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मानसिक शान्ति

मानसिक शान्ति – जिसकी आजकल हर किसी को आवश्यकता है – चाहे वह किसी भी व्यवसाय से जुड़ा हो, गृहस्थ हो, सन्यासी हो – विद्यार्थी हो – कोई भी हो – हर किसी

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

का मन किसी न किसी कारण से अशान्त रहता है | और हम अपनी मानसिक अशान्ति का दोष अपनी परिस्थितियों तथा अपने आस पास के व्यक्तियों पर – समाज पर – मढ़ देते हैं | कितना भी ब्रह्म मुहूर्त में प्राणायाम, योग और ध्यान का अभ्यास कर लिया जाए, कितना भी चक्रों को जागृत कर लिया जाए – मन की अशान्ति, क्रोध, चिड़चिड़ापन और कई बार उदासी यानी डिप्रेशन भी – जाता ही नहीं | किन्तु समस्या यह है कि जब तक व्यक्ति का मन शान्त नहीं होगा तब तक वह अपने कर्तव्य कर्म भी सुचारु रूप से नहीं कर पाएगा, क्योंकि मन एक स्थान पर – एक लक्ष्य पर स्थिर ही नहीं रह पाएगा | हमने ऐसे लोग देखें हैं जो नियमित ध्यान का अभ्यास करते हैं, प्राणायाम, ध्यान और योग सिखाते भी हैं – लेकिन उनके भीतर का क्रोध, घृणा, लालच, दूसरों को नीचा दिखाने की उनकी प्रवृत्ति में कहीं किसी प्रकार की कमी नहीं दिखाई देती |

अस्तु, मन को शान्त करने के क्रम में सबसे पहला अभ्यास है मन को – अपने ध्यान को – उन बातों से हटाना जिनके कारण व्यवधान उत्पन्न होते हैं या मन के घोड़े इधर उधर भागते हैं | जब तक इस प्रकार की बातें मन में रहेंगी – मन का शान्त और स्थिर होना कठिन ही नहीं असम्भव भी है | इसीलिए पतंजलि ने मनःप्रसादन की व्याख्या दी है |

महर्षि पतंजलि ने ऐसे कुछ भावों के विषय में बताया है जो इस प्रकार की बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं | ये हैं – मित्रता, करुणा या संवेदना और धैर्य तथा समभाव | निश्चित रूप से यदि मनुष्य इन प्रवृत्तियों को अपने दिन प्रतिदिन के व्यवहार में अपना लेता है तो नकारात्मक विचार मन में आने ही नहीं पाएँगे | किसी भी व्यक्ति के किसी विषय में व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं | यदि उसके उन विचारों से किसी को कोई हानि नहीं पहुँच रही है तो हमें इसकी आलोचना करने का या उसे टोकने का कोई अधिकार नहीं | ऐसा करके हम अपना मन ही अशान्त नहीं करते, वरन अपनी साधना के मार्ग में व्यवधान उत्पन्न करके लक्ष्य से बहुत दूर होते चले जाते हैं |

अतः जब भी और जहाँ भी कुछ अच्छा – कुछ आनन्ददायक – कुछ सकारात्मक ऊर्जा से युक्त दीख पड़े – हमें सहज आनन्द के भाव से उसकी सराहना करनी चाहिए और यदि सम्भव हो तो उसे आत्मसात करने का प्रयास भी करना चाहिए, ताकि हमारे मन में वह आनन्द का अनुभव दीर्घ समय तक बना रहे – न कि अपनी व्यक्तिगत ईर्ष्या, दम्भ, अहंकार आदि के कारण उस आनन्ददायक क्षण से विरत होकर उदासी अथवा क्रोध की चादर ओढ़कर एक ओर बैठ जाया जाए | ऐसा करके आप न केवल उस आनन्द के क्षण को व्यर्थ गँवा देंगे, बल्कि चिन्ताग्रस्त होकर अपनी समस्त सम्भावनाओं को भी नष्ट कर देंगे | आनन्द के क्षणों में कुछ इतर मत सोचिए – बस उन कुछ पलों को जी लीजिये | इसी प्रकार जब कभी कोई प्राणी कष्ट में दीख पड़े हमें उसके प्रति दया, करुणा, सहानुभूति और अपनापन दिखाने में तनिक देर नहीं करनी चाहिए | आगे बढ़कर स्नेहपूर्वक उसे भावनात्मक अवलम्ब प्रदान चाहिए |

