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bookmark_borderInternational Women’s Day Award Ceremony 

International Women’s Day Award Ceremony 

8th March 2020

Kathak Guru Ms Prerana Shreemali
Kathak Guru Ms Prerana Shreemali

 

 

 

 

International Women’s Day Legendary Award – Kathak Guru Ms. Prerana Shreemali 

 

 

 

 

Dr. Dipti Nabh
Dr. Dipti Nabh

 

 

 

International Women’s Day Excellence Award – Dr. Dipti Nabh 

 

 

 

 

 

Mrs. Amropali Gupta
Mrs. Amropali Gupta

 

 

 

International Women’s Day Excellence Award – Mrs. Amropali Gupta

 

 

 

 

 

Ms. Yogita Bhayana
Ms. Yogita Bhayana

 

 

 

 

International Women’s Day Excellence Award – Ms. Yogita Bhayana

 

 

 

 

 

 

bookmark_borderReport of Women’s Day Program

Report of Women’s Day Program

आठ मार्च को अईपैक्स भवन पटपरगंज में WOW India और DGF के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रंगारंग कार्यक्रम के बीच Award Ceremony का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का विषय था महिलाओं की सुरक्षा और इसी विषय पर एक छोटे से संवाद के साथ WOW India के सदस्यों ने कार्यक्रम का आरम्भ किया |

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

WOW India की सेक्रेटरी जनरल डॉ पूर्णिमा शर्मा के कॉन्सेप्ट स्क्रिप्ट को WOW India की कल्चरल सेक्रेटरी लीना जैन के निर्देशन में प्रेसीडेंट डॉ एस लक्ष्मी देवी के साथ मिलकर बानू बंसल, डॉ रूबी बंसल, डॉ प्रिया कपूर, डॉ दीपिका कोहली, डॉ रश्मि जैन, डॉ इंदु त्यागी, सरिता रस्तोगी और सुषमा अग्रवाल ने बड़े अच्छे से पूर्ण ऊर्जा के साथ प्रस्तुत किया | उसके बाद WOW India की Chairperson डॉ शारदा जैन ने महिला सशक्तीकरण के विषय में अपने विचार व्यक्त किये और WOW India की President डॉ एस लक्ष्मी देवी ने WOW India की आरम्भ से लेकर अभी तक की यात्रा के विषय में दर्शकों को अवगत कराया | कार्यक्रम का सफल संचालन लीना जैन ने किया |

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था परम पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी को सुनना | दीदी माँ ने वैदिक काल से लेकर रामायण महाभारत काल से होते हुए आधुनिक काल तक की नारियों की यात्रा के सारगर्भित वर्णन के साथ ही महिलाओं को सुझाव भी दिया कि हमें अपने घर में बच्चों को संस्कारित करने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं के साथ दिन प्रतिदिन होते रहने वाले अपराधों में कभी तो कमी आए | दीदी माँ का कहना था कि सदा लड़कियों को ही क्यों टोका जाता है उनके वस्त्रों के लिए, उनके कार्य के लिए ? इसके बजाए आवश्यकता है हमें अपने परिवारों में बचपन से ही संस्कारों की डालने की ताकि ऐसी कोई समस्या ही उत्पन्न न हो, और एक माँ इस कार्य को जितनी दृढ़ता तथा भावुकता के साथ कर सकती है उतनी दृढ़ता और भावुकता के साथ कोई अन्य इस कार्य को नहीं कर सकता |

कार्यक्रम में जयपुर घराने की विश्व प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सुश्री प्रेरणा श्रीमाली को शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए Women’s Day Legendary Award से सम्मानित किया गया | संगीत जैसी कलाओं के क्षेत्र में आज के युग में भी संगीत प्रशिक्षण के महत्त्वपूर्ण अंग “गुरु-शिष्य परम्परा” को जीवित बनाए रखने वाले कुछ प्रसिद्ध गुरुओं में प्रेरणा जी की गणना की जाती है | इस अवसर पर बोलते हुए प्रेरणा जी का भी यही प्रश्न था कि विश्व की आधी आबादी यानी महिलाओं को पुरुषों से कम करके क्यों आँका जाता है ? अभी भी क्यों बहुत से स्थानों पर लड़कियों के शाम के बाद घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी जाती है ? और यदि उन्हें जाना भी हो भाई साथ में जाएगा – भले ही वह भाई उनसे दस बरस छोटा ही क्यों न हो ? वास्तव में ये ऐसे ज्वलन्त प्रश्न हैं कि इनके उत्तर तो हम सबको मिलकर खोजने ही होंगे |

