्य
बेटी अनमोल प्रकृति-रचना
नारी तू! एक अप्रतिम रहस्य !
बेटी, नारी की परछाईं
मेरी बेटी माँ बन कर आयी |
उजाले हज़ार रखती हूँ – डॉ नीलम वर्मा…
शमा हूँ , नूर पे सब अख्तियार रखती हूँ
मैं अपनी लौ में उजाले हजार रखती हूँ
क़दम क़दम पे मिलें ख़ार कितने भी लेकिन
मैं अपने रुख़ पे कली सा निखार रखती हूँ
जो नफ़रतों की हर इक डोर काट देती है
मधुर सी बोली में कुछ ऐसी धार रखती हूँ
जो मुश्किलों से कभी ज़िन्दगी मिरी गुज़रे
तो हिम्मतें भी ज़रा बे-शुमार रखती हूँ
ख़िज़ाँ ने जब भी गुलिस्ताँ को ख़ाक कर डाला
मैं भीगी आँख में ख्वाबे बहार रखती हूँ
ये कायनात मोहब्बत से चलती आई है
इसी के ज़ोर पे मैं ऐतबार रखती हूँ
मैं टूटे सुर को भी जोड़ देती हूँ ‘नीलम’
हर इक सदा में सुरीला सितार रखती हूँ
हक़ीक़त है लड़की – डॉ मंजु गुप्ता…
लड़की कोई ख़बर नहीं कि छपवाकर अखबार में
दिए जाएँ फ़तवे
न कोई हादसा कि निकालकर जुलूस
किये जाएँ शोक प्रस्ताव
न इश्तहार कि दिल पर हाथ रख
किये जाएँ सीत्कार
हक़ीक़त है लड़की जीती जागती, मरती, खपती, जूझती
सब कुछ के बावजूद, सपने देखती हक़ीक़त
न अच्छी, न बुरी, न सुन्दर, न असुन्दर
सिर्फ़ लड़की
प्याज़ के छिलकों सी असलियत को लपेटे
रोज़ रोज़ बेरहमी से छीली जाती हक़ीक़त
लड़े कोई, जीते या हारे कोई
हर मोर्चे पर लहू लुहान होती है वही
दोनों ओर से मारी जाती है, बिना लड़े लड़की
विजय पदक ले जाता है कोई और
पर जीते जी खुदती हाँ क़ब्र उसी की
जलाई जाती है वही
लटकाई जाती है बार बार, ज़िन्दगी की सूली पर लड़की
नहीं बनती मसीहा, न पाती है गौरव शहादत का
देह पर हज़ारहा भूकम्प सहती
सुलगती है ज्वालामुखी सी, भीतर ही भीतर
मर मर कर जीती है टाज़िन्दगी, हक़ीक़त जो ठहरी
मौत को गले लगा, मुक्त हो जाए
ऐसी कहाँ क़िस्मत
जब तक है सृष्टि, जीना है उसे
देना है जन्म, करना है सृजन, पोषण
ख़ुद हाशिये पर रहकर
औरत और पेड़ – गुँजन खण्डेलवाल – बैतूल, मध्य प्रदेश…
औरत और पेड़ मुझे एक से लगते हैं
खुश हो तो दोनों फूलों से सजते हैं |
दोनों ही बढ़ते और छंटते हैं
इनकी छांह मे कितने लोग पलते हैं |
देना देना और देना ही इनकी नियति है
औरों की झोली भरना दोनों की प्रकृति है |
धूप और वर्षा सहने की पेड़ मे शक्ति है
दुःख पीकर चुप रहना औरत ही कर सकती है |
पेड़ का तना, शाखा फल-फूल सब काम आते हैं
औरत की मेहनत से मकाँ घर हो जाते हैं |
ज्यों पेड़ कुल्हाड़ी का वार सह जाते हैं
औरत का दर्द आँसू कह जाते हैं |
पेड़, जल और मरुस्थल में भी उगता है
औरत का मन गरल पीकर भी सुधा सा पगता है |
पेड़ चाहता है कुछ पानी कुछ खाद
औरत जानती है सिर्फ प्यार का स्वाद |
औरत और पेड़ में एक अबूझ रिश्ता है
जो दोस्ती से मिलता जुलता है |
जिसमें करीबी और दूरियाँ आसपास है
जन्म से अलग सही पर साथ-साथ है |
पेड़ को औरत देती कुछ श्रद्धा, कुछ पानी
बदले में पाती तुलसी दल और कहानी |
अँजुरी में सहेज जिन्हें औरत हो जाती सयानी
पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती औरत और पेड़ की कहानी |
पेड़ और औरत में फर्क बेमानी है
आदतन दोनों ही रोमानी हैं |
इनसे ही जीवन की रवानी है
धरा इन से ही सुहानी है |
इसलिए,
औरत और पेड़ मुझे एक से लगते हैं
खुश हों तो दोनों फूलों से सजते हैं
दोनों एक से लगते हैं |
महिला दिवस के अवसर पर कुछ दोहे – नीलू मेहरा, कोलकाता…
नारी ही नारी दिखे, सभी क्षेत्र में आज |
अद्भुत शोभित हो रहा, उसके सिर पर ताज ||
नारी को उत्थान को, कभी न देना रोक |
जिस पथ आगे बढ़ रही, मत देना तुम टोक ||
नारी को तुम मान दो, और करो सम्मान |
नारी से ही बढ़ रही,भारत की नित शान ||
घर जन्नत रहता सदा, नारी से कर प्यार |
वरना यह जीवन रहे, दु:खों का भण्डार ||
नारी चुप-चुप सी रहे, हरदम रहती मौन |
मन में पलते क्लेश को, जान सके है कौन?
