Mera Pyara Sehajan
मेरा प्यारा सहजन
(रेखा अस्थाना जी का संस्मरण… जब हम कोई वृक्ष रोपते हैं तो उसके साथ अपनी सन्तान के जैसा मोह हो जाना स्वाभाविक ही है… उसके फलने फूलने में कोई कमी रह
जाए तो मन उदास हो जाता है – उसी तरह जैसे अपनी सन्तान को कष्ट में देखकर होता है, और जब वो फलता फूलता है तो मन उसी प्रकार प्रफुल्लित हो उठता है जैसे अपनी सन्तान को सुखी देखकर होता है… यही भाव रेखा जी के इस संस्मरण में हैं… रेखा अस्थाना जी रिटायर्ड अध्यापिका हैं तथा हिन्दी की लब्धप्रतिष्ठ लेखिका और कवयित्री होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी कार्य कर रही हैं… डॉ पूर्णिमा शर्मा)
मेरा प्यारा सहजन
कवि हृदय की कमी आपको बता दूँ, वे कभी अपने मन के उदगार छिपा नहीं पाते | दुख हो या सुख, वे दूसरों को बताएँगे जरूर | एक तरह से ढोल होते हैं वे | जब तक बता न दें बेचैन रहते हैं वे | कोई सुनने वाला न मिले तो कागज पर ही मन की बात उतार देते हैं |
अब आइए मुद्दे की बात पर | मैं भी कुछ ऐसी ही हूँ | सारी हृदय की बातें जब तक कह न दूँ पेट में गैस बन जाती है | हुआ ऐसा कि मुझे पेड़ पौधों से बहुत लगाव है | बचपन से ही इनके बीच रहती आई हूँ | पेड़-पौधे की हर अवस्था को बारीकी से देखती व समझती हूँ | और जिस तरह बच्चे की हर क्रियाकलाप में आप उसे आशीष देते हैं मैं अपने इन पेड़ों को देती हूँ |
आज से लगभग ढाई बरस पूर्व मैंने एक सहजन का पौधा रोपा था | माली से ढाई सौ में खरीद कर | उसके पूर्व कई बार अनेक कटिंग सहजन की लगाई थी पर कोई न उगा |
यह लगाया हुआ पेड़ बड़ी तीव्र गति से पूरा वृक्ष बन गया | इसकी बढ़त देखकर मन झूम उठता | फिर इसकी छँटाई भी करवाई | पर ढाई बरस में फूला नहीं, मन उदास हो गया | भगवान से प्रार्थना कर रही थी |
अचानक फरवरी 2021 के प्रथम सप्ताह में जब प्रातः उठकर अपने छज्जे से सूर्यदेव को प्रणाम कर रही थी और दृष्टि सहजन के गाछ पर गयी तो फुनगियों पर कुछ गुलाबी मिश्रित नारंगी रंग के कलियों के गुच्छे दिखाई दिए |
मन में अचानक उछाह उठा | जल्दी से भीतर जाकर चश्मा उठा लाई और लगा कर बड़े ही प्यार से निहारने लगी और ईश्वर को कोटि- कोटि धन्यवाद दिया | सच बताऊँ कितनी खुशी हुई जैसे प्रथम बार किसी को माँ बनने की खबर पता चलती है उतनी ही खुशी इन कलियों को देखकर हुई |
मुझे अपने पोते को पहली बार जब देखकर मन प्रसन्न हुआ उसी प्रकार इन कलियों को निहार कर हुआ | अब तो रोज ही कलियों को निहारती हूँ और इनसे फूल बनने की प्रक्रिया भी देख रही हूँ | दोनों हाथ जोड़कर ईश्वर से आशीष माँगती हूँ | खूब फलो फूलो मेरे सहजन |तुम दुनिया की बुरी नज़र से बचे रहो|
इस प्रक्रिया को किसी को कह न पाई सो लिख दिया ताकि आप सब पढ़ सकें | और हाँ मेरे सहजन को आशीर्वाद जरूर देना…
रेखा अस्थाना