इसके अतिरिक्त महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए अत्यन्त योग्य डॉ दीप्ति नाभ को Excellence Award से सम्मानित किया गया | डॉ नाभ Senior Consultant Obstetrician & Gynaecologist & Infertility Expert हैं |

सुश्री योगिता भयाना को समाज सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किया जा रहे महिलाओं से सम्बन्धित कार्यों के लिए – विशेष रूप से बलात्कार से पीड़ित महिलाओं के लिए जो कार्य वे कर रही हैं उसके लिए – Excellence Award से सम्मानित किया गया | सुश्री भयाना ने हाल ही में UN में अपील की है कि निर्भया काण्ड के चारों दरिन्दों को जिस दिन फाँसी पर लटकाया जाएगा उस दिन को अन्तर्राष्ट्रीय महिला सुरक्षा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की जाए |

संगीत और कला के क्षेत्र में Excellence Award दिया गया प्रसिद्ध उड़ीसी नृत्यांगना आम्रपाली गुप्ता जी को जिन्हें नृत्य की विधा परम्परागत रूप में विरासत में अपनी पूज्या माता जी से प्राप्त हुई |

इनके अतिरिक्त कुछ Appreciation Awards भी दिए गए | जिनमें: डॉ मीनाक्षी शर्मा को स्वास्थ्य के क्षेत्र में, योजना विहार शाखा की श्रीमती बिमलेश अग्रवाल, इन्द्रप्रस्थ शाखा की श्रीमती सुनीता अरोड़ा और अईपैक्स ब्रांच की श्रीमती वन्दना वर्मा को समाज सेवा के क्षेत्र में, सूर्य नगर ब्रांच की श्रीमती रेखा अस्थाना को शिक्षा के क्षेत्र में तथा इन्द्रप्रस्थ ब्रांच की ही श्रीमती राजेश्वरी भार्गव को संगीत और नृत्य के क्षेत्र में Appreciation Awards से सम्मानित किया गया | सूर्य नगर ब्रांच की श्रीमती सविता कृपलानी और इन्द्रप्रस्थ ब्रांच की Study Seven seas नाम से विदेशों में मेडिकल के पढ़ाई के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए Consultancy Services देने वाली श्रीमती पारुल शर्मा को Best Coordinator के रूप में सम्मानित किया गया | सूर्यनगर तथा इन्द्रप्रस्थ शाखाओं को विभिन्न क्षेत्रों में बेस्ट ब्रांच का अवार्ड दिया गया |

सभी ब्रान्चेज़ की सदस्यों ने तथा Delhi Gynaecologist Forum की मेम्बर्स ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिन्हें देखकर खचाखच भरे हॉल में दर्शकगण भी झूमे बिना न रह सके | सबसे आकर्षक कार्यक्रम रहा आम्रपाली गुप्ता जी की दो शिष्याओं अनुप्रिया शर्मा और साँवरी सिंह के शास्त्रीय नृत्य जिनमें आम्रपाली जी के ही नृत्य की झलक देखने को मिली |

खाना और चाट तो स्वाद थी ही जिसका सभी ने लुत्फ़ उठाया | कुल मिलाकर कार्यक्रम बेहद उल्लासमय, उत्साहमय और सफल रहा | 

डॉ पूर्णिमा शर्मा

bookmark_borderHappy Women’s Day

Happy Women’s Day

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

सारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अबला हो सकती है ?

आज की नारी शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक और आर्थिक हर स्तर पर पूर्ण रूप से सशक्त और स्वावलम्बी है और इस सबके लिए उसे न तो पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता है न ही वह किसी रूप में पुरुष से कमतर है |

पुरुष – पिता के रूप में नारी का अभिभावक भी है और गुरु भी, भाई के रूप में उसका मित्र भी है और पति के रूप में उसका सहयोगी भी – लेकिन किसी भी रूप में नारी को अपने अधीन मानना पुरुष के अहंकार का द्योतक है | हम अपने बच्चों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखाएँ चाहे सम्बन्ध कोई भी हो… पुरुष को शक्ति की सामर्थ्य और स्वतन्त्रता का सम्मान करना चाहिए…