इस प्रकार चित्त प्रसादन के उपायों का पालन करके कोई भी व्यक्ति मानसिक स्तर पर एकाग्र तथा प्रसन्न अवस्था में रह सकता है | यदि हमारा व्यवहार ऐसा होगा – यदि इन दोनों बातों का अभ्यास हम अपने नित्य प्रति के जीवन में करेंगे – तो हमारा चित्त प्रसन्न रहेगा – और विश्वास कीजिये – इससे बड़ा ध्यान का अभ्यास कुछ और नहीं हो सकता | इस अभ्यास को यदि हम दोहराते रहते हैं तो कोई भी विषम परिस्थिति हमारा चित्त अशान्त नहीं कर पाएगी – किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार हमारे मन में नहीं उत्पन्न होने पाएगा और हमारा मन आनन्दमिश्रित शान्ति का अनुभव करेगा… डॉ पूर्णिमा शर्मा 

 

bookmark_borderहम क्या हैं

हम क्या हैं

प्रायः हम अपने मित्रों से ऐसे प्रश्न कर बैठते हैं कि हमें तो अभी तक यही समझ नहीं आ रहा है कि हम हैं क्या अथवा हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? हम इस माया मोह के चक्र से मुक्त होना चाहते हैं, किन्तु निरन्तर जाप करते रहने के बाद भी हम इस चक्रव्यूह को भेद नहीं पा रहे हैं | समझ नहीं आता क्या करें | इस प्रकार की बातों पर एक छोटी से कहानी का स्मरण हो आता है जो कभी अपनी माँ से सुनी थी | आज आपको भी सुना ही दें |

कहानी कुछ इस तरह से है कि एक चिड़िया का एक छोटा सा बच्चा था, जिसे वो चिड़िया उड़ना सिखा रही थी | हर दिन माँ अपने बच्चे को कोई न कोई नई बात सिखाती खुले आकाश में उड़ने के लिए – कोई न कोई नई तकनीक उसे करके दिखाती ताकि वह बच्चा उस तकनीक को सीख कर इस विशाल और असीम आकाश में जितनी दूर और जितनी ऊँची चाहे उड़ान भर सके | बहुत समय तक बच्चा अपनी माँ के साथ उड़ने का अभ्यास करता रहा | एक दिन जब माँ को लगा कि अब उसका बच्चा इतना सीख चुका है कि उसे अब अकेले आकाश नापने के लिए भेजा जा सकता है तो उसने बच्चे को उड़ान भरने की आज्ञा दे इ | जब वो घोसले से बाहर निकलने लगा तो माँ ने समझाया “बेटा पहली बार अकेले जा रहे हो और अब हर दिन अपना दाना चुग्गा चुनने अकेले ही जाया करोगे, क्योंकि अब तुम बड़े हो गए हो और आत्मनिर्भर बन सकते हो | लेकिन बेटा सदा ही कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना | एक तो शाम को घर जल्दी वापस लौट आना – सूर्यास्त से पहले ही, देर मत करना | दूसरे, रास्ते में कहीं व्यर्थ में ही मत रुकना, आजकल पंछियों को जाल में फँसाने की ताक में लोग बैठे रहते हैं और दाने का लालच देते रहते हैं | साथ ही मन में बस एक ही मन्त्र का जाप करते रहोगे कि “मैं किसी लालच में नहीं पडूँगा और शिकारियों से सावधान रहूँगा |” तो ये बात तुम्हारे मन में बैठ जाएगी और तुम सदा शिकारियों की ओर से सावधान रहोगे…” माँ ने बार बार इस मन्त्र का जाप बच्चे से कराया और बच्चा खुले आकाश में उड़ान भरने लगा |

