Routine and lifestyle
दिनचर्या और जीवन शैली
गत सात दिसम्बर को WOW India की ओर से Lifestyle diseases यानी एक अननुशासित दिनचर्या के कारण होने वाली बीमारियों पर चर्चा के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया | आयोजन सफल रहा | लेकिन उसके बाद जब हमने रिपोर्ट पोस्ट की तो कुछ लोगों ने बात की कि आज के समय में जो लोग Working हैं, यानी कहीं नौकरी आदि करते हैं उनके लिए किसी भी दिनचर्या और जीवन शैली का पूरी शिद्दत से पालन करना असम्भव हो जाता है उनके कार्यभार और समय के अभाव के कारण | उनकी बात से हम सहमत हैं – बहुत से लोगों को – महिलाओं को भी और पुरुषों को भी – कई बार ऐसी नौकरी होती है जहाँ उन्हें शिफ्ट ड्यूटी करनी पड़ती है – कभी दिन की तो कभी रात की | इसलिए ऐसे लोगों का प्रश्न बिल्कुल सही है कि कैसे एक अनुशासित दिनचर्या और एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जा सकता है ?
यहाँ सबसे पहले तो एक बात कहना चाहेंगे कि एक आदर्श दिनचर्या और जीवन शैली अपनाकर हम केवल अपने स्वास्थ्य को ही अच्छा नहीं बनाए रखते, अपितु मानसिक, आध्यात्मिक, शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विभिन्न स्तरों पर आवश्यकतानुरूप एक सन्तुलित जीवन जी कर एक सुखद परिवार और सुखद समाज के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं |
अब बात करते हैं कि दिनचर्या और जीवन शैली कहते किसे हैं | दिनचर्या मन और शरीर के सन्तुलन के साथ एक ऐसा दैनिक कार्यक्रम है जो प्रकृति के चक्र को ध्यान में रखकर किया जाता है | यही कारण है हर व्यक्ति की अपनी एक विशेष
दिनचर्या होती है और वह हमारी जीवन शैली का मूल होती है | यानी हम कह सकते हैं कि हमारी दिनचर्या हमारी जीवन शैली का ही एक अभिन्न अंग है | एक आदर्श दिनचर्या के लिए स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता है और एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए अनुशासित दिनचर्या की आवश्यकता है |
हमारी दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए कि जिससे हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहे | और जब स्वास्थ्य की बात करते हैं तो शारीरिक, मानसिक, सामाजिक सभी प्रकार के स्वास्थ्य के विषय में बात करते हैं | तो, यदि कुछ सरल से उपायों को अनुशासनात्मक रूप से अपनी हमारी जीवन शैली भी अपने आप स्वस्थ होती जाती है | और जब हमारी दिनचर्या पूर्णतः अनुशासित होगी तथा स्वस्थ जीवन शैली का पालन करेंगे तो लक्ष्य प्राप्ति में कोई समस्या नहीं होगी |
इसमें सबसे पहले आता है समय का ध्यान रखना – यदि हमने अपने समय को अच्छी तरह व्यवस्थित कर लिया – जिसे सरल भाषा में टाइम मैनेजमेंट कहा जाता है – तो किसी प्रकार की भागमभाग की आवश्यकता ही नहीं होगी और हमारी दिनचर्या सुचारु रूप से चलती रहेगी |
सरल और स्वस्थ दिनचर्या से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं, दोष सन्तुलित होते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और इन का आरम्भ ताज़गीभरा रहने से सारा दिन ही आनन्द से व्यतीत होता है और हम उस के अपने समस्त कर्म भली भाँति सम्पन्न करने में सक्षम हो सकते है |
शेष आगे…. पूर्णिमा
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