देखा जाए तो नारी सेवा और त्याग का जीता जागता उदाहरण है, इसलिए उसे अपने सम्मान और अधिकारों की किसी से भीख माँगने की आवश्यकता नहीं…

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ – इस आशा और विश्वास के साथ कि हम अपने महत्त्व और प्रतिभाओं को समझकर परिवार, समाज और देश के हित में उनका सदुपयोग करेंगी…

इसी कामना के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात…

मुझमें है आदि, अन्त भी मैं, मैं ही जग के कण कण में हूँ |

है बीज सृष्टि का मुझमें ही, हर एक रूप में मैं ही हूँ ||

मैं अन्तरिक्ष सी हूँ विशाल, तो धरती सी स्थिर भी हूँ |

सागर सी गहरी हूँ, तो वसुधा का आँचल भी मैं ही हूँ ||

मुझमें है दीपक का प्रकाश, सूरज की दाहकता भी है |

चन्दा की शीतलता मुझमें, रातों की नीरवता भी है ||

मैं ही अँधियारा जग ज्योतित करने हित खुद को दहकाती |

और मैं ही मलय समीर बनी सारे जग को महका जाती ||

Happy Women's Day
Happy Women’s Day

मुझमें नदिया सा है प्रवाह, मैंने न कभी रुकना जाना |

तुम जितना भी प्रयास कर लो, मैंने न कभी झुकना जाना ||

मैं सदा नई चुनती राहें, और एकाकी बढ़ती जाती |

और अपने बल से राहों के सारे अवरोध गिरा जाती ||

मुझमें है बल विश्वासों का, स्नेहों का और उल्लासों का |

मैं धरा गगन को साथ लिये आशा के पुष्प खिला जाती ||

डॉ पूर्णिमा शर्मा 

 

 

 

 

bookmark_borderGreetings from our chairperson

Greetings from our chairperson

friends..,

Take one minute.. & spell your USP

Dr. Sharda Jain
Dr. Sharda Jain

Your special point..

We don’t stop dreaming and exploring because we grow old.

I strongly believe  ..We grow old because we stop dreaming and exploring… How to help others, my colleagues, my friends

My fundas are 3

Remain student alway. Curiosity to learn should never die… Otherwise u will atrophy fast.

put your 100 percent.enjoy what u do. It should be calling, passion.

Give helping hand to younstees & colleagues… & leave ????? a legacy… Jo mahakti rahe..

Aisee chaap  jo mitaye se bhee na mite

? my blessings ??❤ & pranam on this great day

Sharda

bookmark_borderRecipe of Gujhiya

Recipe of Gujhiya

गुझिया बनाने की विधि

आज आमलकी एकादशी है – जिसे हम सभी रंग की एकादशी के नाम से जानते हैं – सर्व प्रथम सभी को रंग की एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ…

यों तो होली का त्यौहार फाल्गुन शुक्ल पञ्चमी यानी रंग पञ्चमी से ही आरम्भ हो जाता है, लेकिन रंग की एकादशी से तो जैसे होली की मस्ती अपने पूर्ण यौवन पर आ जाती है | लेकिन इस वर्ष इस मस्ती में कोरोना वायरस ने सेंध लगाई हुई है जिसके कारण हर कोई भयभीत है | लेकिन कोरोना वायरस से घबराने और डरने के स्थान पर इसके बारे में सही जानकारी प्राप्त करें, अपनी जीवन शैली में सुधार करें और सावधानी बरतें तो इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है |

इसके लिए सबसे पहली आवश्यकता है अपने आसपास और घर में सफाई रखने की, कुछ देर के लिए धूप में बैठने की तथा कपड़ों को धूप में सुखाने की सलाह एक्सपर्ट्स दे रहे हैं | कुछ और सुझाव भी समाचारों के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं, जैसे: हाथों को कई बार साफ़ करें और हैण्ड सेनीटाईज़र का प्रयोग अधिक से अधिक करें, हर पन्द्रह मिनट में थोड़ा सा गुनगुना पानी अवश्य पी लें, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक, ठण्डी छाछ या लस्सी इत्यादि का सेवन न करें, घर का पका सन्तुलित आहार लें और जैसा सभी आयुर्वेद को जानने वाले बता रहे हैं – तुलसी-लौंग-हल्दी-अदरख का काढ़ा या गिलोय का काढ़ा का सेवन करें | साथ में विटामिन सी से युक्त फलों जैसे संतरा, मौसमी, आँवला, नीम्बू इत्यादि के सेवन करते रहें | साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अनुलोम विलोम तथा कपाल भाति प्राणायाम करें और निश्चिन्त होकर होली की मस्ती में झूम उठें |