माँ बेटी, भगिनी सभी, सब नारी के रूप |
प्रिया बनी वो संगिनी, देवी रूप अनूप ||
सीता, राधा, द्रौपदी, सब भारत की नार |
नाम अमर इनका हुआ, माने यह संसार ||
दुर्गा, लक्ष्मी, कालिके, माता के हैं रूप |
सदा पूज्य पीताम्बरी, देवी रूप अनूप ||
गीतों की महफ़िल सजी, लता नाम आधार |
आशा, ऊषा, शारदा, सब जाती हैं हार ||
जगदम्बे माँ अम्बिके, दिव्य मात के नाम |
माँ शुभदा अम्बे कृपा, करती अपना काम ||
हेमा, रेखा, वाहिदा, अभिनय करे कमाल |
इनकी फिल्मों के लिये, दर्शक हैं बेहाल ||
द्रौपदी मुर्मू, कल्पना, खूब रचा इतिहास |
लक्ष्मीबाई, पार्वती, अन्तस् करती वास ||
अन्तस् कोमल है बड़ा, फिर भी है बलवान |
थाह बड़ी मुश्किल लगे, कैसे पाये जान ||
नारी सीमा है अजब, कहीं नुपुर झंकार |
देश शत्रु के सामने, हो ऊॅंची तलवार ||
भारत की गरिमा बढ़ी, नारी के ही साथ |
हर नर के उत्थान में, केवल उसका हाथ ||
जल, थल, अंबर में रचा, नारी ने इतिहास |
उसके अद्भुत ज्ञान का, हुआ खूब अहसास ||
मैं नीलू भी नार हूँ, कभी न मानूँ हार |
गायन, लेखन से भरा, मेरा यह संसार ||
ना ही मैं बेचारी हूँ – रूबी शोम…
निर्बल क्षीण नहीं मैं अबला, ना ही मैं बेचारी हूं |
मैं हूं नारी कई रूप मेरे, मैं दुर्गा काली कल्याणी हूं |
मां बहन बेटी पत्नी का रुप धरा, सब कर्तव्य पूर्ण मैं करती हूं |
नहीं देखती धूप छांव, ना सुबह शाम का भान मुझे
मैं निभाती हूं हर धर्म अपना, नहीं जरा सकुचाती हूं |
जब करे कोई मन पर प्रहार, तब मैं ज्वाला बन जाती हूं |
ममत्व का है अधिकार मुझे, मैं बस स्नेह लुटाती हूं |
तन मन धन सब करती न्यौछावर, जीवन अर्पण कर देती हूं |
दुराचारी की देख कुदृष्टि, मैं काली रुप धर लेती हूं |
निर्बल क्षीण नहीं मैं अबला, ना ही मैं बेचारी हूं ||
आ गया महिला दिवस डॉ हिमांशु शेखर, दिल्ली (दरभंगा बिहार)…
आ गया महिला दिवस, सारे मनाने हैं चले |
और महिला है अलग, नारी बताने हैं चले |
आधुनिक नारी हुई, महिला यही तो रीति है |
पश्चिमी है सोच भारत, में निभाने हैं चले |
जो हुई शिक्षित तथा, है स्वाबलंबी भी बनी |
शक्तिशाली है, शहरवासी बनाने हैं चले |
ईंट, पत्थर से बनी दीवार, सीमा थी कभी |
और चौखट लाँघकर जो, खुद कमाने हैं चले |
देखिए ममता बढ़ी हर, घर चली आवाज है |
रंग अपना खूबसूरत, अब जमाने है चले |
प्रेम करती, त्याग करती, जो बनी लक्ष्मी कभी |
क्षेत्र कोई भी रहे सब, आजमाने हैं चले |
आज सेवा भाव की चौखट, पुरानी हो गई |
बढ़ गई महिला अभी, आगे दिखाने हैं चले |
मार्च का दिन आठ है, पर्याय है जो शक्ति का |
है नहीं उसकी जरूरत, जो सिखाने हैं चले |
शक्ति, सेवा, रोजगारों, में दिखे महिला सदा |
क्या जरूरी है अभी जो, हम मनाने हैं चले?
