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Blog: Visit to Vatsalya Gram

Visit to Vatsalya Gram

Visit to Vatsalya Gram

कल 18 नवम्बर का दिन WOW India के सदस्यों के लिए बहुत उत्साहपूर्ण और आनन्ददायक रहा | परम पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के निमन्त्रण पर WOW India की President डॉ लक्ष्मी और Secretary General डॉ पूर्णिमा शर्मा के साथ Vice President बानू बंसल, सरिता रस्तोगी, Cultural Secretary लीना जैन, सुनन्दा

दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ सुमित और स्वस्ति श्री शर्मा
दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ सुमित और स्वस्ति श्री शर्मा

श्रीवास्तव और संगीता गुप्ता वहाँ गए थे | हमारे विशेष अनुरोध पर मि सुमित (Studio What Nxt Director) रूपम (Studio What Nxt CEO) और स्वस्ति श्री शर्मा (Voice Artist and a famous Singer and a volunteer of WOW India) भी हमारे साथ वहाँ पहुँचे थे | प्रातः 7.30 पर दिल्ली से प्रस्थान किया था और ग्यारह बजे के लगभग वृन्दावन पहुँचकर सबसे पहले बाँके बिहारी जी के दर्शन किये गए और उसके बाद पहुँच गए वात्सल्य ग्राम – एक ऐसा स्थान जहाँ स्नेह और ममता की सरिता अनवरत प्रवाहित होती रहती है… सायं पाँच बजे तक वहाँ रहे और वहाँ की मधुर स्मृतियाँ मन में सँजोए पुनः वहाँ जाने की लालसा लिए दिल्ली वापस लौट आए…

वात्सल्य ग्राम कृष्ण-यशोदा की अनूठी परिकल्पना के आधार पर बसाया गया एक अनूठा ग्राम है | जहाँ हर माँ माता यशोदा की भाँति अपनी सन्तानों पर स्नेह की वर्षा करते थकती नहीं और हर सन्तान अपनी यशोदा मैया को अपने हृदय में बसाए रहती है | ऐसा पुनीत स्नेह, ऐसी कोमल ममता और ऐसे दृढ़ संस्कार बच्चों को वात्सल्य ग्राम में प्राप्त होते हैं कि संसार के किसी भी कोने वे ये बच्चे चले जाएँ – इन्हें जीवन में सफल होने से कोई रोक नहीं सकता – और फिर भी अपनी ज़मीन से जुड़े रहकर समाज और देश की सेवा करने में गर्व का अनुभव करते हैं |

वास्तव में सन्तान और उसका पालन पोषण किसी भी मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्रदत्त सबसे अधिक अद्भुत उपहार है | विशेष रूप से एक माँ अपनी सन्तान का अपने असीमित

दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ WOW India के सदस्य
दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ WOW India के सदस्य

एवं निस्वार्थ स्नेह और उचित पालन पोषण करते हुए न केवल उसका शारीरिक और मानसिक विकास करती है बल्कि उसे एक योग्य मनुष्य भी बनाती है | अनुभवों तथा Researches से पता चलता है कि जिन बच्चों को माता पिता का प्यार नहीं प्राप्त होता वे जीवन भर किसी न किसी रूप में Disturb रहते है और इसी कारण से अनेक प्रकार की अनुचित गतिविधियों में कई बार लिप्त हो जाते हैं | जिस देश में प्रत्येक जीव को ईश्वर का स्वरूप माना जाता है वहाँ अनाथालयों, महिला आश्रमों और वृद्धाश्रमों में व्यक्तियों को उपेक्षित करके छोड़ देना ही समझ से परे की बात है | क्योंकि प्रत्येक जीव को स्वस्थ वातावरण में परिवार के मध्य रहने का अधिकार है | इसी आशय से दीदी माँ ने वात्सल्य ग्राम की नींव रखी थी |

वात्सल्य ग्राम, जहाँ एक ममतामयी मौसी, एक स्नेहशीला नानी एक पूर्ण रूप से समर्पित माँ के साथ मिलकर प्यारे प्यारे कोमल पुष्पों को न केवल पाल पोस कर बड़ा करती हैं बल्कि उन्हें समाज का – देश का – एक ज़िम्मेदार नागरिक भी बनाती हैं | और यह परिकल्पना हर पक्ष के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही है – परिवार और समाज द्वारा उपेक्षित महिलाओं को इन नन्हे बच्चों के रूप में एक परिवार मिल जाता है जिसके कारण उनके हृदयों में जीवन को उल्लासपूर्वक जीने की अभिलाषा उत्पन्न होती है, तो दूसरी ओर माता पिता के स्नेह से वंचित शिशुओं को नानी, मौसी और माँ के रूप में ममता का आँचल उपलब्ध हो जाता है और इस तरह एक आकर्षक परिवार की नींव पड़ जाती है – जो इतनी मज़बूत होती है कि कोई आँधी उसे हिला

दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ सुमित और रूपम
दीदी माँ, रुद्राक्ष और सिया के साथ सुमित और रूपम

नहीं सकती | बच्चों तथा उनकी तीनों मातृ शक्तियों – नानी, मौसी और माँ – के स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा के साथ साथ उन सबके सर्वांगीण विकास की दिशा में यहाँ सफल प्रयास किया जाता है जो अपने आपमें एक बहुत बड़ा कार्य है | साध्वी जी की संकल्प शक्ति के कारण ये सभी कार्य सुचारु रूप से सम्पन्न हो रहे हैं |

जब भी वात्सल्य ग्राम जाते हैं तो वहाँ के स्नेह और ममता की डोर से बंधे परिवारों से मिलकर, वहाँ की माताओं और उनके बच्चों से मिलकर जो सुखद अनुभूति होती है उस

के कारण बार बार वहाँ जाने की इच्छा

मन में होती है...