तो, त्यौहार मनाएँ – लेकिन सावधानीपूर्वक – एक्सपर्ट्स के सुझावों को मानकर | क्योंकि इस कोरोना वायरस से डरकर होली की गुझिया यदि नहीं खाईं तो होली की जिस मस्ती का साल भर से इंतज़ार कर रहे थे उस मस्ती में मिठास कहाँ से घुलेगी ? तो आइये, अर्चना गर्ग से सीखते हैं गुझिया बनाने की विधि – रेखा अस्थाना की रंगों से भरी कविता के साथ – जिसमें एक विरहिणी नायिका का चित्रण बड़ी ख़ूबसूरती से किया गया है…

डॉ पूर्णिमा शर्मा

 

तो सबसे पहले गुझिया की मिठास

सामग्री…

मैदा 250 ग्राम

घी 500 ग्राम  तलने हेतु

चीनी 150 ग्राम  पीसी हुई

मावा 150 ग्राम

मेवा चिरौंजी, किशमिश, छोटी इलायची पीसी हुई

विधि…

मैदा में दो कलछुल घी डालकर मिला लें । जब हाथ में दबाने से लड्डू बंधने लगे तो गुनगुने पानी से मैदा को गूंध लें।

मावे को कढ़ाई में भूने गुलाबी होने तक । उसमें पीसी चीनी व मेवे मिलाएँ, इलायची पाउडर चुटकी भर मिलाएँ।

Archana Garg
Archana Garg

मैदा की छोटी छोटी लोई लेकर पूड़ी का आकार दें । उसमें मावे का मिक्शचर भरें । गुझिया की आकृति दें । उसको अच्छी तरह पानी से बंद करें । किनारा गोठें या गुजिया कटर से किनारा बंद करें । सबको सूती कपड़े से ढककर रखें ।

घी को कढ़ाई में गरम करें फिर आँच धीमी करें । पाँच या छः गुझिया को एक साथ तलें । हल्का गुलाबी होने तक तलें । प्लेट में निकालें । ठण्डा होने पर ही डिब्बे में बंद करें ।

गुझिया को आप चाहे तो पाग भी सकती हैं । इसके लिए गुझिया को बनाने के बाद आधी तार की चाशनी में केसर पिश्ता डाल कर उसमें गुजिया पाग ले ।

ध्यान रहे यदि आप गुजिये को पाग रही हैं तो अन्दर फिलिंग में चीनी कम डालें ।

        अर्चना गर्ग

 

 

पिया बिन फाग अधूरा रे….

क्यों गये पिया परदेस रे, सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

ठंडक ने ली करवट तो पुलकित हो उठी धरा,

कुसुमित हो उठे विटप सब टेसू ने सुन्दरता फैलाई रे ।

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

सरसों फूली देखकर मन में उठे हूक रे ।

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

सुन कोयल की कूक को मन मेरा क्यों घबराए रे ।

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

बिना पिया मुस्कान के होली का सब रंग फीका रे ।

Rekha Asthana
Rekha Asthana

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

पूआ गुजिया की मिठास भी मुझको लागे कड़वी रे ।

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

पिया मिलन की आस से हुए गुलाबी सब सपने रे |

सखी क्यों गये पिया परदेस रे ||

सखी पिया बिन फाग अधूरा रे ||

रेखा अस्थाना

 

bookmark_borderAdopt healthy lifestyle

Adopt healthy lifestyle

 Today’s Lifestyle is a Disease in itself

In India over the year with technology advancement and westernization there is tremendous change in life style of general population due to which life style diseases like diabetes, blood pressure, heart disease etc. are increasing:

Dr. Ruby Bansal
Dr. Ruby Bansal

There is an old proverb that says ‘prevention is better than cure.’ It is wiser to avoid a disease by following a healthy regimen of life than to contract it, and then seek remedies. Life is short, and, if a considerable part of it is taken up in inviting or not knowing diseases and then curing them, how will man manage to live a life worth the name? Every effort should be made to prevent health, troubles and difficulties.