सीखना महिला सभी से, आधुनिक रीवाज है |
है दिवस महिला, पुरुष, उसको मनाने हैं चले |
अर्थ महि का है धरा, जो ला रही महिला कहो |
और महिमा की बनी, पर्याय ताने हैं चले |
कह रहा शेखर सभी, महिला अभी ताकत बनी |
आज उनका नाम ले, दुनिया जिताने हैं चले |
मैं भारत की नारी हूँ – डॉ रश्मि चौबे…
शिक्षित हूँ,संस्कारी हूँ, हाँ सशक्त हूँ, कमजोर नहीं,
मैं भारत की नारी हूँ |
कभी दुर्गा,कभी कल्पना चावला बन जाती हूँ,
लक्ष्मी सा है रूप मेरा , सरस्वती सी बातें हैं, पर हद् पार करे कोई तो, रानीलक्ष्मीबाई बन जाती हूँ या कहूँ तो भावनाकाँत ( पहली लेफ्टिनेंट कमाण्डर)बन जाती हूँ |
शिक्षित हूँ,संस्कारी हूँ, सशक्त हूँ, कमजोर नहीं, मैं भारत की नारी हूँ |
संस्कारी हूँ,चुप रह जाती हूँ,
बच्चे खुश रहें इसलिए, होंठों पर मुस्कान सजाती हूँ,
चरित्र, संस्कार ही गहने हैं मेरे, पर दोनों परिवारों का मान बढाने, गहने सुन्दर कपडों से सज जाती हूँ, बिंदी सिंदूर लगाकर, शान से इतराती हूँ, मैं भारत की नारी हूँ |
हिन्दी देवनागरी लिपि से है पहचान मेरी,
पर भावनाओं को समझाने, अन्य भाषा भी बोल जाती हूँ,
विश्व बंधुत्व का भाव निभाउं तो, अंतर्राष्ट्रीय तो क्या ब्रम्हाण्डीय भी बन जाती हूँ |
कोमल हूँ, कमजोर नहीं मैं भारत की नारी हूँ |
शिक्षित हूँ, संस्कारी हूँ, सशक्त हूँ, कमजोर नहीं,
मैं भारत की नारी हूँ |
वरदान चाहिए – अमृता पचौरी…
मेरे रिश्ते किताबों में, मेरे अपने किताबों में |
हुए टुकड़े मेरे, जब जब मिले हिस्से किताबों में ||
समझना है जो औरत को पहुंच जाओ ज़रा दिल तक |
मिले जो दुःख कभी उसको नहीं दिखते किताबों में ||
मुझे पूरा इक जीवन चाहिए
बस एक दिन पर मेरे दस्तख़त का क्या अर्थ है
अगर मेरा सब कुछ नहीं
तो जो दे दिया वो व्यर्थ है
पर अब तय किया है मैंने
अपनी ऊर्जा का ख़ुद निर्माण करना है
समाज कितनी भी कठिनाई दे
मुझे सब कुछ स्वयं आसान करना है
आज के इस दिन ये शपथ लेती हूँ
अब चाँद बन के नहीं जीना है
चाँद तारों को मुट्ठी में भरना है
अब तुम तय नहीं करोगे मैं सोचूंगी कि मुझे क्या करना है
मुझे किसी का अपमान नहीं करना
मुझे मेरे लिए सम्मान चाहिए
मैं सभी का ध्यान रखती हूँ
अब मेरे लिए भी मुझे आपसे ध्यान चाहिए
बहुत साधारण सी ज़िद है मेरी
मुझे कब कोई आपसे वरदान चाहिए
कितना महिला दिवस है सार्थक – नीरज सक्सेना…
महिला दिवस पर मिली शुभकामना
सुन ममता का मन हुआ अनमना
क्योंकि सच को झूठ रहा हैं ढक
सदा जनमन का भाव रहा हैं पृथक
पढ़ा था बचपन मे देवी का स्वरूप
मैं ही समस्त धरा में ममत्व का रुप
जननी हूँ मैं जीवन का अटल स्रोत
प्रीतम पे वारी मैं प्रेम से ओत प्रोत
जानें कितनी गाथाएँ अनगिनत रचनाएं
मंदिर मंदिर हैं मेरी ही पावन प्रतिमाएं
किंतु सत्य विपरित मैं रही अभागी
बन राम की संगनी, गयी मैं त्यागी
दुःखो के भवसागर में, मैं डूबी अथाह
बन सती जनमन हेतु स्वीकारती चिता
नारी पूज्य जीवन जननी लगे मिथ्या
देव श्राप से पाषाण बनती मैं अहिल्या
लखन चले राम संग कुछ न कहती
मै सहर्ष विरह की अग्नि को सहती
वर्तमान में भी अस्तित्व की पुकार हूँ
सृजन में क्रीड़ामयी साज श्रंगार हूँ
प्रेयसी, भगनी, संगनी, माँ बनती
धूप की भांति मैं संबंधों में उतरती
अनायास जीवन मे आता हैं प्रलाप
जब भेदता शब्द, अभिशाप सा तलाक
सुनना, सुन कर सबके मन का बुनना
मेरी नियति जन्म जन्म जीवन जनना
चारदीवारी में मौन सावित्री सी मैं अनूप
सौंदर्य संग पलती अनेक पीढ़ा कुरूप
हाँ मैं ही हूँ प्रेम, समर्पित ममता का रूप
पर मिथ्या सा लगता मैं हूँ देवी स्वरूप
पूछें जीवन जननी की दबी सिसक
कहो कितना महिला दिवस हैं सार्थक
क्योंकि सच को झूठ रहा हैं ढक
सदा जनमन का भाव रहा हैं पृथक
एक स्त्री की सैनिक से अपनी तुलना – वैभवी…
तुम सैनिक हो मैं भी हूं सैनिक
तुम अनुशासित मैं भी हूं,
तुम उठते पहली किरण पर
मैं भी उठती सुबह सवेरे ||
देश की रक्षा कर्तव्य तुम्हारा
घर की रक्षा दायित्व हमारा
तुम्हारे शस्त्र गोला बारूद
मेरे अस्त्र बेलन झाड़ू ||
देश की सेवा करते तुम भी
मैं भी घर की सेवा करती
देश प्रेम पर तुम लुट जाते
मैं अपनों पर प्रेम लुटाती |
तुम हो मेरे जैसे या
मैं हूं तुम्हारे जैसी
देश है तुम्हारा समर्पण
घर है मेरा समर्पण ||
स्वाभिमान – मीना कुण्डलिया…
सहना नहीं अपमान है, जीना है अब स्वाभिमान से,
लड़नी है खुद की ही लड़ाई हौसले और आत्मविश्वास से,
अब ना आयेगा कोई कृष्ण, खुद असीमित अपना चीर कर,
हृदय विचारों के महाभारत से खुद हासिल अपनी जीत कर,
अब नहीं कोई अग्निपरीक्षा, खुद को तू खुद सिद्ध कर,
अस्तित्व की ये लड़ाई, बेबाकी से लड़ के जीत कर,
सबल होकर यूं निडर हो, बचा आत्मसम्मान को ,
सिंदूर भी गहना है तेरा, पर बेबस और लाचार नहीं,
स्वाभिमान का गहना पहन कर, जीना है अब सम्मान से
सहना नही अपमान है, जीना है अब सम्मान से !!