एक दिन बहुत देर हो गई, सूर्यदेव छिप गए, लेकिन बच्चा नहीं लौटा | माँ को चिन्ता होनी स्वाभाविक थी | चिन्तित माँ बच्चे की खोज में निकली | कुछ दूर जाने पर क्या देखती है कि उसका बच्चा किसी शिकारी के जाल में फँसा हुआ है और माँ के दिए मन्त्र का जाप किये जा रहा है “मैं किसी लालच में नहीं पडूंगा और शिकारियों से सावधान रहूँगा |”

हमारा जीवन भी ऐसा ही है | हम निरन्तर अपने गुरुजनों द्वारा दिए गए इसी मन्त्र का जाप करते रहते हैं कि अपनी स्वतन्त्रता अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हम किसी लालच में नहीं फँसेंगे, किन्तु केवल वाणी से “जाप” भर करते हैं | इस मन्त्र का अर्थ जानते भी हैं, किन्तु उस अर्थ को “समझने” का प्रयास नहीं करते | सब कुछ जानते हुए भी प्रायः हम अपनी ही अभिलाषाओं और अहंकार के जाल में फँसते चले जाते हैं और उन्हीं के अनुरूप कर्म और प्रयास करते रहते हैं | तो सबसे बड़ी समस्या यहीं पर है | हम स्वयं इस तथ्य की खोज में असफल रहते हैं कि हम वास्तव में चाहते क्या हैं और बहुत शीघ्र ही बहुत छोटी छोटी सारहीन बातों और वस्तुओं की ओर आकर्षित होकर मान बैठते हैं कि यही तो हमें चाहिए | कुछ दिनों के बाद उससे उकता जाते हैं और फिर किसी नवीन वस्तु की ओर आकर्षित हो जाते हैं | और यही क्रम जीवन भर चलता रहता है |

इसलिए, हमें बड़ी सावधानी से इस तथ्य को समझने का प्रयास करना चाहिए कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है, उसके लिए हम कितना प्रयास कर रहे हैं और उन प्रयासों से हमारी क्या अपेक्षाएँ हैं | पूरी निष्ठा तथा विश्वास के साथ यदि ऐसा करेंगे तो कर्म भी अनुकूल दिशा में करेंगे जिनके कारण सफलता अवश्य प्राप्त होगी, क्योंकि निष्ठा और विश्वास ही मूर्त रूप में परिणत होते हैं | जैसा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा भी है कि सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके सत्त्व अर्थात स्वभाव और संस्कार के अनुरूप होती है | मनुष्य स्वभाव से ही श्रद्धावान है, इसलिए जो व्यक्ति जिस श्रद्धा वाला है वह स्वयं भी वैसा ही है अर्थात् जैसी जिसकी श्रद्धा होगी वैसा ही उसका रूप, गुण, धर्म होगा तथा उसी के अनुरूप उसका कर्तव्य कर्म तथा प्रयास होगा…

सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत |
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः ||17/3||

इसलिए हमें अपने स्वयं के प्रति ईमानदार होने की आवश्यकता है कि हम अपने विषय में क्या सोचते हैं, क्या करना चाहते हैं | कोई अन्य न तो यह जानना चाहेगा कि हम स्वयं अपने विषय में क्या सोचते हैं न ही वह हमें यह बता पाने में समर्थ ही होगा | हमें स्वयं ही स्वयं के समक्ष यह सिद्ध करना होगा कि हमने किसी लालच के फँसे बिना कितनी निष्ठा और कितने विश्वास के साथ प्रयास किया है स्वयं को जानने का… तभी हम अपने जीवन का उद्देश्य समझ पाएँगे, तभी अनुकूल कर्म करते हुए अपने प्रयासों में सफल हो पाएँगे और तभी हमारी स्वयं के प्रयासों से जो अपेक्षाएँ हैं वे सन्तुष्ट हो पाएँगी…