In a recent few studies the largest disease burden or DALY rate increase from 1990 to 2016 was 80 percent for diabetes and 34 percent for ischemic heart disease. Another study published in the international journal Pediatric Obesity in October predicted that India would have over 17 million obese children by 2025 and would stand second among the 184 countries fighting childhood obesity. In a study by Imperial College London, pegged the number of people with high blood pressure to around 1.13 billion, of which around 200 million are Indians.

WHERE WE ARE:

  • Over 61 per cent of all deaths in India are due to lifestyle or non-communicable diseases (NCDs).
  • 26 per cent of all deaths in India happen due to cardiovascular diseases.
  • Every 12th Indian is said to be a diabetic.
  • 7 per cent of women and 18.6 per cent of men have been found to be overweight or obese.
  • More than 10 per cent of the country’s population over the age of 18 suffers from various kinds of mental illnesses
  • More than 1.73 million new cancer cases are likely to be recorded each year by 2020 in India. 
  • 25-40 million people in India could be suffering from food allergies.
  • India had an estimated 22.2 million chronic COPD patients and around 35 million chronic asthma patients in 2016

What all is needed: There is a need of self-realization, sensitization about health, lifestyle, and happiness. People need to look into their living, thinking, eating habits and sedentary life style stress full mind etc and its correction. There should be a “me” time in everyone’s life which means first to give time to yourself then to others if you are healthy then only be able to take care of your responsibilities, family and work.

Healthy Lifestyle
Healthy Lifestyle

Adopt healthy habits:

  • Regular brisk walk/exercise/ dancing /aerobics/yoga etc…
  • Balanced timely diet which includes right proportion of proteins, carbohydrates, fats, vitamins & minerals
  • Avoid junk food /aerated drinks
  • Avoid smoking /alcohol
  • Socialization with friends and family
  • Good sleep
  • Meditation

Dr Ruby Bansal

bookmark_borderWeekly Horoscope

Weekly Horoscope

2 से 8 मार्च 2020 तक का सम्भावित साप्ताहिक राशिफल

गणतन्त्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है इस सप्ताह का सम्भावित राशिफल…

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

नीचे दिया राशिफल चन्द्रमा की राशि पर आधारित है और आवश्यक नहीं कि हर किसी के लिए सही ही हो – क्योंकि लगभग सवा दो दिन चन्द्रमा एक राशि में रहता है और उस सवा दो दिनों की अवधि में न जाने कितने लोगों का जन्म होता है | साथ ही ये फलकथन केवल ग्रहों के तात्कालिक गोचर पर आधारित होते हैं | इसलिए Personalized Prediction के लिए हर व्यक्ति की जन्म कुण्डली का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करना आवश्यक है | इस फलकथन अथवा ज्योतिष विद्या का उद्देश्य किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है | अतः, स्वयं पर विश्वास रखते हुए कर्मशील रहिये…

To know weekly prediction for your Moon Sign from 2 to 8 March 2020, visit:

Aries Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/aries-weekly-horoscope/

Taurus Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/taurus-weekly-horoscope/

Gemini Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/gemini-weekly-horoscope/

Cancer Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/cancer-weekly-horoscope/

Leo Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/leo-weekly-horoscope/

Virgo Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/virgo-weekly-horoscope/

Libra Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/libra-weekly-horoscope/

Scorpio Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/scorpio-weekly-horoscope/

Sagittarius Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/sagittarius-weekly-horoscope/

Capricorn Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/capricorn-weekly-horoscope/

Aquarius Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/aquarius-weekly-horoscope/

Pisces Weekly Horoscope for 2 to 8 March 2020:

http://www.astrologerdrpurnimasharma.com/pisces-weekly-horoscope/

bookmark_borderBeginning of Holi Festival – Holashtak

Beginning of Holi Festival – Holashtak

होली के पर्होव का आरम्भ – होलाष्टक 

सोमवार दो मार्च को दिन में 12:53 के लगभग विष्टि करण और विषकुम्भ योग में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि का आरम्भ हो रहा है | इसी समय से होलाष्टक आरम्भ हो जाएँगे जो सोमवार नौ मार्च को होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएँगे | नौ मार्च को सूर्योदय से पूर्व तीन बजकर चार मिनट के लगभग पूर्णिमा तिथि का आगमन होगा जो रात्रि

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

ग्यारह बजकर सत्रह मिनट तक रहेगी | इसी मध्य गोधूलि वेला में सायं छह बजकर छब्बीस मिनट से रात्रि आठ बजकर बावन मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त है, और उसके बाद रंगों की बरसात के साथ ही फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा से होलाष्टक समाप्त हो जाएँगे |

फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से आरम्भ होकर पूर्णिमा तक की आठ दिनों की अवधि होलाष्टक के नाम से जानी जाती है और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं | होलाष्टक आरम्भ होने के साथ ही होली के पर्व का भी आरम्भ हो जाता है | इसे “होलाष्टक दोष” की संज्ञा भी दी जाती है और कुछ स्थानों पर इस अवधि में बहुत से शुभ कार्यों की मनाही होती है | विद्वान् पण्डितों की मान्यता है कि इस अवधि में विवाह संस्कार, भवन निर्माण आदि नहीं करना चाहिए न ही कोई नया कार्य इस अवधि में आरम्भ करना चाहिए | ऐसा करने से अनेक प्रकार के कष्ट, क्लेश, विवाह सम्बन्ध विच्छेद, रोग आदि अनेक प्रकार की अशुभ बातों की सम्भावना बढ़ जाती है | किन्तु जन्म और मृत्यु के बाद किये जाने वाले संस्कारों के करने पर प्रतिबन्ध नहीं होता |

फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को होलिका दहन के स्थान को गंगाजल से पवित्र करके होलिका दहन के लिए दो दण्ड स्थापित किये जाते हैं, जिन्हें होलिका और प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है | फिर उनके मध्य में उपले (गोबर के कंडे), घास फूस और लकड़ी आदि का ढेर लगा दिया जाता है | इसके बाद होलिका दहन तक हर दिन इस ढेर में वृक्षों से गिरी हुई लकड़ियाँ और घास फूस आदि डालते रहते हैं और अन्त में होलिका दहन के दिन इसमें अग्नि प्रज्वलित की जाती है | ऐसा करने का कारण सम्भवतः यह रहा होगा कि होलिका दहन के अवसर तक वृक्षों से गिरी हुई लकड़ियों और घास फूस का इतना बड़ा ढेर इकट्ठा हो जाए कि होलिका दहन के लिए वृक्षों की कटाई न करनी पड़े |

मान्यता ऐसी भी है कि तारकासुर नामक असुर ने जब देवताओं पर अत्याचार बढ़ा दिए तब उसके वध का एक ही उपाय ब्रह्मा जी ने बताया, और वो ये था कि भगवान शिव और पार्वती की सन्तान ही उसका वध करने में समर्थ हो सकती है | तब नारद जी के कहने पर पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तप का आरम्भ कर दिया | किन्तु शिव तो दक्ष के यज्ञ में सती के आत्मदाह के पश्चात ध्यान में लीन हो गए थे | पार्वती से उनकी भेंट कराने के लिए उनका उस ध्यान की अवस्था से बाहर आना आवश्यक था | समस्या यह थी कि जो कोई भी उनकी साधना भंग करने का प्रयास करता वही उनके कोप का भागी बनता | तब कामदेव ने अपना बाण छोड़कर भोले शंकर का ध्यान भंग करने का दुस्साहस किया | कामदेव के इस अपराध का परिणाम वही हुआ जिसकी कल्पना सभी देवों ने की थी – भगवान शंकर ने अपने क्रोध की ज्वाला में कामदेव को भस्म कर दिया | अन्त में कामदेव की पत्नी रति के तप से प्रसन्न होकर शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया | माना जाता है कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था और बाद में रति ने आठ दिनों तक उनकी प्रार्थना की थी | इसी के प्रतीक स्वरूप होलाष्टक के दिनों में कोई शुभ कार्य करने की मनाही होती है |

वैसे व्यावहारिक रूप से पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में होलाष्टक का विचार अधिक किया जाता है, अन्य अंचलों में होलाष्टक का कोई दोष प्रायः नहीं माना जाता |

अतः, मान्यताएँ चाहें जो भी हों, इतना निश्चित है कि होलाष्टक आरम्भ होते ही मौसम में भी परिवर्तन आना आरम्भ हो जाता है | सर्दियाँ जाने लगती हैं और मौसम में हल्की सी गर्माहट आ जाती है जो बड़ी सुखकर प्रतीत होती है | प्रकृति के कण कण में वसन्त की छटा तो व्याप्त होती ही है | कोई विरक्त ही होगा जो ऐसे सुहाने मदमस्त कर देने वाले मौसम में चारों ओर से पड़ रही रंगों की बौछारों को भूलकर ब्याह शादी, भवन निर्माण या ऐसी ही अन्य सांसारिक बातों के विषय में विचार करेगा | जनसाधारण का रसिक मन तो ऐसे में सारे काम काज भुलाकर वसन्त और फाग की मस्ती में झूम ही उठेगा…