नारी: एक आह्वान – प्राणेन्द्रनाथ मिश्र…
तुम्हें पुरुष समान कहूँ कैसे ?
नारी ! तुम पुरुष से आगे हो,
नौ मास पुरुष को गर्भ में रख
दिन रात, सजग, तुम जागे हो I
पुरुषार्थ की तुम हो प्रथम रश्मि,
आलोकित करती पुत्रों में,
तुम प्रथम गुरु हो मानव की
तुम ‘राम’ बनाती चरित्रों में I
तुम सरस्वती हो वीणा में
तुम कोयल हो, नीरवता की,
तुम ज्वाला हो, पद्मिनी रूप
राणा के कौशल-क्षमता की I
हे पृथा रूप, संसृति – जननी !
शिव, शव है, शक्ति विहीन यथा ,
बिन सीता, राम का शौर्य व्यर्थ
बिन पांचाली, नहीं कृष्ण कथा I
पुरुषों को बना कर शाखाएं
वट-वृक्ष सदृश तुम खडी हुयीं,
परिवार बचाने की खातिर
भूगर्भ- क्षेत्र में जड़ी हुयीं I
पर, शाखाएं अब विषवत हैं
ये पुरुष, लपेटे काम-नाग,
हे नारी ! या, हो जा अदृश्य
या, चंडी बन, अब जाग ! जाग!
विष-बेलि, कई उद्भित हैं अब
तेरा अस्तित्व, मिटाने को,
अब बन के कालिका, आ जाओ !
विषवत नरमुंड हटाने को !!!!
होली है… तो क्यों न कुछ होली का धमाल भी हो जाए…
राधा कृष्ण की होली – श्रीमती सुमन माहेश्वरी…
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
जहाँ राधा संग होली खेल रहे, कृष्ण चितचोर
धानी चुनरिया, राधा की लहर लहर लहराए
आसमान का नीला रंग, श्याम राधा पर लगाए
पीत रंग का लहंगा पहने, होठ गुलाबी मुस्काए
श्याम रंग ओढ़ राधा, लाल गुलाबी हो जाए
कृष्ण मन में बसे लेकिन सामना करने में सकुचाए
राधा तो चुपचाप खड़ी, लेकिन पायल ने मचाया शोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
लाल लाल गाल पर, बिन्दी भाल सजाए
कजरारे नैनों में छबि, सलोने श्याम की समाए
खनकती चूड़ियाँ, बजती पायल, मन में उमंग लाए
कहीं देख न ले कान्हा, यह सोच कर राधा शरमाए
कन्हैया से मिलने को आतुर, नाच उठा मन का मोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
धरती का रंग ले कान्हा, पास राधा के आए
टेसू के फूलों से, प्यार की पिचकारी चलाए
सागर की लहरों सा, मन हिलोरें खाए
देख कृष्ण को खड़े सामने, राधा नैन झुकाए
रंग गए दोनों एक दूजे के रंग में, राधा और नन्द् किशोर!
चलो सखि चलें, आज मधुबन की ओर
जहाँ राधा संग होली खेल रहे, कृष्ण चितचोर!!
और अब… हर तन लाल गुलाल हुआ है – कात्यायनी…
फागुन का है रंग चढ़ा लो देखो कैसा खिला खिला सा |
मस्त बहारों के आँगन में टेसू का रंग घुला घुला सा ||
राधा संग बरजोरी करते कान्हा, मन उल्लास भरा सा |
कौन किसे समझाए, सब पर ही है कोई नशा चढ़ा सा ||
बन्धन आज सभी हैं टूटे, फागुन लाल कपोल हुआ है |
मन के टेसू के संग देखो हर तन लाल गुलाल हुआ है ||
निकल पड़ी मस्तों की टोली, आज खेलने रंग की होली |
जैसे झूम झूम कर खेत खेत में, गेहूँ की हर बाली डोली ||
गोरी निरख रही दर्पण में रंग रंगा निज रूप सलोना |
यही रूप तो कर बैठा है रसिया पर कुछ जादू टोना ||
कुहुक कुहुक कर कोयलिया भी, आज मधुर एक गीत सुनाती |
और बौराए आमों पर, तोतों की टोली टेर लगाती ||
सतरंगी है हर घर आँगन, उपवन उपवन मस्ती छाई |
फूल फूल पर मस्त तितलियाँ, आज उड़ रही हैं बौराई ||
हर वन में मदिराया महुआ, खेत खेत में सरसों फूली |
लाल पलाश संग ये देखो, जंगल में भी आग है फैली ||
रश्मिरथी ने निज प्रताप से शीत लहर कुछ शान्त करी है |
इसीलिए रसरंग में डूबी, गोरी भी अब चिहुँक रही है ||
चाल चाल में मादकता, और तन मन में मीठी अंगड़ाई |
रसिया ने बंसी की धुन में, प्रेमपगी एक तान सुनाई ||
रसभीने अंगों पर देखो, रंग फाग का खूब चढ़ा है |
हर पल ही है रंग रंगीला, और हर कण उल्लास भरा है ||
दिशा दिशा में आज प्रेम का, रंग वासन्ती फैल रहा है |
तन तो भीग रहा रंगों में, मन मस्ती में झूम रहा है ||
नाच रही हर किरन किरन, मदमस्त हवा कानों में बोले |
रसिया की बंसी की धुन पर, गोरी मस्त बनी अब डोले ||
रंगोत्सव की सभी को होली के रंगों में भीगी, गुझिया की मिठास में डूबी और ठण्डाई के जादू से मदमस्त बनी उमंग और उत्साह भरी हार्दिक शुभकामनाएँ… लेकिन होली के इस हुडदंग में हमें अपने स्वास्थ्य कि अनदेखी नहीं करनी है… वह भी तब जब WOW India का गठन ही महिलाओं को उनके सर्वांगीण स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हुआ है… तो अब कुछ स्वास्थ्य के विषय में भी सोच लें… एनीमिया एक ऐसी समस्या है जिसके चलते सारा उत्साह समाप्त हो जाता है… और बहुत से रोग घेर लेते हैं… डॉ नीलम वर्मा से जानते हैं इसे दूर करने का उपाय…