डॉ पूर्णिमा शर्मा 

 

bookmark_borderBachpan ki yadein

Bachpan ki yadein

बचपन की यादें

सुनीता अरोड़ा
सुनीता अरोड़ा

बचपन की वो यादें आज ताज़ा हो गईं |

रात को जब सोते हुए आसमां के तारे गिना करते थे,

और देखते ही देखते गहरी नींद सो जाया करते थे तो,

आज बाहर आकर आसमां की ओर देखा / तो तारे देख,

बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं |

मम्मी पापा के साथ मिलकर काम करते हुए जो खुशी महसूस होती थी,

फिर से वही सब करते हुए उसी खुशी का अनुभव हुआ

और बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं |

परिवार के साथ मिलकर लूडो खेलना,

TV देखना, कैरम बोर्ड खेलना,

फिर से लौट आए,

और बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं |

मम्मी के साथ रसोईघर में हाथ बंटाना,

और देखते ही देखते सब कुछ सीख जाना,

आज अपने बच्चों को देख वह याद आ गया

और बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं |

परिवार के साथ रहकर खुशी को महसूस करना

अपने सुख-दुख को बांटना आनंदित कर गया

और बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं |

सुनीता अरोड़ा

(ये रचना सुनीता अरोड़ा ने लिखी है | सुनीता अरोड़ा WOW India की इन्द्रप्रस्थ ब्रांच की Treasurer होने के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुडी हुई हैं | साथ ही ये Haley Star Public School की Principal भी हैं | लिखने का शौक़ रखती हैं, जो इस रचना से पता ही चल रहा है…)

 

bookmark_borderप्रगति का सोपान सकारात्मकता

प्रगति का सोपान सकारात्मकता

व्यक्ति के लिए हर दिन – हर पल एक चुनौती का समय होता है | और आजकल के समय में जब सब कुछ बड़ी तेज़ी से बदल रहा है – यहाँ तक कि प्रकृति के परिवर्तन भी बहुत तेज़ी से ही रहे हैं – इस सारे बदलाव और जीवन की भागम भाग के चलते मनुष्य के मन में बहुत सी शंकाएँ अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर घर करती जा रही हैं | इन्हीं शंकाओं के कारण हम सब अनेक प्रकार की नकारात्मकताओं के शिकार भी होते जा रहे हैं |

किन्तु इस सबसे घबराकर निष्कर्मण्य होकर बैठ रहना, किसी तनाव का शिकार होकर बैठ रहना या अपने आप पर से विश्वास उठा लेना – कि नहीं, हमसे ये नहीं होगा – ये सब स्वस्थ मानसिकता के लक्षण नहीं हैं | हमें साहस और समझदारी के साथ हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहने का प्रयास करना चाहिए – क्योंकि जीवन गतिशीलता का ही नाम है | और इसका एक ही उपाय है – आशावान बने रहकर हर परिस्थिति में से कुछ सकारात्मक खोजने का प्रयास किया जाए | सकारात्मकता का एक सिरा भी यदि हाथ में आ गया तो उसके सहारे आगे बढ़ने का और उस परिस्थिति या व्यक्ति के अन्य सकारात्मक पक्षों को ढूंढ निकालने का कार्य किया जा सकता है | और यदि अधिक सकारात्मकता नहीं भी दीख पड़ती है – क्योंकि हम स्वयं बहुत सी शंकाओं से घिरे हुए हैं – तो जो सिरा हाथ आया है उसे ही मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे तो अन्य नकारात्मकताएँ सकारात्मकता में परिणत होती जाएँगी |

इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि परिस्थिति की नकारात्मकताओं के साथ समझौता किया जाए | नहीं, बल्कि उन्हें सकारात्मक बनाने का प्रयास करना है | क्योंकि जीवन में कभी भी सब कुछ सकारात्मक या मनोनुकूल नहीं उपलब्ध होता है | और नकारात्मकताओं के धागे इतने एक दूसरे से बँधे हुए होते हैं कि एक धागे को खींचेंगे तो सारा का सारा आवरण उधड़ता चला जाएगा और तब सारे तार ऐसे उलझ जाएँगे कि उन्हें सुलझाना असम्भव हो जाएगा |