इन सभी मान्यताओं का कोई वैदिक, ज्योतिषीय अथवा आध्यात्मिक महत्त्व नहीं है, केवल धार्मिक आस्थाएँ और लौकिक मान्यताएँ ही इस सबका आधार हैं | तो क्यों न होलाष्टक की इन आठ दिनों की अवधि में स्वयं को सभी प्रकार के सामाजिक रीति रिवाज़ों के बन्धन से मुक्त करके इस अवधि को वसन्त और फाग के हर्ष और उल्लास के साथ व्यतीत किया जाए…

रंगों के पर्व की अभी से रंग और उल्लास से भरी हार्दिक शुभकामनाएँ…

https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2020/02/28/holashtak-beginning-of-holi-festival/

bookmark_borderSelfishness and selflessness 

Selfishness and selflessness 

स्वार्थ और स्वार्थहीनता

स्वार्थ और स्वार्थहीनता – यानी निस्वार्थता – दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं…

वास्तव में स्वार्थ यानी स्व + अर्थ अर्थात अपने लिए किया गया कार्य | हम सभी अपने लिए ही कार्य करते हैं – अपने आनन्द के लिए, अपने जीवन यापन के लिए, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए | यदि हम अपने लिए ही कार्य नहीं कर सकते तो फिर दूसरों के लिए कुछ भी कैसे कर सकते हैं ? जब तक हम स्वयं सन्तुष्ट और प्रसन्न नहीं होंगे तब तक दूसरों का विचार भी हमारे मन में नहीं आ सकता | संसार में जितने भी सम्बन्ध हैं – शिशु के माता के गर्भ में आने से लेकर – सभी स्वार्थवश ही बनते हैं | संसार

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

में समस्त प्रकार के सम्बन्धों के मध्य प्रेम भावना इसी स्वार्थ का परिणाम है – और ये स्वार्थ है आनन्द | आनन्द प्राप्ति के लिए ही हम परस्पर प्रेम की भावना से रहते हैं | इस प्रकार देखा जाए तो स्वार्थ नींव है किसी भी सम्बन्ध की | समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम स्वार्थ यानी आनन्द को भुलाकर केवल अपने ही लाभ हानि के विषय में सोचना आरम्भ कर देते हैं और दूसरों के लिए समस्या उत्पन्न करना आरम्भ कर देते हैं |

संसार में हर प्राणी अपने स्वयं के हित के लिए ही कार्य करता है | जैसे अपनी तथा अपने परिवार और समाज की रक्षा करना भी एक प्रकार का स्वार्थ ही है | एक जीव अपनी उदर पूर्ति के लिए दूसरे जीव का भक्षण करता है – यह भी स्वार्थ ही है | व्यक्ति को अपने जीवन निर्वाह के लिए स्वार्थ सिद्ध करना अत्यन्त आवश्यक है | किन्तु यह स्वार्थ सिद्धि यदि मर्यादा के भीतर रहकर की जाएगी तो इसके कारण कोई हानि किसी की नहीं होगी, बल्कि हो सकता है दूसरों का लाभ ही हो जाए |

इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि एक व्यक्ति एक इण्डस्ट्री लगाता है | लगाता है स्वयं धनोपार्जन के लिए ताकि वह और उसका परिवार सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें, लेकिन उसके इण्डस्ट्री लगाने से अन्य बहुत से लोगों को वहाँ धनोपार्जन का अवसर प्राप्त होता है | इस प्रकार उस व्यक्ति के द्वारा किये गए स्वार्थपूर्ण कार्य से अन्यों का भी हित हो रहा है तो इस प्रकार का स्वार्थ तो हर किसी समर्थ व्यक्ति को करना चाहिए | इसे और इस तरह समझ सकते हैं कि हम अपने घरों में काम करने के लिए किसी व्यक्ति – महिला या पुरुष – को रखते हैं तो ये हमारा स्वार्थ है कि हमें उसकी सहायता मिल जाती है अपने दिन प्रतिदिन के कार्यों में, लेकिन साथ ही उस व्यक्ति को भी आर्थिक सहायता हमारे इस कृत्य से प्राप्त होती है – हम कहेंगे की  कि इस प्रकार के स्वार्थ अवश्य सिद्ध करना चाहिए |