अनीमिया दूर भगाओ – डॉ नीलम वर्मा…
मजबूत बनाओ भारत को
बच्चों को मिले पौष्टिक आहार
ना हो खून की कमी किसी को
करो अनीमिया का उपचार
दूध दही घी और पनीर हो
धो कर ताजे फल भी खाएँ
स्वच्छ हाथों से करें भोजन
फिर खूली धूप में धूम मचाएँ
हुकवर्म और अमीबा का है
खतरनाक संक्रमण
ये पी जाते हैं खून हमारा
करते बार बार आक्रमण
दवा से इनका करो इलाज
सेहत भरपूर बनाओ
खून की जाँच कराओ
अनीमिया दूर भगाओ
ये तो थी एनीमिया की बात… सर्वाईकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर तो ऐसी बीमारियाँ हैं कि यदि इसका समय रहते जाँच कराकर इलाज़ नहीं किया गया तो इनके कारण महिला की असमय मृत्यु भी हो सकती है… और अब तो इसकी रोक थाम के टीका भी उपलब्ध है… ब्रेस्ट कैंसर पर जागरूकता अभियान के अन्तर्गत प्रस्तुत है डॉ चंद्रलता की रचना “प्रतिबन्ध”…
प्रतिबन्ध – डॉ चंद्रलता…
प्रतिबंध लगाना है कैंसर को
बिल्कुल नहीं है डरना
सब मिलकर साथ आयें, जागरूकता फैलाते हैं
Breast Cancer को भी दूर भगाते हैं
समय-समय पर स्वयं करनी है
अपने स्तर पर, अपने स्तनों की जांच
जल्दी ही कैंसर पकड़ा जाएगा
आपके स्वास्थ्य पर नहीं आएगी आंच
मिले गर स्वयं को, Nipple से Discharge, या कोई गांठ, या Nipple में सिकुड़न
जल्दी कराओ, डाक्टर से जांच
जांचो की झोली, मारेगी कैंसर को गोली
जागरूकता की शक्ति, दूं कैंसर से मुक्ति
और अब इस संकलन के उपसंहार के रूप में हमारी स्वयं की रचना… समूची शक्ति – समूची प्रकृति नारीरूपा है, और हर नारी शक्ति और प्रकृतिरूपा है… अर्थात समस्त आदि-अन्त सब कुछ उसी में निहित है…
मुझमें है आदि, अन्त भी मैं – कात्यायनी…
आदि और अन्त
मुझमें है आदि, अन्त भी मैं, मैं ही जग के कण कण में हूँ |
है बीज सृष्टि का मुझमें ही, हर एक रूप में मैं ही हूँ ||
मैं अन्तरिक्ष सी हूँ विशाल, तो धरती सी स्थिर भी हूँ |
सागर सी गहरी हूँ, तो वसुधा का आँचल भी मैं ही हूँ ||
मुझमें है दीपक का प्रकाश, सूरज की दाहकता भी है |
चन्दा की शीतलता मुझमें, रातों की नीरवता भी है ||
मैं ही अँधियारा जग ज्योतित करने हित खुद को दहकाती |
और मैं ही मलय समीर बनी सारे जग को महका जाती ||
मुझमें नदिया सा है प्रवाह, मैंने न कभी रुकना जाना |
तुम जितना भी कर लो प्रयास, मैंने न कभी झुकना जाना ||
मैं सदा नई चुनती राहें, और एकाकी बढ़ती जाती |
और अपने बल से राहों के सारे अवरोध गिरा जाती ||
मुझमें है बल विश्वासों का, स्नेहों का और उल्लासों का |
मैं धरा गगन को साथ लिये आशा के पुष्प खिला जाती ||
अभी को एक बार पुनः अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस और रंगपर्व होली की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ… कात्यायनी – WOW India के सभी सदस्यों के साथ…
A cultural program organized by WOW India as a celebration of International Women’s Day, followed by Maharani Ahilyabai Holkar Awards… Here are some glimpse…
25 फरवरी को पटपड़गंज स्थित IPEX भवन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के स्वागत में WOW India द्वारा श्री लक्ष्मणदास चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का आरम्भ रेणु कुमार की प्रस्तुति “सरस्वती वन्दना” के साथ किया गया | इस अवसर पर बोलते हुए संस्था की Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा ने महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में बोलते हुए कहा कि आज की नारी अबला नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य कर रही है | वही सृष्टि पर जीवन लाती है, वही उसका पालन पोषण करके उसे परिवार-समाज-देश के लिए उपयोगी मनुष्य बनाती है – और साथ ही अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को भी पूर्ण करती हुई समाज की प्रगति में योगदान देती है | पुरुष भी अपनी इच्छाओं महत्त्वाकांक्षाओं की परवाह किये बिना अपने उत्तरदायित्वों का पालन करता है – इस तरह स्त्री पुरुष दोनों की समान भूमिकाएँ हैं | किन्तु समस्या तब होती है जब बहुत सी जगहों पर पुरुष अपने त्याग की गाथा गाकर स्त्री के त्याग को नकारने का प्रयास करता है – इसी बात को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है | और इसके लिए स्त्री को स्वयं प्रयास करना होगा |
