Navaratri Special – Water Chestnut Flour Kadhi
नवरात्रि स्पेशल – सिंघाड़े के आटे की कढ़ी
जैसा की सब ही जानते हैं, कल से माँ भगवती के नौ रूपों की उपासना का पर्व नवरात्र आरम्भ होने जा रहे हैं | सभी लोग पूर्ण आस्था के साथ माँ भगवती की पूजा अर्चना
करेंगे | चौदह अप्रैल को चैत्र शुक्ल द्वितीया – दूसरा नवरात्र – माँ भगवती के दूसरे रूप की उपासना का दिन | देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति करना जिसका स्वभाव हो वह ब्रह्मचारिणी | यह देवी समस्त प्राणियों में विद्या के रूप में स्थित है…
नवरात्घरों में घर घर में व्रत में खाए जाने वाले फलाहार के पकवान बनेंगे | प्रायः हर घर में साबूदाने की खिचड़ी, कुट्टू सिंघाड़े के आटे की पूरी पकौड़ी, सिंघाड़े के आटे का हलवा, रागी और चौलाई के आटे से बने पकवान, सामख के चावलों से निर्मित पकवान, मखाने की खीर इत्यादि इत्यादि न जाने कितने प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं | हम इस अवसर पर अपने सदस्यों द्वारा भेजी हुई नवरात्रों में खाए जाने वाले पकवानों की विधि आपको बता रहे हैं | कढ़ी तो हम सभी बे चाव से खाते हैं… अलग अलग तरह की कढ़ी… कहीं पंजाबी कढ़ी तो कहीं मारवाड़ी कढ़ी तो कहीं गुजराती कढ़ी, सिन्धी कढ़ी, हिमाचली कढ़ी इत्यादि इत्यादि… कहीं कढ़ी बेसन और दही मट्ठे से बनाई जाती है, कहीं इमली से तो कहीं मूँग की डाल की पिट्ठी की कढ़ी बनाई जाती है… लेकिन इनमें से कोई भी कढ़ी नवरात्रों में नहीं खाई जा सकती… अब अगर नवरात्रों में परिवार के सदस्यों का कढ़ी खाने का मन क्या करेंगे…? ज़ाहिर सी बात है नवरात्र में जिस जिस आटे का हम प्रयोग करते हैं उसी आटे से बनाएँगे… तो आइये आज बनाते हैं सिंघाड़े के आटे की कढ़ी… कैसे…? आइये सीखते हैं हमारी रेखा अस्थाना जी से… एक और बात, रेखा जी वाराणसी से सम्बन्ध रखती हैं इसलिए वे प्रायः उसी क्षेत्र की रेसिपीज़ साँझा करती हैं… रेसिपी पढ़ने के लिए कृपया लिंक पर जाएँ… डॉ पूर्णिमा शर्मा…
शकरकन्दी का पूओं की तरह ये भी ये भी वाराणसी का ही व्यंजन है | वाराणसी के लोग मस्त मौला और शिव जी के उपासक हैं | वहाँ हलवाई भी खूब फलाहार बनाते हैं | प्रातः ही नहा धोकर लग जाते हैं फलाहार बनाने में | क्या मज़ाल कि आप उनके व्यंजन को छू भी दें | अगर गलती से छू दिया आपने तो सब कुछ गौ माता को खिला कर सबका पैसा आपसे वसूलेंगे | तो भैया सावधान होकर ही जाना आप…
अब हम आपको कढ़ी की विधि बताएँगे…
सामग्री…
- एक कटोरी सिंघाड़े का आटा
- एक कटोरी दही
- चार हरी मिर्च
- चार उबले आलू
- एक चम्मच जीरा
- नमक सेंधा स्वादानुसार
विधि…
आलू को स्लाइस में काट कर हरी मिर्च और जीरे के साथ छौंक दें |
अब सिंघाड़े का आटा व दही खूब अच्छी तरह मिलाकर घोल बना लें | घोल पतला ही होना चाहिए | दस मिनट के बाद उस घोल को आलू की कड़ाही में डाल दें और करछुल से चलाते रहें | ध्यान रहे बराबर चलाते रहना है जब तक वह पन्द्रह मिनट में पक न जाए |
आप अपने हिसाब से उसमें हरी धनिया भी डाल सकती हैं |
ध्यान रहे आपके घर पर व्रत में जो खाया जाता है उसी का इस्तेमाल करें | ये कुट्टू के आटे की गर्म पूड़ियों के साथ बहुत अच्छी लगेगी |
इसके साथ ही हरी धनिया, हरी मिर्च और एक आँवला डालकर आप चटनी पीस सकती हैं | सभी चीज़ों में सेंधा नमक का ही इस्तेमाल करें | यह हितकर होता है |
माँ भगवती का ब्रह्मचारिणी रूप हम सबकी रक्षा करते हुए सबकी मनोकामनाएँ पूर्ण करे और सबके ज्ञान विज्ञान में वृद्धि करे…
___________________रेखा अस्थाना