वास्तव में मनुष्य की आवश्यकताएँ ही उसका सबसे बड़ा स्वार्थ हैं | कामवाली बाई भी उसी स्वार्थ के कारण – यानी अपनी और परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए – हमारे आपके यहाँ कार्य करती है | कार्य का आरम्भ ही स्वार्थ के कारण होता है | स्वार्थ समाप्त हो जाए तो कर्म की इच्छा ही न रह जाए और मनुष्य निष्कर्मण्य होकर बैठ जाए | अतः अपनी तथा अपने साथ साथ दूसरों की आवश्यकताओं की पूर्ति का स्वार्थ सिद्ध करना तो हर व्यक्ति का उत्तरदायित्व है |

किन्तु समस्या वहाँ उत्पन्न होती है जब स्वार्थ असन्तुलित हो जाता है | मान लीजिये हम इस जुगत में लग जाएँ कि काम करने वाली बाई से कम पैसे में किस तरह अधिक से अधिक काम करा सकें, बात बात पर उस पर गुस्सा करने लग जाएँ, उसके प्रति सहृदयता का भाव न रखें तो यह स्वार्थ की मूलभूत भावना का अतिक्रमण होगा और निश्चित रूप से इसका परिणाम किसी के भी हित में नहीं होगा | स्वार्थ की अधिकता होते ही व्यक्ति में लोभ आदि दुर्गुण बढ़ते जाते है और वह अनुचित प्रयासों से कार्य सिद्ध करना आरम्भ कर देता है | विवेक की कमी हो जाने के कारण मनुष्य परिणाम की भी चिन्ता करना छोड़ देता है और विनाश की ओर अग्रसर होता जाता है | हमने घरों का उदाहरण दिया है, लेकिन हर जगह यही नियम लागू होता है – चाहे आपका कोई व्यवसाय हो, पाठशाला हो, अस्पताल हो – कुछ भी हो – स्वार्थ की परिभाषा तो यही रहेगी |

एक और छोटा सा उदाहरण अपने परिवारों का ही लें – सन्तान को हम जन्म देते हैं, पाल पोस कर बड़ा करते हैं, अच्छी शिक्षा दीक्षा का प्रबन्ध करते हैं | क्यों करते हैं हम ये सब ? क्योंकि हमें आनन्द प्राप्त होता है इस सबसे | और हमारा ये आनन्द प्राप्ति का स्वार्थ अच्छा स्वार्थ है जिससे हमारी सन्तान प्रगति की ओर अग्रसर होती है | लेकिन उसके बदले में जब हम सन्तान से अपेक्षा रखनी आरम्भ कर देते हैं तो हमारे स्वार्थ का रूप विकृत होना आरम्भ हो जाता है जिसके कारण सन्तान के साथ सम्बन्धों में दरार आनी आरम्भ हो जाती हैं | सन्तान ने तो हमसे नहीं कहा था हमें जन्म दो और हमारा लालन पालन करो, हमने अपने सुख के लिए किया | अब आगे उसकी इच्छा – वो हमें हमारे स्नेह का प्रतिदान दे या न दे | और विश्वास कीजिए, जब हम सन्तान से किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं रखेंगे तो हमें स्वयं ही सन्तान से वह स्नेह और सम्मान प्राप्त होगा – क्योंकि यह सन्तान का स्वार्थ है – उसे इसमें आनन्द की अनुभूति होती है | अर्थात आवश्यकता बस इतनी सी है कि स्वार्थसिद्धि का प्रयास अवश्य करें, किन्तु निस्वार्थ भाव से – फल की चिन्ता किये बिना | जहाँ फल की चिन्ता आरम्भ की कि स्वार्थ साधना का रूप विकृत हो गया |

अतः, आत्मोन्नति के लिए स्वार्थ की निस्वार्थता में परिणति नितान्त आवश्यक है… हम सब अपनी इच्छाओं और महत्त्वाकांक्षाओं के क्षेत्र को विस्तार देकर उन्हें निस्वार्थ बनाने का प्रयास करते हैं तो अपने साथ साथ समाज की और देश की उन्नति में भी सहायक हो सकते हैं…

डॉ पूर्णिमा शर्मा 

https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2020/02/26/selfishness-and-selflessness/