संस्था की President डॉ लक्ष्मी ने एक ओर जहाँ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जीवन और कृतित्व पर चर्चा की – क्योंकि 13 फरवरी को श्रीमती नायडू का जन्म दिवस था – तो दूसरी ओर महारानी अहिल्याबाई होल्कर के विषय में बात की – कि अपने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने के लिए WOW India द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले पुरुस्कारों को क्यों इस वर्ष से “महारानी अहिल्याबाई होल्कर” के सम्मान में दिया जा रहा है | महारानी अहिल्याबाई होल्कर के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान के विषय में बताया |
संस्था की Chairperson डॉ शारदा जैन ने अपने वक्तव्य में Anaemia Free Movement में योगदान के लिए WOW India की सभी Volunteers का आह्वान किया |
इस अवसर पर डॉ शारदा जैन को उनके मार्गदर्शन के लिए, डॉ पूर्णिमा शर्मा को संस्था के लिए किए गए उनके अथक प्रयासों के लिए तथा श्रीमती अर्चना गर्ग को समाज सेवा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया | प्रसिद्ध ओड़िसी नृत्यांगना श्रीमती आम्रपाली गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम कि शोभा बधाई, तो दूसरी ओर श्रीमती अमृता पचौरी और डॉ चन्दरलता ने अपनी कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया |
इस सबके अतिरिक्त Health Awareness के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए डॉ आभा शर्मा और डॉ ममता ठाकुर को, Education & Literature के क्षेत्र में डॉ प्रिया गुप्ता और पूजा भारद्वाज को, Music & Arts के क्षेत्र में निधि भुट्टन, रेणु कुमार और प्रीति तण्डन को और Social Work के क्षेत्र में श्रीमती सुनन्दा श्रीवास्तव, श्रीमती ऋतु भाटिया और श्रीमती शारदा मित्तल को Maharani Ahilyabai Holkar Excellence Award से सम्मानित किया गया |
इसी तरह Health Awareness के क्षेत्र में डॉ. आशा साहे, डॉ शमा बत्रा और डॉ रश्मि नागपाल अरोड़ा को, Education & Literature के क्षेत्र में श्रीमती कविता भाटिया और श्रीमती कृष्णा भाटिया को, Music & Arts के क्षेत्र में श्रीमती उषा रुस्तगी, श्रीमती रुक्मिणी नैयर और कुमारी नन्दिनी भार्गव को, तथा Social Work के क्षेत्र में श्रीमती नीना दुग्गल, श्रीमती सुनीता अरोड़ा, श्रीमती गीता अग्रवाल और श्रीमती वनिता जैन को Maharani Ahilyabai Holkar Appreciation Award से सम्मानित किया गया |
“सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत अभियान” के अन्तर्गत इसके लक्षण, कारण और इससे बचाव के सन्दर्भों में पूछे गए बहुत से प्रश्नों के उत्तर दे रही हैं डॉ शमा बत्रा… बहुत ही उपयोगी वार्ता… अवश्य पढ़ें… MBBS, MD (OBG), FICOG डॉ शमा बत्रा पटेल हॉस्पिटल में Medical Superintendent हैं… Also, she is Former Secretary of Indian Medical Association (EDB), Former Fin. Secretary of Indian Medical Association (EDB), Co-chairperson Women Doctor’s Welfare Association, Secretary of WDW (IMA), Delhi, Executive Member of EDGF/EDB, Chairperson of IMA Mission Pink Health, Delhi Member of FOGSI, AOGD, FEMGENCON, ISAR, FETAL Medicine, HEALTHY INDIA TRUST and is a part of many social organizations… लेख के साथ दिए गए चित्र डॉ बत्रा और उनकी होनहार सुपुत्री दिशा बत्रा ने बनाए हैं… एक अच्छी जानकारी के लिए एक बार अवश्य पढ़ें इस लेख को… डॉ पूर्णिमा शर्मा…
सवाल : सर्विक्स कैंसर क्या है ?
सर्विक्स बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है | यह महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाता है | एचपीवी वायरस का संक्रमण कारण होता है | त्वचा से त्वचा के सम्पर्क, कई लोगों से संबंध से होता है | यह संक्रमण रोकने के उपाय न करने से होता है |
सवाल : इसके लक्षण क्या हैं ?
एचपीवी वायरस के संक्रमण के लक्षण तो नहीं दिखते हैं | इससे अनियमित रक्तस्राव, संबंध के दौरान रक्तस्राव, व्हाइट डिस्चार्ज जैसा होना, भूख कम लगती है |
सवाल : किन कारणों से होता है ?
ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में यह सबसे ज्यादा होता है | सही तरीके से जननांग की सफाई न करना, असुरक्षित यौन संबंध और धूम्रपान भी इसके प्रमुख कारण है |
सवाल : किन जांचों से पहचानते हैं ?
21-40 वर्ष तक पैपस्मीयर, एचपीवी डीएनए टेस्ट कराना चाहिए | रिपोर्ट में गड़बड़ी पर काल्पोस्कोपी (दूरबीन आधारित जांच), बायोप्सी करते हैं |
सवाल : एचपीवी इंफेक्शन क्या है ?
ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) द्वारा संक्रमण इस कैंसर का प्रमुख कारण है | इस वायरस के कई प्रकार होते है | इस संक्रमण से बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं | टीका चार प्रकार के वायरस एचपीवी (06, 11, 16, 18) से बचाता है | इसकी तीन खुराक होती है | 10-45 की उम्र की महिलाएं ये टीका लगवा सकती हैं | शादी या संबंध स्थापित होने से पहले लगवाने से ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं |
सवाल : बचाव के लिए क्या करें ?
गर्भाशय के मुंह के कैंसर से बचाव के लिए 10-45 की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन लगवाएं | इसकी तीन डोज होती है, यह छह माह में लगती है | 21 वर्ष के बाद हर महिला को स्क्रीनिंग करानी चाहिए | स्क्रीनिंग से कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान से इलाज आसान होता है | 30 से 65 की उम्र के बीच पैप स्मीयर व एचपीवी, डीएनए टेस्ट
किया जाता है | यदि दोनों टेस्ट सामान्य है तो महिला की स्क्रीनिंग पांच वर्ष बाद करते हैं |
सर्विक्स यानी गर्भाशय का सबसे निचला भाग – जिसे गर्भाशय कि ग्रीवा भी कहा जाता है – उसमें होने वाला कैंसर “सर्वाईकल कैंसर” कहलाता ही | यह एक बहुत घातक कैंसर है | WOW India और DGF द्वारा चलाए जा रहे “सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत” अभियान
के अन्तर्गत WOW India के Doctors Group की सदस्य डॉ चन्दरलता – जो EDGF की भी सदस्य हैं और पिछले 38 वर्षों से मरीजों कि सेवा में रत एक जानी मानी Obst. & Gynaecologist हैं – का लेख प्रस्तुत है… एक बार पढ़ें अवश्य… डॉ पूर्णिमा शर्मा…
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि हमें गुस्सा नहीं आता, लेकिन जब कोई कुछ ग़लत बात बोल देता है तो हम अपना टेम्पर लूज़ कर जाते हैं | यानी लोग अपने गुस्से का इलज़ाम दूसरों पर डाल देते हैं कि ये तो दूसरे लोग हैं जिनके कारण हमें गुस्सा आता है | या कभी ऐसा भी होता है कि कोई बोल देता है “तुम बेवकूफ हो” और हम उसे सच मान बैठते हैं | हमारे मन में हीन भावना आ जाती है | हम अपने आपको निरर्थक समझने लगते हैं | ऐसा नहीं होना चाहिए |
कोई दूसरा आपके विषय में क्या सोचता है आप पर इस बात से कोई असर क्यों पड़े ? क्यों आप दूसरों की बातों से प्रभावित होते हैं ? आप जो हैं – जैसे भी हैं – वैसे ही हैं | किसी दूसरे के आपको बेवकूफ कहने से आप बेवकूफ नहीं हो जाते | ये उन दूसरे लोगों की धारणा है आपके विषय जो बहुत से कारणों से बन सकती है – सम्भव है किसी अन्य व्यक्ति ने उन्हें बेवकूफ़ कहा हो और उसका बदला लेने के लिए वे आपको बेवकूफ़ बोल रहे हैं | या फिर उनकी अपनी हीन भावना या कुछ भी हो सकता है | तो उस सबका असर आप पर होना ही नहीं चाहिए | आप जो हैं – जैसे भी हैं – वैसे ही हैं – और दूसरा व्यक्ति जैसा है वैसा है |
आप वैसे नहीं हैं जैसा दूसरे आपको देखना चाहते हैं | आप एक व्यक्तित्व हैं | आप दूसरों से बिल्कुल अलग हैं | कोई भी दो लोग एक जैसे नहीं हो सकते – न शक्ल सूरत में, न स्वभाव में, न गुणों में – जुड़वां बच्चों की बात अलग है – लेकिन उनके स्वभाव भी प्रायः एक जैसे नहीं होते | और कहा तो यहाँ तक जाता है कि एक ही शक्ल के सात लोग संसार के किसी भी कोने में हो सकते हैं – तो ये एक अलग बात है | कहने का मतलब यही है कि आपकी अपनी एक अलग पहचान है | आवश्यकता है अपनी उस पहचान को समझने की | आवश्यकता है अपना मूल्य जानने की | आप अपने महत्त्व खुद ही समझने लग जाएँगे तो दूसरे आपके विषय में उलटा सीधा बोलना बन्द कर देंगे और आपकी योग्यता को पहचानने लग जाएँगे |
एक प्रयोग करके देखिये | अगर कोई आपके लिए कुछ ग़लत बोलता है या आपको नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो एक लम्बी साँस लीजिये और मन में संकल्प कीजिए कि “हम पर कोई असर इस बात का नहीं पड़ता | हम इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे – कुछ भी रिएक्ट नहीं करेंगे – हम बिल्कुल शान्त रहेंगे…” और ऐसा संकल्प लेकर मुस्कुराइए और आगे बढ़ जाइए | विश्वास कीजिए, ऐसा करके आपको स्वयं अनुभव होगा कि अपने प्रति आपकी सारी हीन भावना – दूसरों के प्रति आपकी सारी नकारात्मकता एक ही बार में दूर हो जाएगी | और निरन्तर इस अभ्यास को करते रहने से कभी आप पर किसी की नकारात्मक बातों का असर होना ही बन्द हो जाएगा | एक बार करके तो देखिये ऐसा प्रयास…