इसीलिए हमारे मनीषियों ने कहा है कि सुख और दुःख, सफलता और असफलता सबमें समभाव रहते हुए कर्तव्य कर्म करते रहना चाहिए | मन को शान्त करने का अभ्यास करते रहना चाहिए | अच्छा बुरा सब पानी के बुलबुले के समान है जो नष्ट होना ही है | हम सबका ध्येय वो बुलबुला नहीं है, उसके पीछे का वो गहरा और अथाह समुद्र है जिसकी हलचल इस सबका कारण है – जिसकी सतह पर ये बुलबुले दीख पड़ते हैं |

सकारात्मकता और नकारात्मकता के फेर में पड़कर हमारी खोज प्रायः उन वस्तुओं या परिस्थितियों पर केन्द्रित होकर रह जाती है जो वास्तविक नहीं हैं और इसी कारण असंतुष्टि का भाव बना रहता है – जो मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण है |

वास्तव में जिन्हें हम सकारात्मक और नकारात्मक कहते हैं, सफलता और असफलता कहते हैं – उनमें से कुछ भी वास्तविक नहीं है | केवल मात्र हमारे स्वयं के “अहं” – जिसे ईगो कहा जाता है – की सन्तुष्टि और असन्तुष्टि की उपज होती है | या फिर हमारे परिवार, गुरुजनों, समाज आदि ने हमारे मन में कहीं बहुत गहराई में इसे आरोपित कर दिया होता है | जिस दिन हम इस यथार्थ को समझ गए उस दिन न केवल हमारा मन शान्त हो जाएगा, बल्कि हम हर वस्तु, हर व्यक्ति और हर परिस्थिति में समभाव रहकर केवलमात्र सकारात्मक विचारों और भावों के साथ जीना सीख जाएँगे | यह कार्य कठिन हो सकता है, किन्तु अभ्यास करेंगे तो असम्भव भी नहीं होगा…

हम सभी हर परिस्थिति में सकारात्मकता बनाए रखें यही कामना है… क्योंकि जीवन में प्रगति का एक सोपान यही है…

https://shabd.in/post/113630/pragati-ka-sopan-sakaratmakata

 

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आओ मिलकर कोरोना से लडें

आज प्रथम नवरात्र के साथ ही विक्रम सम्वत 2077 और शालिवाहन शक सम्वत 1942 का आरम्भ हो रहा है । सभी को नव वर्ष, गुडी पर्व और उगडी की हार्दिक शुभकामनाएँ…

कोरोना जैसी महामारी से सारा ही विश्व जूझ रहा है – एक ऐसा शत्रु जिसे हम देख नहीं सकते, छू नहीं सकते – पता नहीं कहाँ हवा में तैर रहा है और कभी भी किसी पर भी आक्रमण कर सकता है । और एक बात, जो बेचारा ग़रीब फुटपाथ पर सो रहा है उसके लिए ये वायरस शायद इतना ख़तरनाक नहीं है जितना मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों के लिए हो सकता है । कारण ?

पहली बात तो उस ग़रीब का इम्यून सिस्टम बड़ा स्ट्रॉन्ग होता है क्योंकि न तो वो हमारी आपकी तरह से आर ओ का पानी पीता है न बार बार हाथों पर सेनिटाइजर लगाता है । हर दिन पसीना बहाता है तब कहीं जाकर दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ कर पाता है और इस पसीने के साथ शरीर के बहुत सा विष बाहर निकाल फेंकता है | हम जैसे लोगों ने आर ओ का पानी पी पीकर अपना इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर कर लिया है । प्रकृति से दूर हो गए हैं । सुख सुविधाओं के इतने अधिक अभ्यस्त हो चुके हैं कि पसीना बहाना हमें आता नहीं – योग या कसरत भी करते हैं तो वो भी एयरकंडीशंड जिम या घरों के एयरकंडीशंड कमरों में – पसीना कहाँ से बहेगा | दूसरे, उस ग़रीब का कोई परिचित या सगा सम्बन्धी विदेश से वापस नहीं आया है । न ही उसे हम पास बैठाते हैं, न ही उससे हाथ मिलाते हैं कि उसे वायरस लग जाएगा । और हमारे जैसे समझदार लोग जनता कर्फ्यू के दौरान शाम को पाँच बजे घरों से बाहर निकल कर जुलूस निकालते हैं, भँगड़ा करते हैं – जैसे कोई उत्सव मना रहे हों । क्योंकि हम लोग स्वयं को अनुशासन में रखना जानते ही नहीं । इसी कारण से देश भर में लॉकडाउन करना पड़ा सरकार को । माना इसके परिणाम आर्थिक रूप से अच्छे नहीं होंगे, लेकिन अगर जीवन बच गया और स्वास्थ्य सही रहा तो अर्थ व्यवस्था फिर से सुधरनी आरम्भ हो जाएगी ।