तो अन्त में बस यही कहेंगे कि अपने प्रति उदार बनिए… दूसरों के अनुसार खुद को बदलने का प्रयास मत कीजिए… क्योंकि आप वैसे नहीं हैं जैसा दूसरे आपको देखना चाहते हैं या जैसे दूसरे हैं… आप स्वयं में एक व्यक्तित्व हैं…
आज के लिए बस इतना ही… अगली बार किसी दूसरे विषय के साथ आपके समक्ष होंगे… तब तक के लिए नमस्कार…
24 जुलाई को इन्द्रप्रस्थ विस्तार स्थित आईपैक्स भवन में महिलाओं के सर्वांगीण स्वास्थ्य की दिशा में प्रयासरत संस्था WOW India ने अपनी Sister Organization DGF और 6 Organics तथा श्री लक्ष्मणदास चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ मिलकर हरियाली तीज और आज़ादी के अमृत महोत्सव का आयोजन किया | कार्यक्रम दिन में दो बजे Lunch के साथ आरम्भ हुआ | तीन बजे श्री कबीर शर्मा द्वारा लिखित, डॉ पूर्णिमा शर्मा द्वारा स्वरबद्ध किया तथा रूबी शोम और अमज़द खान द्वारा गाया हुआ वीरों की शौर्य गाथा को दर्शाता गीत “रणबाँकुरों तुम्हें नमन तुम्हें प्रणाम है” प्रस्तुत किया गया | उसके बाद विधिवत कार्यक्रम का आरम्भ हुआ |
संस्था की चेयरपर्सन डॉ शारदा जैन ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि सभी को आज़ादी के महत्त्व को समझना चाहिए | संस्था की महासचिव डॉ पूर्णिमा शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब आज़ादी मिलती है तो बहुत सारे उत्तरदायित्व भी साथ में लाती है – विशेष रूप से महिलाओं का उत्तरदायित्व यही है कि वे स्वयं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें ताकि अपनी सन्तानों के स्वास्थ्य पर भी दे सकें – उन्हें अच्छे संस्कार दें ताकि स्वस्थ और संस्कारित भावी पीढ़ी का निर्माण हो सके – और हमारे वीर शहीदों के बलिदान सार्थक सिद्ध हो सकें |
कार्यक्रम में डॉ दीपाली भल्ला का गीत “चलो पेड़ लगाएँ” भी रिलीज़ किया गया | साथ ही WOW India की सभी शाखाओं के सदस्यों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए |
नृत्य और गीतों के साथ ही एक प्रभावशाली प्रस्तुति रही सूर्य नगर शाखा की सदस्यों द्वारा प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के सन्दर्भ में प्रस्तुत लघु नाटिका – जिसका लेखन और निर्देशन किया था अनुभा पाण्डेय ने… महिलाओं से सम्बन्धित वस्तुओं के स्टाल्स भी लगाए गए जिनमें महिलाओं ने अपनी पसन्द की वस्तुओं की ख़रीदारी भी की |
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा “Teej Queen Contest” जिसमें तीज क्वीन बनीं WOW India की इन्द्रप्रस्थ विस्तार की सदस्य ऋतु भार्गव… इन्हें ही Best Ramp Walk का अवार्ड भी मिला… रनर अप और बेस्ट स्माइल का अवार्ड मिला डॉ मंजु बारिक को… बेस्ट हेयर का अवार्ड मिला डॉ आभा शर्मा को…
इसके अतिरिक्त रूबी शोम को “रणबाँकुरों” गाने के लिए Excellence award दिया गया, रुक्मिणी नायर को Appreciation award दिया आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के लिए, प्रीति नागपाल को Wow Woman Entrepreneur का अवार्ड दिया गया… WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने बहुत प्रभावशाली ढंग से मंच का संचालन किया…
WOW India ने साहित्य मुग्धा दर्पण के साथ मिलकर आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 12 अगस्त को सायं साढ़े चार बजे से एक काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म ज़ूम पर | जिसकी अध्यक्षता की अर्चना गर्ग ने | संगोष्ठी में WOW India और साहित्य मुग्धा दर्पण की कवयित्रियों ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया… संगोष्ठी का सफलतापूर्ण संचालन किया WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने… प्रस्तुत है संगोष्ठी की वीडियो रिकॉर्डिंग…
WOW India साहित्य मुग्धा दर्पण के साथ मिलकर आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 12 अगस्त को दिन में 12 बजे से एक काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म ज़ूम पर | जिसकी अध्यक्षता की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रमा सिंह ने | संगोष्ठी में प्रसिद्ध कवि/कवयित्रियों ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया… संगोष्ठी का सफलतापूर्ण संचालन किया WOW India की Cultural Secretary लीना जैन ने… प्रस्तुत है संगोष्ठी की वीडियो रिकॉर्डिंग…