हमारे कुछ प्रिय मित्रों ने कहा “आप जैसे ज्योतिषी कुछ कर सकते हैं…” बड़ी हँसी आई मैसेज पढ़कर | भैया, ज्योतिषी कोई भगवान नहीं होता | उसने जो कुछ अध्ययन किया है उन्हीं सूत्रों और अपने अनुभवों के आधार पर फल कथन करता है कि ग्रहों के गोचर इस प्रकार के हैं, दशाएँ इस प्रकार की हैं तो इन सबके ये मिले जुले परिणाम हो सकते हैं | इसीलिये बार बार दोहराते हैं कि किसी अन्धविश्वास का शिकार होने से कोई लाभ नहीं | समस्या सबको दीख पड़ रही है, और इस समस्या का समाधान भी हमारे विचार से इस लॉकडाउन में ही है | तो, इस लॉकडाउन से घबराएँ नहीं । हमें ये 21 दिन का समय मिला है कि बैठकर आत्ममन्थन करें, कुछ सकारात्मक और रचनात्मक कार्य करें । कुछ स्वाध्याय में मन लगाएँ और मन को शान्त रखने के लिए तथा Positivity बनाए रखने के लिए ध्यान का अभ्यास करें | साथ ही जैसा हमारे प्रिय प्रधानमन्त्री ने कहा, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग रात दिन एक किये दे रहे हैं इस बीमारी की रोक थाम के लिए | पुलिस के लोग न जाने कितने लोगों के संपर्क में आते होंगे, लेकिन बिना किसी भय के अपनी ड्यूटी का पालन मुस्तैदी से कर रहे हैं | मीडिया कर्मी हमें जागरूक बनाए रखने के लिए पल पल की रिपोर्ट हम तक पहुँचा रहे हैं | हमारे घरों में राशन, दूध और दवाएँ आदि ज़रूरत के सामान पहुँचाने वाले लोग जो बिना डरे अपना कार्य कर रहे हैं | इन सभी को हृदय से धन्यवाद देते रहें | और जब कभी मन में किसी प्रकार की निराशा का भाव उत्पन्न हो तो उन लोगों के विषय में सोचें जो रोज़ कुआँ खोद कर पानी पीते हैं – यानी रोज़ मज़दूरी करते हैं तब उनके घरों में चूल्हे जलते हैं । हम लोगों के घरों में और कुछ भी नहीं तो इतना तो निकल ही आएगा कि नमक से रोटी खा लें, लेकिन उन बेचारों के पास तो ये सुविधा भी नहीं है ।

नवरात्र आरम्भ हो गए हैं, आवश्यक नहीं कि पूरे सामान के साथ कलश स्थापना न कर पाने से दुःखी हुआ जाए, घर में बैठकर माँ भगवती का ध्यान करें, जाप करें, पाठ करें और प्रार्थना करें कि संसार को इस समस्या से मुक्ति प्राप्त हो ।

माँ भगवती अपने नौ रूपों के साथ सभी का कल्याण करें…

bookmark_borderA humble request to all WOW members

?? A humble request to all WOW members ??
?? WOW India के सभी सदस्यों से एक विनम्र निवेदन ??

आप सभी से निवेदन है कृपा करके कल घरों में ही रहें, और सम्भव हो तो घरों में आपकी सहायता के लिए आने वाली महिलाओं (यानी कामवाली बाई जिन्हें आमतौर पर बोलते हैं), ड्राइवरों, प्रेस वालों, कार साफ़ करने वालों आदि की भी हार्दिक धन्यवाद सहित कल छुट्टी कर दें – लेकिन उनका वेतन न काटें । ऐसा आप स्वयं के, परिवार के, समाज व देश सभी के स्वास्थ्य के लिए करेंगे । ये जनता कर्फ्यू” कोई ऐसा कर्फ्यू नहीं है जहाँ पुलिस आपके हमारे सिरों पर खड़ी रहेगी, ये एक जागरूकता के लिए चलाया गया अभियान है । हम सब मिलकर कोरोना को तीसरे स्तर पर पहुँचने से रोक सकते हैं । नहीं तो दूसरे देशों का हाल हम सबने देखा ही है – जहाँ की जनसंख्या भी हमारे देश के मुक़ाबले बहुत कम है लेकिन कितनी तेज़ी से वहाँ महामारी फैली, कितनी लोगों को संक्रमित किया और कितनों की जान ले ली । हमें उस स्तर पर नहीं पहुँचना है । हमारी केन्द्र सरकार और सभी राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर बहुत अच्छे प्रयास कर रही हैं इसे रोकने के लिए – हमें अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे – पैनिक हुए बिना – डरे बिना । साथ ही हमें अपने डॉक्टर्स और नर्सेज़ का धन्यवाद करना भी नहीं भूलना है जो रात दिन जान हथेली पर लेकर किसी बॉर्डर पर तैनात सिपाही की तरह हम सबका स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में जुटे हुए हैं, और ऐसा केवलमात्र कल ही नहीं करना, जीवन के इन रक्षकों को तो सदा ही धन्यवाद देना चाहिए…

डॉ. पूर्णिमा शर्मा ??

A humble request to all WOW members
A humble request to all WOW members

bookmark_borderHomeopathy – A holistic specialized treatment option

Homeopathy – A holistic specialized treatment option

Homeopathy is an individualized mode of treatment which is tailor made for a particular patient. It was discovered more than two hundred years ago by a German doctor Dr. C S F Hahnemann. It is useful for a number of conditions and diseases.

The most interesting part about the treatment is that it can treat you even when you are not diagnosed with an illness but you have a lot of complaints. It can also treat you when you have one or many diseases diagnosed together. The homeopathic doctor asks you a detailed history of your complaints, your past medical history, your family history of diseases and your general symptoms. Based on this detailed history, your personal likes and dislikes, your sleep position etc. the doctor tries to understand what is wrong with your system and how it can be corrected.

The doctor prescribes medicines which have to be taken two or three times a day in pill form. These pills have very low-calorie value and are absolutely safe for diabetics as well. Sometimes weekly medicines are also given to boost your immunity so this prevents you from falling sick also. The doctor can manage your acute diseases as well as chronic diseases together. Regular treatment improves your quality of life and you understand your cause or causes of falling sick. Even if you have mental symptoms or emotional problems, the medicines can remove them without much delay.

The common myth about homeopathy being slow is no longer true because the treatment protocol is designed in a manner to give you speedy recovery. Another lesser known benefit of homeopathy is that it can treat problems which you forget to tell your doctor or which you are unaware of. If the treatment protocol suits you even those complaints that you never discussed would be taken care of over a period of time. This is because homeopathy acts on the functional level and the normal functioning of your organs is achieved.

It boosts your mental, spiritual, physical as well as emotional well-being and is the safest way to rediscover health.

 

 (Dr Priya Kapoor, BHMS, MD (Hom) is the is a Homeopathic consultant with over eighteen years of clinical experience. She is a graduate and post- graduate in Homeopathy from Nehru Homeopathic Medical College and Hospital, University of Delhi and Aurangabad respectively. She has the experience of working with a renowned homeopath Dr. Jugal Kishore for seven years and has been involved in researching and writing books on Homeopathy. She has the experience of working in Pushpanjali Crosslay hospital, now max Superspeciality for last ten years.)

bookmark_borderInternational women’s day program

International women’s day program

WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. Here is the Rashtragan by the Government Body members of WOW India…

https://youtu.be/FEc9KzjcA0A

 

WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. Here, Dr. Purnima Sharma, Secretary General giving an introduction of the program…

https://youtu.be/k2bl7lBQ3XM

 

WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. On this occasion, Dr. Sharada Jain, Chairperson of WOW India, expressed her views on the empowerment of women…

https://youtu.be/3XJMe9L454o

 

WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day with a colorful event. Program was hosted by the Cultural Secretary of WOW India Mrs. Leena Jain. On this occasion, Dr. S. Lakshmi Devi, President of WOW India informed the audience about the journey of WOW India from the beginning till now…

https://youtu.be/bVaD7Amz0rI

bookmark_borderReport of 8th March program

Report of 8th March program

WOW India and DGF organized an Award Ceremony in IPEX Bhawan Patparganj on 8 March on the occasion of International Women’s Day

Dr. Purnima Sharma
Dr. Purnima Sharma

with a colorful event. The theme of the program was safety of women and with a small dialogue on the same subject, the members of WOW India started the program.

The conceptualization & script-writing was of Dr. Purnima Sharma, Secretary General of WOW India, which was directed by the Cultural Secretary of WOW India Leena Jain. WOW India President Dr. S. Lakshmi Devi with Banu Bansal, Dr. Ruby Bansal, Dr. Priya Kapoor, Dr. Deepika Kohli, Dr. Rashmi Jain, Dr. Indu Tyagi, Sarita Rastogi and Sushma Aggarwal presented it with full enthusiasm.  After that, Dr. Sharada Jain, Chairperson of WOW India, expressed his views on the empowerment of women and Dr. S. Lakshmi Devi, President of WOW India informed the audience about the journey of WOW India from the beginning till now. Leena Jain successfully conducted the program.The main attraction of the program was to listen to Didi Maa Sadhvi Ritambhara ji. Didi Maa Narrated the journey of women started from Vedic period to modern period, also suggested that it’s the duty of a woman to give good values to her children since childhood – especially boys – so that they can learn to respect other women.Renowned Kathak dancer Ms. Prerana Shrimali of Jaipur Gharana was awarded with International Women’s Day Legendary Award for her unprecedented contribution in the field of classical dance. She is an Inspiration for all gurus to keep alive the “Guru-Shishya tradition”, an important part in the field of arts like music & dance. Speaking on this occasion, Prerana ji also worried that why half the population of the world, i.e. women, are considered lower than the men? Why are girls still banned from leaving the house after dusk in many places? And even if they have to go, the brother will accompany them – even if that brother is ten years younger than them? In fact, these are such burning questions that we all have to find answers together.Apart from this, the highly qualified Dr. Deepti Nabh was awarded with the Excellence Award for her commendable contribution in the field of women’s health. Dr. Nabh is Senior Consultant Obstetrician & Gynaecologist & Infertility Expert. Ms. Yogita Bhayana was awarded with the Excellence Award – for the work she is doing in the field of social service – especially for rape victims. Mrs. Amropali Gupta, the famous Odissi dancer, awarded with the Excellence Award in the field of music and art. Some Appreciation Awards were given. Awardees are:  Dr. Meenakshi Sharma in the field of health, Mrs. Bimlesh Agarwal of Yojana Vihar branch, Mrs. Sunita Arora of Indraprastha branch and Mrs. Vandana Verma of IPEX branch in the field of social service, Mrs. Rekha Asthana of Surya Nagar branch in the field of education and Mrs. Rajeshwari Bhargava of Indraprastha Branch in the field of music and dance. Mrs. Savita Kripalani of Surya Nagar branch and Mrs. Parul Sharma of Indraprastha branch – who provides Consultancy Services under the name Study Seven seas for students wishing to pursue medical studies abroad – were honored as Best Co-Ordinator. Suryanagar and Indraprastha branches were awarded with Best Branch awards in various fields.

Members of all the branches and members of the Delhi Gynaecologist Forum presented colourful programs. The most attractive program was the classical dance of Amropali Gupta’s two disciples, Anupriya Sharma and Sanwari Singh.

Dr. Purnima Sharma